भोपाल। मप्र हाईकोर्ट ने भोपाल गैस राहत अस्पताल (बीएमएचआरसी) में स्टाफ व सुविधाओं की कमी को लेकर सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित मॉनिटरिंग कमेटी की सिफारिशों और हाईकोर्ट के पूर्व निर्देशों का पालन नहीं होने पर केंद्र व राज्य सरकार के अधिकारियों को फटकार लगाई। एक अवमानना याचिका पर जस्टिस शील नागू व जस्टिस मनिंदर सिंह भट्टी की खंडपीठ ने केन्द्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण, रसायन व उर्वरक मंत्रालय सचिव आरती आहूजा, मप्र के चीफ सेक्रेटरी इकबाल सिंह बैस, भोपाल गैस राहत विभाग सचिव मोहम्मद सुलेमान, आईसीएमआर के डायरेक्टर आर रामकृष्णन, बीएमएचआरसी की डायरेक्टर डॉ. प्रभा देसिकन व केंद्रीय पर्यावरण स्वास्थ्य अनुसंधान केंद्र भोपाल के डायरेक्टर डॉ. राजनारायण तिवारी को कारण बताओ नोटिस जारी कर 4 सप्ताह में स्पष्टीकरण मांगा है।
सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर मप्र हाईकोर्ट में इस याचिका पर सुनवाई की जा रही है। सुप्रीम कोर्ट ने 2012 में भोपाल गैस पीडि़त महिला उद्योग संगठन सहित अन्य की ओर से दायर याचिका की सुनवाई करते हुए भोपाल गैस पीडि़तों के इलाज और पुनर्वास के संबंध में 20 निर्देश जारी किए थे। वहीं निर्देश में शामिल बिंदुओं के क्रियान्वयन के लिए मॉनिटरिंग कमेटी गठित करने का निर्देश भी दिया था।
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