खरगोन: मध्य प्रदेश के खरगोन (Khargone of Madhya Pradesh) में रामनवमी के मौके पर हुई सांप्रदायिक हिंसा (sectarian violence) की आग अब शांत हो गई है लेकिन ये हिंसा पीड़ितों को जिंदगी भर का दर्द दे गई है. बता दें कि पाकिस्तान से लोहा लेने वाले पूर्व सैनिक (dogs of War) के परिवार को भी दंगाइयों ने नहीं बख्शा और उनके घर में आग लगा दी. जिसमें सैनिक के परिवार का सबकुछ जलकर खाक हो गया. उस मंजर को याद कर सैनिक की बुजुर्ग विधवा आज भी सिहर उठती हैं और उनके आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे हैं.
बता दें कि खरगोन के रहने वाले कैलाशचंद्र चावरे (Kailash Chandra Chawre) ने भारतीय सेना में 20 साल तक देश की सेवा की. वह भारत पाकिस्तान की लड़ाई में भी हिस्सा ले चुके थे. हालांकि देश की सीमा पर दुश्मनों से लड़ने वाले सैनिक के परिवार को अब देश के भीतर ही आतंक का सामना करना पड़ा है. दरअसल खरगोन दंगे के दौरान दंगाइयों की भीड़ ने आनंद नगर स्थित उनके घर में भी आग लगा दी. जिसमें परिवार का सबकुछ जलकर खाक हो गया. परिवार की जीविका का साधन सिलाई मशीन भी इस हादसे में तबाह हो गई है. दंगों की विभिषका से बचने के लिए सैनिक की बुजुर्ग विधवा को अपने बेटे, बहू और पोते को लेकर पलायन के लिए मजबूर होना पड़ा.
सैनिक की विधवा कुसुम बाई याद करते हुए बताती हैं कि उनके पति कैलाश चावरे साल 1970 में सेना की सप्लाई कोर में भर्ती हुए थे. वह जम्मू कश्मीर, असम, पंजाब, बेंगलुरू कई जगह तैनात रहे. कुसुम बाई बताती हैं कि वह भी उनके साथ ही रहीं . साल 1989 में वह रिटायर हुए और साल 1999 में उनका निधन हो गया. कुछ समय पहले ही कुसुम बाई के एक बेटे का सड़क हादसे में निधन भी हो गया. परिवार इस दुख से निकला ही था कि अब खरगोन दंगे ने परिवार को कभी ना भूलने वाला दर्द दे दिया है. दंगे के दिन को याद कर कुसुम बाई का आंखे भर आईं.
खरगोन में 300 पूर्व सैनिकों की समिति बनी हुई है.समिति के अध्यक्ष पुष्पेंद्र गुप्ता सहित अन्य सदस्यों ने पूर्व सैनिक के घर पहुंचकर एक साल का राशन और 5 कंबल भेंट किए. पुष्पेंद्र गुप्ता ने बताया कि देश के सैनिकों पर दंगाइयों के द्वारा की गई घटना दुर्भाग्यपूर्ण और कायराना है. दंगाइयों के खिलाफ प्रशासन सख्त कार्रवाई करे. यह समिति खरगोन दंगे के शिकार गरीब परिवारों को 2-2 कंबल बांट रही है. समिति ने सभी लोगों से मिल-जुलकर शांति से रहने की अपील की.
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