भोपाल। प्रदेश के विश्वविद्यालयों में आए दिन करोड़ों के भ्रष्टाचार के मामले सामने आ रहे हैं। भोज विवि में कुलपति और कुलसचिव भ्रष्टाचार को लेकर आमने-सामने हैं। देवी अहिल्या विवि में 10 करोड़ के भ्रष्टाचार की जांच सीबीआई कर रही है। बीयू भोपाल में 65 करोड़ के भ्रष्टाचार की जांच संभागायुक्त कर रहे हैं। भ्रष्टाचार को लेकर भोज विवि में घमासान मचा हुआ है। कुलसचिव ने कुलपति के खिलाफ भ्रष्टाचार के सबूत उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव को सौंप दिए हैं। खास बात यह है कि मंत्री अभी तक कोई कार्रवाई करने की जहमत नहीं उठा पा रहे हैं। मप्र राज्य कर्मचारी संघ ने विवि के भ्रष्टाचार को लेकर 36 बिंदुओं पर शिकायत शासन को सौंपी है। भोज मुक्त विश्वविद्यालय की साख को मुखिया जयंत सोनवलकर ही बट्टा लगाते नजर आ रहे हैं। भोज की कमान कुलपति जयंत सोनवलकर के हाथ में हैं, लेकिन वे शिक्षा के मंदिर में ही जमकर भ्रष्टाचार कर रहे हैं। दोनों पर भ्रष्टाचार को लेकर राजपाल, मंत्री से लेकर पीएस, सांसद, विधायक, तक को लिखित में शिकायत की गई है। लेकिन आरएसएस, कांग्रेस को पैसे पहुचाने के कारण जयंत सोनवलकर के विरुद्ध कार्यवाही करने से मंत्री मोहन यादव डरे हुए है। मोहन यादव की महात्वाकांक्षा मुख्यमंत्री बनने की है। उन्हें डर है कि जयंत सोनवलकर के विरुद्ध कार्यवाही करने से उनकी महत्वाकांक्षा पर पानी फिर सकता है।
कुलपति पर कौन मेहरबान
भोज विश्वविद्यालय के कुलसचिव एल एस सोलंकी शिकायत में भ्रष्टाचार का सूत्रधार कुलपति जयंत सोनवलकर को बनाया है। कुलसचिव एल एस सोलंकी ने पिछले तीन सालों में दस्तावेजों के अध्ययन के बाद पाया कि जयंत सोनवलकर ने आर्थिक अनियमितताओं के साथ-साथ सामग्री क्रय व अन्य प्रशासकीय कार्यों में ढेरों अनियमिताये कर करोड़ों का गबन किया। ये अनियमितताएं गत तीन वर्षो से कुलपति पद का दुरुपयोग करके अधिनस्त कर्मचारियों पर दबाव बनाकर किये गए है।
5.25 करोड़ के ऑडियो-वीडियो खरीदी की तैयारी
शिकायत में बताया कि ऑडियो- वीडियो लेक्चर स्थानीय शासकीय कॉलेज के प्रोफेसर से नि:शुल्क विश्वविद्यालय तैयार कराता रहा है। लेकिन कुलपति जयंत सोनवलकर इस व्यवस्था को बंद करके बाहरी एजेंसी से 5. 25 करोड़ खर्च करके ऑडियो- विडियो बनाने के लिए कुलसचिव पर आर्डर निकलने का दबाव बना रहे है।
कुलपति के कार्यकाल में जमकर हुआ भ्रष्टाचार
भोज विश्वविद्यालय के कुलपति जयंत सोनवलकर ने अपने कार्यकाल के दौरान 100 करोड़ से ज्यादा की विट्टोया अनियमितता की है। जिसमे स्टडी मैटेरियल की प्रिंटिंग में रिश्वतखोरी, टेंडर घोटाला, बिल क्लीयरेंस से जुड़े मामलों के अलावा भर्तियों में भ्रष्टाचार शामिल हैं। जिसके चलते राजभवन में जांच चल रही है। आरएसएस के दबाव के कारण भोज विश्वविद्यालय के कुलपति पर पिछले एक साल से चल रही जांच का निष्कर्ष अभी तक नहीं निकल पाया है।
पांच महीने का बचा है कार्यकाल
भोज मुक्त विश्वविद्यालय के सुत्रों के हवाले से खबर है कि कुलपति जयंत सोनवलकर का कार्यकाल केवल पांच महीने का ही बचा हुआ है। इस बीच वो आरएसएस के मुकुल कानिटकर पर खर्च किये गए रुपये __ और कुलपति बनने में लगे हुए करोड़ी की रकम को निकलने में लगे हुए है। जिसके लिए वो विश्वविद्यालय के कुलसचिव और कर्मचारियों पर दबाव बना रहे है। ये रकम लगभग 50 करोड़ के आसपास है। अगर वो ये रकम नहीं निकाल पाये तो उन्हें करोडो का नुकसान होगा।
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