लंदन: पिछले कुछ सालों से दुनिया में बीमारियों का दौर चला हुआ है. इंसान अभी एक बीमारी से निपटने में सफल भी नहीं होता है कि दूसरी नई बीमारी सिर उठाए खड़ी हो जाती है. इस बार दुनिया भर के डॉक्टर और स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े लोगों के माथे पर हेपेटाइटिस के गंभीर मामलों की अचानक बढ़ोतरी ने शिकन ला दी है. हेपेटाइटिस लीवर से जुड़ी हुई बीमारी होती है, जिसमें लीवर में सूजन आ जाती है. विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है हाल ही में नए तरह के हेपेटाइटिस के 130 से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं, इनमें से ज्यादातर ब्रिटेन से हैं.
जनवरी से अभी तक ब्रिटेन में किसी रहस्यमय वायरस के कारण हेपेटाइटिस के 108 मामले सामने आ चुके हैं. खास बात यह है कि ये सभी मामले बच्चों के हैं. इसके अलावा अमेरिका, इजराइल, डेनमार्क, आयरलैंड, नीदरैलैंड और स्पेन में भी रहस्यमय वायरस से हेपेटाइटिस के मामले दर्ज किए गए हैं. हेपेटाइटिस के ये मामले मामले इस कदर गंभीर हैं कि कई बच्चों को तो लीवर प्रत्यारोपण तक की नौबत आ गई है. चिकित्सा जगत से जुड़े लोग इन मामलों को लेकर इसलिए भी चिंतित हैं क्योंकि यह आमतौर पर होने वाले वायरस की वजह से नहीं हो रहा है. आमतौर पर हेपेटाइटिस होने के लिए ए, बी, सी, डी और ई वायरस जिम्मेदार होता है.
हालांकि बार्सिलोना की हीपैटोलॉजी (hepatology) की प्रोफेसर और यूरोपियन एसोसिएशन ऑफ दि स्टडी ऑफ दि लीवर पब्लिक हेल्थ कमेटी की प्रमुख मारिया बूटी का कहना है कि वैसे तो हेपेटाइटिस के ये मामले अभी बहुत कम हैं. लेकिन ये सभी बच्चों से जुड़े हुए हैं, इसलिए यह बात गंभीर है. हेपेटाइटिस के इन मामलों को लेकर पब्लिक हेल्थ स्कॉटलैंड के निदेशक जिम मैक्मिनेमिन का कहना था कि पहले से ही एक शोध किया जा रहा था कि कहीं हेपेटाइटिस को और गंभीर बनाने के पीछे एडीनोवायरस (adenovirus) का नया म्यूटेंट तो जिम्मेदार तो नहीं है. साइंटिस्ट अब इस बात को लेकर अध्ययन में जुटे हैं कि कहीं किसी और वायरस के साथ मिल जाने से ये समस्या और गंभीर तो नहीं हो रही है.
विशेषज्ञ कोविड-19 के साथ भी इस वायरस के मिलने की संभावनाओं को तलाशने में जुटे हुए हैं. हालांकि कोरोना वैक्सीन की वजह से हेपेटाइटिस के गंभीर होने के शक को खारिज कर दिया गया है. क्योंकि इंग्लैंड में जिन बच्चों को इस बीमारी ने घेरा है, वे वैक्सीन लगाने वाली उम्र के दायरे में नहीं आते हैं. इसके पीछे एक वजह ये भी बताई जा रही है कि लॉकडाउन के दौरान लगातार सामाजिक रूप से अलग-थलग रहने की वजह से इन बच्चों की इम्यूनिटी कमजोर हुई है. जिसकी वजह से हेपेटाइटिस की बीमारी की गंभीरता में इजाफा हो रहा है.
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