मुंबई: शिवसेना प्रमुख और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के निजी आवास ‘मातोश्री’ के सामने हनुमान चालीसा का पाठ करने के मामले में गिरफ्तार और जमानत पर जेल से बाहर आने वाली अमरावती की निर्दलीय सांसद नवनीत राणा ने एमवीए सरकार को नई चुनौती दी है. अपना मेडिकल चेकअप कराकर लीलावती अस्पताल से बाहर निकलते हुए नवनीत राणा ने कहा, ‘यह एक धार्मिक लड़ाई है और मैं इसे जारी रखूंगी.’ News18 से बातचीत में राणा ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को चुनौती देते हुए कहा, ‘अगर हनुमान चालीसा का पाठ करना अपराध था, तो वह इसे बार-बार करेंगी.’
अमरावती की सांसद को भायखला जेल से रिहा होने के बाद मेडिकल चेकअप के लिए लीलावती अस्पताल ले जाया गया. उन्हें अदालत द्वारा न्यायिक हिरासत में भेजने के बाद भायखला जेल में रखा गया था. रिपोर्ट्स के मुताबिक, उन्हें हाई ब्लड प्रेशर, सीने में दर्द और शारीरिक दर्द की शिकायत की थी. इससे पहले नवनीत राणा के वकीलों ने कोर्ट में उन्हें चिकित्सकीय परीक्षण से वंचित रखने का दावा किया था और कहा था अगर उनकी बीमारी बिगड़ती है, तो इसके लिए राज्य सरकार को जिम्मेदार ठहराया जाएगा. नवनीत राणा और उनके पति रवि राणा को मुंबई पुलिस ने 23 अप्रैल को गिरफ्तार किया था.
दोनों ने घोषणा की थी कि वे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के निजी आवास ‘मातोश्री’ के बाहर हनुमान चालीसा का पाठ करेंगे, जिससे शिवसेना कार्यकर्ता नाराज हो गए और तनाव पैदा हो गया. दंपति ने बाद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मुंबई यात्रा का हवाला देते हुए अपनी योजना को विराम दे दिया था. लेकिन, मुंबई पुलिस ने उन पर राजद्रोह और ‘विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने’ और अन्य अपराधों के लिए मामला दर्ज किया. अपनी जमानत शर्तों का उल्लंघन करते हुए नवनीत राणा ने कहा कि वह अपनी ‘धार्मिक लड़ाई’ जारी रखेंगी. बांद्रा की भाजपा नेत्री स्वप्ना माथरे ने उनका स्वागत किया, जो एक आरती थाली के साथ लीलावती अस्पताल परिसर के बाहर पहुंची थीं. स्वप्ना माथरे ने दावा किया कि एक महिला के रूप में उन्होंने राणा का समर्थन किया.
नवनीत राणा ने कहा, ‘मैं अदालत के आदेश का सम्मान करती हूं. मैं मामले के बारे में बात नहीं करूंगी, लेकिन लॉकअप में मेरे साथ अच्छा व्यवहार नहीं किया गया.’ सांसदों और विधायकों के खिलाफ मामलों की सुनवाई के लिए विशेष अदालत के न्यायाधीश आरएन रोकड़े ने नवनीत राणा और उनके पति रवि राणा को जमानत देते हुए कई शर्तें रखी थीं और मामले से संबंधित विषयों पर मीडिया से बात नहीं करने का निर्देश दिया था. जमानत की एक शर्त यह भी है कि राणा दंपति को जांच अधिकारी पूछताछ के लिए जब भी बुलाते हैं, दोनों को उपस्थित होना पड़ेगा. जांच अधिकारी को इसके लिए 24 घंटे पहले दोनों को सूचित करना होगा. कोर्ट ने राणा दंपति को जमानत देते हुए शर्त रखी थी कि वे किसी गवाह को प्रभावित नहीं करेंगे या सबूतों से छेड़छाड़ नहीं करेंगे या जांच में हस्तक्षेप करने का प्रयास नहीं करेंगे.
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