नई दिल्ली। भारतीय छात्रों (Indian students) को लेकर चीन की ओर से एक बड़ा फैसला लिया गया है। दरअसल, 25 मार्च को चीन के विदेश मंत्री वांग यी के साथ भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर की एक बैठक हुई थी। इस बैठक के बाद अब एक बड़ा फैसला लिया गया है। चीन में भारतीय दूतावास (Indian Embassy) ने एक विज्ञप्ति जारी कर कहा कि भारतीय छात्रों की वापसी की सुविधा पर विचार करने की इच्छा चीन की ओर से व्यक्त की गई है।
छात्रों से 8 मई तक फॉर्म भर कर जानकारी प्रदान करने का अनुरोध भी किया गया है। दरअसल, कोरोना महामारी की वजह से चीन में मेडिकल और इंजीनियरिंग के विद्यार्थियों (medical and engineering students) को स्वदेश लौटना पड़ा था। इन्हीं विद्यार्थियों के मुद्दे को लेकर दोनों देशों के विदेश मंत्री के बीच बैठक हुई थी। अब चुकी कोरोना वायरस का डर थोड़ा कम हुआ है। ऐसे में भारतीय छात्र चीन जाकर पढ़ाई कर सकेंगे।
भारत की ओर से चीन में 23000 से अधिक भारतीय छात्रों की वापसी की अनुमति दबाव बनाया गया था। चीन ने भी कोविड-19 महामारी के कारण लगाए गए वीजा और उड़ान पाबंदियों के बाद लगभग दो साल से भारत में फंसे “कुछ” भारतीय विद्यार्थियों को वापस आने की अनुमति देने संबंधी योजना की शुक्रवार को घोषणा कर दी। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियन (zhao lijian) ने कहा कि पढ़ाई के लिए चीन लौटने को लेकर भारतीय छात्रों की चिंताओं को हमारा देश अधिक महत्व देता है। हमने अन्य देशों के विद्यार्थियों के चीन लौटने की प्रक्रिया और अनुभव को भारतीय पक्षों के साथ साझा किया है।
प्रवक्ता ने बताया कि भारतीय विद्यार्थियों की वापसी के लिए काम शुरू हो चुका है। भारतीय पक्ष को केवल उन विद्यार्थियों की सूची प्रदान करनी है, जिन्हें वास्तव में चीन वापस आने की आवश्यकता है। इससे पहले आई खबरों के अनुसार 23,000 से अधिक भारतीय विद्यार्थी, जिनमें से ज्यादातर चीनी कॉलेजों में चिकित्सा की पढ़ाई कर रहे हैं, स्वदेश लौटने के बाद भारत में फंस गए हैं। ये विद्यार्थी दिसंबर, 2019 में चीन में कोरोना वायरस का संक्रमण फैलने के बाद स्वदेश लौट आये थे। चीनी सरकार द्वारा लगाई गई पाबंदियों के कारण वे चीन वापस नहीं आ पाये थे।
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