पहले निगम ने चलाए हथौड़े, अब ईओडब्ल्यू ने दर्ज किया प्रकरण, नगर तथा ग्राम निवेश अफसरों के साथ बिल्डर भी फंसा
इंदौर। तीन साल पहले नगर निगम (Municipal Corporation) ने टेलीफोन नगर (Telephone Nagar) के पास खसरा नम्बर 1276 पर बनी अवैध मल्टी (Illegal Multi) पर हथौड़े चलाए थे, तो अब इसकी मंजूरी में हुए फर्जीवाड़े (Fraudulent) के चलते राज्य आर्थिक अपराध अनुसंधान ब्यूरो यानी ईओडब्ल्यू ने एफआई आर दर्ज की है, जिसमें गृह निर्माण संस्था (Home Construction Society) के संचालक, बिल्डर से लेकर निगम और नगर तथा ग्राम निवेश के अधिकारी फंसे हैं, वहीं एसपी ईओडब्ल्यू का कहना है कि ऐसी अन्य मल्टियों की जांच तो की ही जाएगी, वहीं गृह निर्माण संस्था की जो जमीन सदस्यों को भूखंडों के रूप में आवंटित होना थी, उस पर मल्टी कैसे बन गई, इसकी भी जांच की जाएगी।
वहीं, सहकारिता विभाग (Cooperative Department) ने एनओसी दी अथवा नहीं, इसकी भी जांच होना है। अभी कूटरचित दस्तावेजों के आधार पर अभिन्यास मंजूर करवाने के मामले में अपराध पंजीबद्ध किया गया है। गृह निर्माण संस्थाओं की जमीनें जहां भूमाफियाओं ने हड़पीं, वहीं बिल्डरों और रसूखदारों को बेच भी दी। सूर्यशक्ति गृह निर्माण संस्था में भी इसी तरह का फर्जीवाड़ा किया गया और संस्था की टेलीफोन नगर (Telephone Nagar) के पास स्थित जमीन पर तीन बहुमंजिला इमारतों (Multi-storey Buildings) होराइजन गुलमोहर के नाम से निर्माण किया गया। जीतू सोनी के साथी रहे निखिल कोठारी डेवलपर तो राजू टेकचंदानी जमीन मालिक के रूप में इस प्रोजेक्ट में जुड़े और मोहम्मद उस्मानी भी एक भागीदार के रूप में रहा। लम्बे समय तक ये बिल्डिंग अधूरी और खाली पड़ी रही और तीन साल पहले ऑपरेशन क्लीन के चलते निगम ने इस पर हथौड़े भी चलाए, वहीं अभी ईओडब्ल्यू ने कूटरचित दस्तावेजों के आधार पर इस मल्टी के मंजूर अभिन्यास के मामले में कल अपराध पंजीबद्ध कर लिया। ईओडब्ल्यू एसपी धनंजय शाह के मुताबिक सूर्यशक्ति गृह निर्माण के संचालक धर्मपाल टेकचंदानी और अटलांटा कंस्ट्रक्शन के निखिल कोठारी के अलावा तत्कालीन संयुक्त संचालक नगर तथा ग्राम निवेश विजय सावलकर एवं तत्कालीन सहायक संचालक नीरज लिखार एवं सहायक मानचित्रकार श्रीमती एस टिमांडे एवं निगम के तत्कालीन भवन निरीक्षक श्याम शर्मा के खिलाफ धारा 420, 467, 468, 471 और 120बी के तहत प्रकरण पंजीबद्ध किए गए हैं। इन अधिकारियों ने अपने पद का दुरुपयोग कर खुद को लाभान्वित करते हुए पायोनियर रियल इस्टेट तर्फे प्रोप्राइटर राजेन्द्र कुमार एवं मेसर्स होल्डिंग्स तर्फे ऑनर प्रदीप श्रीमाल सहित संस्था संचालकों ने संगनमत होकर कूटरचित दस्तावेजों के आधार पर मल्टी निर्माण की अनुमति प्राप्त की। अब इस मामले में सहकारिता विभाग की भी जांच की जाएगी कि उसने एनओसी दी अथवा नहीं, क्योंकि जमीन सदस्यों को भूखंड देने के लिए थी, जिस पर मल्टी निर्मित कर ली गई।
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