नई दिल्ली । कांग्रेस महासचिव (Congress General Secretary) प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi) ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा मान्यता प्राप्त सामाजिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता (Social Health Worker) आशा बहनों (Asha Sisters) को सम्मान दिए जाने को (Honoring) पूरे देश के लिए गर्व का विषय (Matter of Pride for the Whole Country) बताया ।
प्रियंका गांधी ने सोमवार को ट्वीट कर कहा, डब्ल्यूएचओ द्वारा हमारी आशा बहनों को मिला सम्मान पूरे देश के लिए गर्व का विषय है। यूपीए सरकार ने गांव-खेड़ों के अंतिम व्यक्ति तक स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाने के लिए आशा बहनों की नियुक्तियां की थीं। कोरोना के समय आशा बहनों ने अभूतपूर्व ढंग से, खुद की फिक्र किए बिना इस काम को किया।
डब्ल्यूएचओ ने रविवार को भारत की 10 लाख महिला आशा कार्यकतार्ओं को देश में ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराने और कोरोना महामारी पर लगाम लगाने के अथक प्रयासों के लिए आशा बहनों को सम्मानित किया। ये आशा कार्यकर्ता ग्रामीण भारत में स्वास्थ्य सेवा पहुंचाने की प्रथम इकाई हैं। इनमें से अधिकतर ने भारत में महामारी के चरम दौर में घर-घर जा कर कोरोना पीड़ितों का पता लगाया और उनकी इलाज में मदद की।
डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक डा. ट्रेडोस अधनोम गेब्रेयेसिस ने वैश्विक स्वास्थ्य सेवाओं में उल्लेखनीय योगदान, क्षेत्रीय स्वास्थ्य मुद्दों के लिए प्रतिबद्धता और शानदार नेतृत्व करने के लिए रविवार को छह पुरस्कारों की घोषणा की। डा.ट्रेडोस ने ग्लोबल हेल्थ लीडर्स अवार्डस के लिए पुरस्कार विजेताओं का फैसला किया। आशा कार्यकतार्ओं के सम्मान समारोह में उन्होंने कहा कि ‘आशा’ का अर्थ होप है। भारत की इन दस लाख से अधिक महिला स्वयंसेवकों ने समुदाय को स्वास्थ्य प्रणाली से जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसलिए ये सम्मान की वाकई हकदार हैं।
डब्ल्यूएचओ के अनुसार कोरोना महामारी के दौरान इनका कार्य बेहद सराहनीय रहा है। इन आशा कार्यकतार्ओं ने बच्चों में होने वाली बीमारियों को रोकने के लिए टीकाकरण, मातृ देखभाल में भी काम किया है। साथ ही सामुदायिक स्वास्थ्य देखभाल, तपेदिक के उपचार, पोषण और स्वच्छता के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। खासकर ऐसे समय में जब दुनिया असमानता, संघर्ष, खाद्य असुरक्षा और कोरोना के संकट का सामना कर रही है।
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