बेंगलुरु । कर्नाटक सरकार (Karnataka Government) ने शैक्षणिक वर्ष 2022-23 (Academic Year 2022-23) से प्री-यूनिवर्सिटी कोर्स (PUC) के विद्यार्थियों (Students) के लिए यूनिफॉर्म अनिवार्य कर दी है (Makes Uniform Mandatory) । सूत्रों के मुताबिक, पीयूसी की कक्षाएं फिर से शुरू होने के बाद सत्तारूढ़ भाजपा ने हिजाब संकट की संभावना को देखते हुए यह फैसला लिया।
एसएसएलसी (कक्षा 10) के परिणाम गुरुवार को राज्य में घोषित किए गए और कॉलेजों के लिए प्रवेश शुक्रवार से शुरू होंगे। शिक्षा विभाग द्वारा शैक्षणिक वर्ष 2020-21 के लिए जारी दिशा-निर्देशों में यूनिफॉर्म अनिवार्य नहीं था। शिक्षा विभाग के सूत्रों ने कहा कि नया नियम कॉलेज प्रबंधन को कक्षाओं में हिजाब पर प्रतिबंध लगाने के लिए सशक्त करेगा। कई अभिभावकों और विद्यार्थियों ने सरकार के फैसले पर सवाल उठाया है। हालांकि, कर्नाटक उच्च न्यायालय की विशेष पीठ ने सरकारी आदेश को बरकरार रखते हुए मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि छात्रों के लिए यूनिफॉर्म पहनना अनिवार्य है।
अदालत ने यूनिफॉर्म के नियम को चुनौती देने वाली और कक्षाओं में हिजाब पहनने के अधिकार की मांग करने वाली याचिका को भी खारिज कर दिया। याचिकाकर्ताओं ने मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। हिजाब पहनने के संबंध में किसी भी भ्रम की कोई गुंजाइश नहीं देते हुए, दिशानिर्देशों में जिक्र किया गया है कि स्कूल विकास और प्रबंधन समिति (एसडीएमसी) द्वारा निर्धारित यूनिफॉर्म पीयूसी छात्रों के लिए अनिवार्य है।
नए सर्कुलर में कहा गया है कि एसडीएमसी द्वारा कोई यूनिफॉर्म निर्धारित नहीं करने की स्थिति में, छात्रों को ऐसा यूनिफॉर्म पहनने की सिफारिश की जाती है, जो समानता और एकता बनाए रखे और यह रेखांकित किया कि इससे सार्वजनिक व्यवस्था में खलल नहीं पड़ना चाहिए।
हिजाब विवाद (जिसने अंतर्राष्ट्रीय समाचार में भी सुर्खियां बटोरी) 6 छात्राओं द्वारा कक्षाओं में हिजाब पहनने के अधिकार की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन शुरू करने के साथ शुरू हुआ। उडुपी गर्ल्स प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेज में शुरू हुआ हिजाब का विरोध पूरे राज्य में फैल गया।
इस मुद्दे ने सांप्रदायिक रूप ले लिया और राज्य में कानून-व्यवस्था की स्थिति को खतरे में डाल दिया। संकट के कारण राज्य में सामाजिक अशांति पैदा करने वाली परेशान करने वाली घटनाएं हुई। हिजाब पर हाईकोर्ट के आदेश का मुस्लिम संगठनों और व्यापारियों ने विरोध किया।
बाद में, हिंदू संगठनों ने आरोप लगाया कि मुस्लिम व्यापारी अदालत के आदेश का सम्मान नहीं करते हैं। उन्होंने मुस्लिम विक्रेताओं, व्यापारियों, कारीगरों का बहिष्कार करने का आह्वान किया। मुस्लिम व्यापारियों को मंदिरों और धार्मिक किरायों में अपनी दुकानें बंद करने के लिए कहा गया, वहीं अब सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों के खिलाफ अजान बुलाने के लिए मस्जिदों द्वारा लाउडस्पीकर के इस्तेमाल का मुद्दा भी हिंदू संगठनों द्वारा उठाया जा रहा है।
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