नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) में परिसीमन की प्रक्रिया पूरी होने के बाद अब यहां विधानसभा चुनाव (assembly elections) कराने का रास्ता साफ हो गया है। इस वर्ष के अंत में हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) और गुजरात (Gujarat) में विधानसभा के चुनाव होने हैं। ऐसे में इन राज्यों के साथ ही जम्मू-कश्मीर में भी चुनाव हो सकते हैं।
गृहमंत्री अमित शाह ने हाल ही में कहा था कि राज्य में परिसीमन प्रक्रिया पूरी होने के बाद जम्मू-कश्मीर में चुनाव कराए जाएंगे। राज्य में वर्ष 2018 से निर्वाचित सरकार नहीं है। यहां केंद्र सरकार का शासन है। हालांकि, चुनाव कराने के बारे में अधिकृत तौर पर फिलहाल कुछ नहीं कहा गया है, लेकिन राज्य में चुनाव नहीं कराने का अब कोई कारण नजर नहीं आ रहा है।
अक्तूबर से पहले चुनाव कराने की बाध्यता
जानकारों के अनुसार, परिसीमन के बाद विधानसभा का गणित सामान्य स्थिति में पहुंच गई है। यानी अब छह माह के अंदर चुनाव करवाने की बाध्यता होगी। यह छह माह की अवधि अक्तूबर में समाप्त होगी ऐसे में हिमाचल प्रदेश और गुजरात के चुनावों को थोड़ा पहले खिसकाकर उन्हें जम्मू-कश्मीर के साथ करवाए जाने की प्रबल संभावना है। वहीं, निर्वाचन आयोग के सूत्रों ने भी कहा कि अब जम्मू-कश्मीर में चुनाव कराने के रास्ते में कोई बाधा नहीं है, वह राज्य में चुनाव कराने को तैयार है।
जम्मू-कश्मीर में 2019 के बाद सुरक्षा की स्थिति सुधरी
जहां तक सुरक्षा व्यवस्था का सवाल है तो 2019 के बाद से जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा की स्थिति सुधरी है। आतंकी घटनाओं में कमी आई है। इसके अवाला सुरक्षाबलों की उपलब्धता पर भी कोई समस्या नहीं होगी। एक तो वैसे ही राज्य के हर हिस्से में सुरक्षाबलों की खासी मौजूदगी है, दूसरे गुजरात और हिमाचल प्रदेश अपेक्षाकृत शांत राज्य हैं, इसलिए चुनाव के लिए वहां सुरक्षाबलों की उतनी जरूरत नहीं रहेगी।
नामित सीटें पुडुचेरी की तर्ज पर होंगी
रिसीमन आयोग ने घाटी से विस्थापित कश्मीरी पंडितों के लिए विधानसभा में दो सीटें नामित करने की सिफारिश की है, जिसमें से एक सीट महिला के लिए होगी। आयोग ने कहा है कि ये नामित सीटें पुडुचेरी की तर्ज पर होंगी। साथ ही पीओके से विस्थापित लोगों के लिए एक नामित सीट रखने की सिफारिश की गई है। यह पहला मौका है, जब कश्मीरी पंडितों को विधानसभा में बिना चुनाव लड़े जगह दी जाएगी। इसके अलावा विधानसभा में नौ सीटें एसटी के लिए आरक्षित की गई हैं, क्योंकि अनुच्छेद 370 के प्रावधानों के रहते एसटी के लिए आरक्षण संभव नहीं था।
भाजपा के पक्ष में यह स्थिति
जम्मू क्षेत्र जिसे हिंदू बहुल माना जाता है, वहां परिसीमन आयोग ने विधानसभा की छह सीटों की बढ़ोतरी की है, यहां अब सीटें 43 हो गई हैं, जो पहले 37 ही थीं। ऐसे में संभावना यह है कि सीटों का आरक्षण, उनमें बढ़ोतरी और तीन नामित सीटें करने से भाजपा को फायदा दिखाई दे रहा है। इस फायदे को तभी लिया जा सकता है, जब राज्य में जल्द चुनाव करवाए जाएं।
सुप्रीम कोर्ट में मामला
जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद-370 के प्रावधान समाप्त करने के खिलाफ अनेक याचिकाएं तीन वर्ष से सुप्रीम कोर्ट में लंबित हैं और इन पर सुनवाई गर्मियों के अवकाश में होगी। पिछले दिनों कोर्ट से मांग की गई थी कि सुनवाई जल्द शुरू की जाए, क्योंकि राज्य में परिसीमन चल रहा है। उसकी रिपोर्ट आने वाली है, परिसीमन तय होने के बाद मामला काफी जटिल हो जाएगा।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved