डेस्क। ज्येष्ठ माह के स्वामी मंगल देव हैं और इन दिनों सर्वाधिक बड़े दिन होते हैं। सूर्यदेव की ज्येष्ठता के कारण इस माह को ज्येष्ठ कहा जाता है। इस माह का संबंध जल से जोड़ा गया है। मान्यता के अनुसार, भगवान श्रीराम और हनुमान जी का मिलन ज्येष्ठ मास में ही हुआ था। वास्तु शास्त्र में इस माह का विशेष महत्व बताया गया है। इस माह कुछ विशेष उपाय करने से पूरे वर्ष शुभ परिणाम पाए जा सकते है। आइए जानते हैं इन उपायों के बारे में।
इस माह में हर मंगलवार सूर्योदय से पहले स्नान कर हनुमान जी के मंदिर जाकर उन्हें तुलसी के पत्तों की माला पहनाएं। हलवा-पूरी, मिष्ठान का भोग लगाएं। हनुमान चालीसा, बजरंग बाण और सुंदररकाण्ड का पाठ करें। इस माह जल दान का विशेष महत्व है। इस माह जल, मीठा शर्बत, कच्ची लस्सी आदि का दान करना शुभ फलदायी है। इस माह खरबूजा, तरबूज, खीरे आदि का दान कर सकते हैं।
इस माह भीषण गर्मी होती है, इसलिए घर में किसी खुली जगह या छत पर चिड़ियों के लिए दाना और पानी रखना चाहिए। इस माह में पानी का अपव्यय बिल्कुल नहीं करना चाहिए। पानी का अपव्यय करने से वरुण देव अप्रसन्न होते हैं। इस माह बैंगन का सेवन नहीं करना चाहिए। ज्येष्ठ मास ऐसा महीना है जिसमें तिल का दान करने से भगवान श्री हरि विष्णु प्रसन्न होते हैं।
जो व्यक्ति इस माह में तिल का दान करता है उसकी हर मनोकामना पूर्ण होती है। ज्येष्ठ मास में अनुशासित जीवनशैली को अपनाना चाहिए। इस मास में सूर्य उदय से पहले बिस्तर छोड़ देना चाहिए। प्रात: काल उठकर मां लक्ष्मी का स्मरण करें और माता-पिता, पितरों का आशीर्वाद लें। ऐसा करने से मन प्रसन्न रहता है। इस माह दिन में शयन नहीं करना चाहिए। इस माह लाल मिर्च का सेवन नहीं करना चाहिए। इस माह रसदार फलों के सेवन को उचित माना गया है। इस माह पेय पदार्थों का अधिक से अधिक सेवन करना चाहिए।
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