पटना। राज्यसभा चुनाव से ठीक पहले बिहार के सीएम नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइडेट (JDU) में आंतरिक कलह सतह पर आ गई है। केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह का राज्यसभा से पत्ता कटने की अटकलों के बीच खुद पूर्व नौकरशाह भी अब आर-पार के मूड में दिख रहे हैं। उन्होंने इसका संकेत देते हुए ट्विटर बायो से ‘जेडीयू’ की पहचान हटा दी है। माना जा रहा है कि राज्यसभा का टिकट कटने पर वह पाला बदलकर मोदी सरकार में मंत्री बने रह सकते हैं। आइए समझते हैं कि आखिर यह नौबत क्यों आई?
कभी नीतीश के बेहद खास रहे आरसीपी की ललन सिंह से खटास
कभी नीतीश कुमार के बेहद करीबी रहे रामचंद्र प्रसाद सिंह उर्फ आरसीपी सिंह जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष रह चुके हैं। लेकिन पिछले कुछ समय से मौजूदा अध्यक्ष ललन सिंह के निशाने पर हैं। दोनों नेता एक दूसरे पर इशारों में निशाना साधते रहे हैं। कई मुद्दों पर दोनों अलग-अलग राय जाहिर कर चुके थे। बताया जा रहा है कि ललन सिंह नहीं चाहते कि आरसीपी सिंह को दोबारा राज्यसभा भेजा जाए।
यूपी विधानसभा चुनाव भी वजह
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भाजपा और जेडीयू के बीच गठबंधन को लेकर भी आरसीपी सिंह और ललन सिंह आमने सामने आ गए थे। यूपी में बीजेपी की ओर से भाव नहीं दिए जाने पर ललन सिंह ने आरसीपी पर ठीकरा फोड़ा था। उन्होंने कहा था कि पार्टी ने गठबंधन के लिए आरसीपी पर भरोसा किया था, क्योंकि उन्होंने कहा था कि बीजेपी कुछ सीटें देने को तैयार है। बाद में बीजेपी ने जेडीयू को गठबंधन में शामिल नहीं किया तो नीतीश की पार्टी अकेले ही पूर्वांचल की कई सीटों पर चुनाव में कूद पड़ी। हालांकि, किसी भी सीट पर उसका ‘तीर’ जीत के निशाने पर नहीं लगा।
बीजेपी से नजदीकी का आरोप
जेडीयू के कई नेता आरोप लगाते हैं कि आरसीपी का बीजेपी के तरफ अधिक झुकाव हो चुका है। एक तरफ जहां बिहार में कई मौकों पर जेडीयू विपक्षी आरजेडी के साथ ‘दोस्ताना’ रुख अपनाती दिखती है तो आरसीपी का बीजेपी से लगाव पार्टी को असहज करता है। बताया जाता है कि खुद नीतीश भी मानते हैं कि आरसीपी की वफादारी अब बीजेपी के प्रति ज्यादा है।
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