इंदौर। अपनी मांगों को लेकर कलेक्टर कार्यालय पर आज दिव्यांगजन एक बड़ा प्रदर्शन करने जा रहे हैं। दिव्यांग साधना संघ का कहना है कि 27 साल पहले सरकार ने दिव्यांगों को नौकरी और उनकी आजीविका के लिए आदेश निकाले थे, लेकिन कई निकायों ने उसका पालन नहीं किया। हालांकि इंदौर में जरूर पिछले साल से कुछ राशि का प्रावधान किया गया है।
करीब 27 साल पहले दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम भारत सरकार द्वारा पारित किया गया था। इस अधिनियम में सामाजिक न्याय विभाग के मार्फत दिव्यांगों को शिक्षा, रोजगार, व्यापार, शिक्षण, प्रशिक्षण, बीमा, अनाज, घर, पुनर्वास, इलाज, ऑपरेशन इत्यादि में मदद मिलना थी, लेकिन किसी भी सरकार ने इस अधिनियम के बारे में ध्यान नहीं दिया।
दिव्यांग साधना संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीराम पाटनकर एवं युवा विकलांग मंच के सचिव सूर्यप्रकाश जायसवाल ने बताया कि सबसे कमजोर और निचले पायदान पर दिव़्यांग ही हैं, लेकिन उनको वोट बैंक ही माना जाता है। प्रदेश में 14 लाख से भी ज्यादा दिव्यांग हैं। आज प्रदर्शन के बाद मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा जाना है।
इंदौर कलेक्टर सिंह ने की पहल
पाटनकर ने बताया कि हमारे प्रयासों को देखकर इंदौर कलेक्टर मनीष सिंह ने भारत सरकार के गजट को पढ़ा और अपने अधिकारों का उपयोग करते हुए इसे इंदौर जिले में लागू करने का प्रस्ताव पारित किया। इसके बाद इंदौर शहर में 25 लाख रुपए, जनपद पंचायतों में 10 लाख तथा नगर पंचायतों में 5 लाख रुपए का प्रावधान वार्षिक बजट में किया गया है, जो दिव्यांगों की मदद में खर्च किए जाएंगे। पाटनकर ने कहा कि महाराष्ट्र में यह कानून पूर्ण रूप से लागू हो चुका है और वहां तो ट्रेनों में दिव्यांगों के लिए एक विशेष कोच लग रहा है। ऐसी ही सुविधा अगर राज्य सरकारें देने लग जाएं तो दिव्यांग भी सामाजिक विचारधारा से जुड़ सकेंगे और अपने आपको अलग महसूस नहीं करेंगे।
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