उज्जैन। जिला विकास समन्वय एवं निगरानी समिति दिशा की बैठक कल दोपहर बाद आयोजित हुई। इसमें जनप्रतिनिधियों ने टाटा कंपनी के जवाबदारों से प्रोजेक्ट में हो रही देरी के कारण पूछे। इस पर प्रबंधन की ओर से कई समस्याएँ बताई गई। इस पर संबंधित विभागों को समन्वय के साथ काम करने का कहा गया और जिन स्थानों पर काम करने में समस्या आ रही है वहाँ का स्थल निरीक्षण करने की बात कलेक्टर ने कही। बैठक की अध्यक्षता कर रहे सांसद अनिल फिरोजिया ने सीवरेज प्रोजेक्ट में हो रही देरी पर प्रबंधन के सामने नाराजगी जताई। इस पर कंपनी की ओर से कहा गया कि प्रोजेक्ट में देरी के पीछे कई कारण हैं। इनमें शिप्रा किनारे डाली जा रही मेन सीवरेज लाईन डालने की अनुमति देने में संबंधित विभाग देरी कर रहे हैं।
नगर निगम अनुबंध के विरूद्ध ईंट की बजाय सीमेंट कांक्रीट के चेम्बर बनाने का कह रहा है। निगम द्वारा भुगतान में भी देरी की जा रही है। इस पर सीवरेज प्रोजेक्ट में घरों के ड्रेन वाटर को सीवर चेम्बर से जोडऩे में हो रही देरी पर सांसद ने कहा कि नगर निगम, पीएचई और स्मार्ट सिटी का आपस में उचित समन्वय करे। तीनों विभाग के अधिकारी साइट पर जाकर निरीक्षण करें। कई कॉलोनियों में ड्रेनेज लाइन पहले से है। वहां हाऊस होल्ड कनेक्शन शीघ्र किये जायें। प्रोजेक्ट को लेकर विधायक पारस जैन ने कहा कि सीवर चेम्बर तो सीमेन्ट-कांक्रीट के ही बनना चाहिए। जहाँ भी ईंट के सीवर चेम्बर बनाये गये हैं, उन्हें तुड़वा कर सीसी चेम्बर बनाये जायें, क्योंकि ईंट के बनाये चेम्बर अक्सर ढह जाते हैं। इस पर कलेक्टर ने टाटा कंपनी के प्रबंधक से कहा कि साईड पर जहाँ भी समस्या आ रही है वहाँ जाकर वे खुद मंगलवार को निरीक्षण करेंगे। बैठक में करण कुमारिया, जिला पंचायत सीईओ अंकिता धाकरे, यूडीए सीईओ एसएस रावत, स्मार्ट सिटी सीईओ आशीष पाठक एवं सम्बन्धित विभागों के अधिकारीगण मौजूद थे।
सेवरखेड़ी परियोजना को बताया जरूरी
जल संसाधन विभाग की समीक्षा के दौरान सांसद ने कहा कि सेवरखेड़ी परियोजना सिंहस्थ के लिये बहुत आवश्यक परियोजना है। इससे शिप्रा नदी को प्रवाहमान बनाया जा सकेगा और शहर की जल आपूर्ति होने के साथ-साथ अगले सिंहस्थ-2028 के अतिरिक्त अन्य वर्षों में इस परियोजना से तीन हजार हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई की जा सकेगी। यह प्रोजेक्ट फिर से शासन को भेजने के लिए कहा गया।
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