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पहली बार जम्मू-कश्मीर विधानसभा में कश्मीरी पंडितों को मिलेगा आरक्षण

May 05, 2022

नई दिल्ली: जम्मू कश्मीर (Jammu and Kashmir) के लिए परिसीमन आयोग ने अपनी रिपोर्ट पेश कर दी है. रिपोर्ट में आयोग ने जिन-जिन बातों की सिफारिश की है, उससे एक बात तो साफ हो गई है कि इससे जम्मू कश्मीर की पॉलिटिक्स (Politics of Jammu and Kashmir) पूरी तरह बदल जाएगी. पहली बार कश्मीरी पंडितों और अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षण का प्रावधान शामिल किया गया है. जम्मू-कश्मीर में विधानसभा और लोकसभा सीट को लेकर परिसीमन आयोग ने जो अहम सिफारिशें की हैं वो इस प्रकार है:

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जम्मू कश्मीर में 9 विधानसभा सीट पहली बार अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षित होंगी. इनमें 6 जम्मू में और 3 कश्मीर में होगी. जबकि 7 सीटें अनुसूचित जाति के लिए रिजर्व होगी.

परिसीमन आयोग ने अपनी रिपोर्ट में हर लोकसभा सीट में 18 विधानसभा सीट को रखा है. ऐसे में अब यहां विधानसभा सीटों की संख्या कुल 90 हो जाएंगी. जिनमें 43 सीट जम्मू क्षेत्र में होगी और 47 सीटें कश्मीर में होंगी. केंद्र शासित प्रदेश बनने से पहले जम्मू-कश्मीर विधानसभा में सीटों की संख्या 87 थी, इनमें से 4 सीटें लद्दाख में शामिल थी.


13 विधानसभा सीटों के नाम में बदलाव हुए हैं जबकि 21 विधानसभा सीटों की सीमाओं में मामूली परिवर्तन किए गए हैं.

परिसीमन आयोग ने पुडुचेरी असेंबली की तर्ज पर जम्मू-कश्मीर विधानसभा में कश्मीरी शरणार्थी समुदाय से 2 सदस्यों को नामांकित करने का प्रावधान रखा है. इन दो सदस्यों में एक महिला सदस्य होगी.

वहीं इस आयोग ने जम्मू संभाग के दो जिलो राजौरी और पुंछ को कश्मीर की अनंतनाग लोकसभा सीट में शामिल किया है. इसलिए अब यह अनंतनाग-राजौरी लोकसभा सीट हो जाएगी.

जम्मू-कश्मीर के लिए परिसीमन आयोग की रिपोर्ट के बाद ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि इस साल के आखिरी में घाटी में विधानसभा चुनाव संपन्न हो सकते हैं. यह परिसीमन आयोग मार्च 2020 में केंद्र सरकार ने गठित किया था. इस पैनल की अध्यक्षता सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई ने की. इसमें मुख्य चुनाव आयुक्त सुशील चंद्र और उप चुनाव आयुक्त चंद्र भूषण कुमार, राज्य चुनाव आयुक्त (एसईसी) के के शर्मा और मुख्य चुनाव अधिकारी हृदेश शामिल हैं. फरवरी में आयोग का कार्यकाल फिर से दो महीने के लिए बढ़ाया गया था. पहले इसका कार्यकाल 6 मार्च को समाप्त होना था. आयोग को पिछले वर्ष एक साल का विस्तार दिया गया था.

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