उज्जैन। इंदौर और देवास से दूषित पानी लाकर कान्ह नदी शिप्रा में उड़ेल रही है। इससे ज्यादा गंदा पानी शहर के बड़े नाले शिप्रा में रोज छोड़ रहे हैं। जब तक सीवरेज प्रोजेक्ट पूरा नहीं होता तब तक शिप्रा को लाखों लीटर दूषित पानी से निजात नहीं मिलेगी। उल्लेखनीय है कि शहर के बढ़ते दायरे में अब लगभग 2 लाख से ज्यादा मकान बन गए हैं। इनसे निकलने वाला गंदा पानी नालियों से होकर 13 बड़े नाले के जरिये सीधे क्षिप्रा में मिलता है। एक दिन में लगभग 70 लाख लीटर गंदा पानी को रोज क्षिप्रा में समाता है इसे देखते हुए अमृत मिशन योजना के तहत भूमिगत सीवरेज पाईप लाईन डालने के साथ-साथ सुरासा में बड़ा ट्रीटमेंट प्लांट भी बनाया जा रहा है। इसमें रोजाना नालों से शिप्रा में मिलने वाला लगभग 92 लाख लीटर पानी फिल्टर होगा। प्लांट का काम अभी 20 फीसदी के लगभग बाकी है।
एक ओर इंदौर से आने वाली कान्ह नदी का पानी शिप्रा को सालों से दूषित कर रहा है, वहीं शहर के 13 बड़े नाले भी रोजाना लाखों लीटर गंदा पानी क्षिप्रा में उड़ेल रहे है। सिंहस्थ 2016 में इन नालों को रोकने के लिए अस्थायी रूप से प्रयास किए गए थे। सभी नालों को क्षिप्रा किनारे से करीब डेढ़ या दो किमी दूर मिट्टी के बांध बनाकर रोका गया था। इस पर भी लाखों रुपए खर्च किए गए थे। बावजूद इसके सिंहस्थ के दूसरे और तीसरे स्नान के वक्त कई नाले असमय हुई बारिश के कारण क्षिप्रा में जा मिले थे और लोगों ने इसी में स्नान किया था। शहर के लगभग 2 लाख घरों और कॉलोनियों से रोजाना 70 लाख लीटर गंदा पानी निकलता है। नालों के जरिये प्रति दिन लगभग 70 लाख लीटर पानी शिप्रा में जाता है और यही एक महीने में करीब 2 करोड़ 10 लाख लीटर तक की मात्रा में सीधे क्षिप्रा में मिल जाता है। इसके लिए अमृत मिशन योजना के तहत 402 करोड़ का सीवरेज प्रोजेक्ट लगभग 4 साल पहले नगर निगम और पीएचई ने शुरु किया था। यह प्रोजेक्ट साल 2020 अंत तक पूरा होना था परंतु अभी तक टाटा कंपनी 439 किलोमीटर लंबी पाईप लाईन में से 230 किलोमीटर के दायरे में ही लाईन बिछा पाई है। दूसरी ओर त्रिवेणी से लेकर आगर रोड के सुरासा गांव तक कुल 19 किलोमीटर लंबी मेन लाईन जमीन के अंदर डालना थी। यह काम भी आधा ही हो पाया है। इस लाईन के जरिए पूरे शहर से रोजाना निकलने वाले करीब 70 लाख लीटर गंदे पानी को रोज ट्रीटमेंट कर साफ किया जाएगा। इसका उपयोग खेतों की सिंचाई और अन्य कार्यों में होगा। ट्रीटमेंट प्लांट की क्षमता 92 एमएलडी रखी गई है। अभी इसका लगभग 75 फीसदी काम पूरा ही हो पाया है।
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