नई दिल्ली। वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि को अमावस्या (amaavasya) कहा जाता है। इस साल वैशाख अमावस्या 30 अप्रैल को है। खास बात यह है कि 30 अप्रैल यानी शनि अमावस्या (Shani Amavasya) के दिन साल का पहला सूर्यग्रहण (first solar eclipse) भी लग रहा है। 30 अप्रैल को शनिवार है। शनिवार के दिन पड़ने वाली अमावस्या को शनिचरी अमावस्या भी कहा जाता है।
शनि अमावस्या व सूर्यग्रहण एक ही दिन होने से शनिदेव को प्रसन्न करने का विशेष योग(special sum) बन रहा है। शनि अमावस्या का दिन शनि की साढ़ेसाती व ढैय्या से पीड़ित जातकों के लिए बेहद शुभ माना गया है। इस दिन शनि दोष से मुक्ति के लिए उपाय का विधान है। जानें शनि अमावस्या का शुभ मुहूर्त, पूजन विधि व शनिदेव (Shani Dev) को प्रसन्न करने के सरल उपाय-
शनिदेव की इस विधि से करें पूजा-
1. शनि अमावस्या के दिन स्नान आदि करने के बाद व्रत का संकल्प लें।
2. शनि अमावस्या के दिन शनि मंदिर जाकर वहां की साफ-सफाई करें।
3. इसके बाद शनिदेव की विधिवत पूजा करें।
4. शनिदेव को सरसों के तेल में काले तिल मिलाकर अभिषेक करें।
5. अब शनिदेव को नीले पुष्प अर्पित करें।
6. शनि अमावस्या के दिन शनिदेव के दर्शन से शनिदोष से मुक्ति मिलने की मान्यता है।
7. शनि अमावस्या के दिन शनि दोष से मुक्ति पाने के लिए शमी वृक्ष की पूजा करें।
8. शाम के समय पीपल के वृक्ष के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं।
9. शनि मंत्रों का जाप करें।
शनिचरी अमावस्या स्नान-दान शुभ मुहूर्त-
30 अप्रैल, शनिवार को सुबह प्रीति योग रहेगा, जो कि शाम 3 बजकर 20 मिनट तक रहेगा। उसके बाद आयुष्मान योग प्रारंभ होगा। अश्विनी नक्षत्र रात 08 बजकर 13 मिनट तक रहेगा। इस योग में शुभ व मांगलिक कार्य किए जाते हैं। शनि अमावस्या के दिन दान-स्नान का विशेष महत्व है।
शनिदोष से मुक्ति के सरल उपाय-
सूर्यास्त के बाद ऐसे पीपल के पास दीपक जलाएं।
शनिदेव को तेल अर्पित करें और पूजन करें।
पीपल के वृक्ष को जल चढ़ाएं और पूजा करें इसके बाद सात परिक्रमा करें।
हर शनिवार सुबह-सुबह स्नान आदि कर्मों से निवृत्त होकर तेल का दान करें।
हनुमानजी (Hanuman) को सिंदूर और चमेली का चढ़ाएं।
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