वाराणसी। वाराणसी (Varanasi) जिला जज की अदालत (District Judge’s Court) मंगलवार को फैसला सुनाएगी कि ज्ञानवापी मामले (Gyanvapi Masjid Case) से जुड़ी किस याचिका पर पहले सुनवाई होगी। ज्ञानवापी परिसर विवाद (Gyanvapi campus controversy) में सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) के आदेश पर जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेस की अदालत में तकरीबन 45 मिनट तक दोनों पक्षों की बहस और दलीलें सुनने के बाद सोमवार को फैसला सुरक्षित रख लिया था।
साथ ही वादी पक्ष, डीजीसी सिविल के प्रार्थना पत्र, अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी की आपत्ति पर सुनवाई की गई। जिला जज ने सुनवाई के बाद पत्रावली सुरक्षित रखी है। वाद की पोषणीयता पर मंगलवार को जिला जज का आदेश आएगा। मुकदमे की सुनवाई के दौरान पूरे कचहरी परिसर में सुरक्षा की कड़ी व्यवस्था रही।
अदालत कक्ष में वादी-प्रतिवादी के पक्षकारों और उनके अधिवक्ताओं को छोड़ किसी अन्य के जाने पर दोपहर दो बजे से रोक लगा दी गई। कुल 23 लोग अदालत में गए। कार्यवाही शुरू होते ही अंजुमन इंतेजामिया ने कहा कि पहले सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुपालन में यह तय होना चाहिए कि राखी सिंह समेत पांच अन्य बनाम स्टेट ऑफ यूपी का वाद सुनवाई योग्य पोषणीय है या नहीं। कहा कि वाद दाखिल होने के बाद पोषणीयता पर चुनौती दी गई थी, लेकिन निचली अदालत ने इसको अनदेखा करते हुए सर्वे कमीशन का आदेश दे दिया। अब इसी बात का पहले निर्णय होना है कि विशेष उपासना स्थल अधिनियम 1991 लागू होता है या नहीं।
वहीं वादी पक्ष के अधिवक्ता विष्णु जैन ने कहा कि कमीशन कार्यवाही वीडियो, फोटोग्राफ इस वाद से जुड़े साक्ष्य हैं। उसकी वीडियो व फोटोग्राफ की पहले नकल दी जाए, फिर दोनों पक्षों से आपत्ति आने के बाद तय हो कि वाद पोषणीय है या नहीं। उन्होंने कहा कि यहां विशेष उपासना स्थल कानून लागू नहीं होता है। साथ ही उन्होंने वरिष्ठ अधिवक्ता हरिशंकर जैन की बीमारी का हवाला देते हुए एक सप्ताह का समय मांगा। डीजीसी सिविल महेंद्र प्रसाद पांडेय ने भी कहा कि प्रतिवादी गण ने विशेष उपासना स्थल कानून को लेकर दाखिल आवेदन की प्रति नहीं दी है फिर भी 1991 के पहले और बाद में भी पूजा हो रही है। ऐसे में यह कानून लागू नहीं होता है।
सिविल जज सीनियर डिवीजन रवि कुमार दिवाकर की ओर से नियुक्त और बाद में हटाए गए कोर्ट कमिश्नर अजय कुमार मिश्र को अदालत में प्रवेश की अनुमति नहीं दी गई। इस संबंध में बताया गया कि सूची में उनका नाम नहीं था। लिहाजा उन्हें अदालत में नहीं जाने दिया गया। उधर याचिका दायर करने वाली पांच में से चार महिलाएं अदालत में मौजूद रहीं। सुनवाई के दौरान अधिवक्ताओं के सहयोगियों को भी प्रवेश नहीं दिया गया।
विश्वनाथ मंदिर के पूर्व महंत ने दाखिल की याचिका
श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के पूर्व महंत डॉ. कुलपति तिवारी ने भी ज्ञानवापी परिसर में मिले शिवलिंग की पूजा के लिए कोर्ट में याचिका दाखिल की है। इस मामले में पूर्व में ही उन्होंने ज्ञानवापी मस्जिद क्षेत्र को महंत परिवार की संपत्ति होने का दावा किया था। इस बाबत अदालत परिसर में सुबह से ही गहमागहमी का दौर रहा।
वर्शिप एक्ट ज्ञानवापी मामले में प्रभावी नहीं : विष्णु जैन
वादी पक्ष के अधिवक्ता विष्णु जैन ने कहा कि हमने कमीशन द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट की सीडी और तस्वीरें उपलब्ध कराने के लिए आवेदन दिया था। प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 ज्ञानवापी प्रकरण में प्रभावी नहीं होगा। इस बात को कोर्ट के सामने साक्ष्यों के साथ पेश करेंगे। विष्णु जैन ने बताया कि वह महिला वादिनियों और उनके पैरोकार डॉ. सोहनलाल आर्य के साथ शृंगार गौरी-ज्ञानवापी प्रकरण में शामिल होंगे। दो दिन पूर्व ही जिला जज की अदालत में केस से जुड़ीं सभी फाइलें स्थानांतरित कर दी गई हैं।
ओवैसी, अखिलेश समेत आठ पर नामजद मुकदमे की मांग
ज्ञानवापी परिसर में शिवलिंग मिलने के दावे के बीच अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट पंचम उज्जवल उपाध्याय की अदालत में असदुद्दीन ओवैसी उनके भाई अकबरुद्दीन, पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव समेत आठ नामजद और दो हजार अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर विवेचना करने का अनुरोध किया गया है।
अधिवक्ता हरिशंकर पांडेय ने कोर्ट में आवेदन देकर कहा कि जहां शिवलिंग मिला है, वहां जाकर हाथ पैर धोना और गंदा पानी का वहां जाना देखकर काशी व देशवासियों का मन पीड़ा से भर गया, जिससे असहनीय कष्ट है। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव का शिवलिंग को लेकर दिया गया बयान हिंदुओं की भावनाओं को आहत करता है। सांसद ओवैसी व उनके भाई लगातार हिंदुओं के धार्मिक मामलों और स्वयंभू लार्ड विश्वेश्वर के खिलाफ अपमानजनक बातें कर रहे हैं। उन्होंने उक्त लोगों पर धार्मिक भावना भड़काने का भी आरोप लगाया है। सुनवाई के बाद कोर्ट ने आदेश सुरक्षित रखा है।
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