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विश्व मलेरिया दिवस विशेष: जानलेवा हो सकती है मलेरिया के इलाज में लापरवाही

April 25, 2022

– योगेश कुमार गोयल

मलेरिया दिवस प्रतिवर्ष 25 अप्रैल को अलग-अलग विषय के साथ मनाया जाता है। हर साल मलेरिया से होने वाली लाखों लोगों की मौत को देखते हुए ही लोगों में इस बीमारी के प्रति जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से यूनिसेफ द्वारा 25 अप्रैल 2008 को ‘विश्व मलेरिया दिवस’ मनाने की शुरुआत की गई थी। दरअसल मच्छरों के काटने से होने वाली जानलेवा बीमारी मलेरिया के कारण प्रतिवर्ष लाखों लोग मौत के मुंह में समा जाते हैं। जागरूकता के अभाव में आज भी मलेरिया से मरने वालों की संख्या बहुत ज्यादा है।

यूनिसेफ द्वारा मलेरिया दिवस की थीम तय करने का उद्देश्य किसी भी प्रकार से विश्व को मलेरिया से मुक्त करना है। तय की जाने वाली थीम पर दुनिया भर के चिकित्सक, वैज्ञानिक और विशेषज्ञ वर्ष भर कार्य करते हैं। वर्ष 2022 के लिए विश्व मलेरिया दिवस की थीम है ‘मलेरिया रोग के बोझ को कम करने और जीवन बचाने के लिए नवाचार का उपयोग करें’ जबकि 2021 की थीम थी ‘जीरो मलेरिया लक्ष्य की ओर बढ़ना है।’

विगत दो दशकों में हुए तीव्र वैज्ञानिक विकास और मलेरिया उन्मूलन के लिए चलाए गए वैश्विक कार्यक्रमों के कारण जानलेवा बीमारी मलेरिया के आंकड़ों में कमी तो आई है किन्तु अभी भी इस पर पूर्ण रूप से नियंत्रण नहीं पाया जा सका है। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार दुनियाभर में मलेरिया के बीस करोड़ से भी ज्यादा नए मामले दर्ज किए जाते हैं, जिनमें से कई लाख लोगों की मौत हो जाती है। माना जाता है कि यह बीमारी सबसे पहले चीन में पाई गई थी, जहां गंदगी से यह बीमारी पनपने के कारण उस समय इसे ‘दलदली बुखार’ कहा जाता था। वैसे ‘मलेरिया’ इतालवी भाषा के शब्द माला एरिया से बना है, जिसका अर्थ है ‘बुरी हवा’। मलेरिया एनोफेलीज मादा मच्छर के काटने से होता है, जो प्लास्मोडियम परजीवी से संक्रमित होता है और जब यह मच्छर किसी को काटता है तो ये परजीवी मानव रक्त में प्रवेश करके लिवर तथा लाल रक्त कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाने लगते हैं और व्यक्ति को बीमार बना देते हैं। इस रोग की गंभीरता परजीवी पर ही निर्भर करती है।

मलेरिया बुखार पांच प्रकार का होता है, लास्मोडियम फैल्सीपैरम, सोडियम विवैक्स, प्लाज्मोडियम ओवेल मलेरिया, प्लास्मोडियम मलेरिया तथा प्लास्मोडियम नोलेसी। प्लास्मोडियम फैल्सीपैरम में पीडि़त व्यक्ति एकदम बेसुध हो जाता है और इस बुखार में निरन्तर उल्टियां होने से व्यक्ति की जान भी जा सकती है। सोडियम विवैक्स में मच्छर बिनाइन टर्शियन मलेरिया पैदा करता है, जो 48 घंटों के बाद अपना असर दिखाना शुरू करता है। प्लाज्मोडियम ओवेल मलेरिया का यह रूप बिनाइन टर्शियन मलेरिया उत्पन्न करता है। प्लास्मोडियम मलेरिया एक प्रकार का प्रोटोजोआ है, जो बेनाइन मलेरिया के लिए जिम्मेदार होता है। इस रोग में क्वार्टन मलेरिया उत्पन्न होता है, जिसमें मरीज को हर चौथे दिन बुखार आ जाता है। रोगी के यूरिन से प्रोटीन निकलने लगते हैं और शरीर में प्रोटीन की कमी होकर सूजन आ जाती है। प्लास्मोडियम नोलेसी दक्षिण पूर्व एशिया में पाया जाने वाला एक प्राइमेट मलेरिया परजीवी है। इस मलेरिया से पीड़ित रोगी में सिरदर्द, भूख नहीं लगना जैसे लक्षण दिखाई देने लगते हैं।

स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक कई मलेरिया बहुत खतरनाक होते हैं, जिससे मरीज की मौत हो जाती है। भारत में रेजिस्टेंट मलेरिया का जोन है, इसके अलावा फैल्सीपेरम मलेरिया तो और भी ज्यादा खतरनाक होता है, जिसमें रक्तचाप कम हो सकता है, किडनी और लिवर फेल हो सकते हैं तथा मरीज कोमा में जा सकता है। इसमें मरीज को शीघ्र उचित इलाज नहीं मिले तो उसकी मौत भी हो सकती है।

मलेरिया होने पर प्रायः तेज बुखार होता है, जो 103 से 105 डिग्री तक हो सकता है। सिरदर्द, बदन दर्द, घबराहट, अत्यधिक पसीना आना, जी मिचलाना, उल्टी होना, अत्यधिक ठंड लगना, कमजोरी इत्यादि मलेरिया के अन्य प्रमुख लक्षण हैं। इन लक्षणों को लंबे समय तक नजरअंदाज करना भी खतरनाक हो सकता है। वैसे तो मलेरिया के लक्षण प्रायः 24 से 48 घंटे में ही नजर आ सकते हैं लेकिन कई बार लक्षण सामने आने में ज्यादा समय भी लग सकता है। मलेरिया की जांच से ही पता चल पाता है कि मरीज किस तरह के मलेरिया से ग्रसित है और उसी के आधार पर विभिन्न दवाओं से उसका इलाज शुरू किया जाता है। साधारण मलेरिया होने पर सही इलाज से मरीज 3-5 दिनों में ही ठीक हो सकता है लेकिन यदि सीवियर फैल्सीपेरम मलेरिया हुआ तो समय पर और सही इलाज नहीं कराने पर मरीज की मौत भी हो सकती है। इसलिए बेहद जरूरी है कि मलेरिया की जांच और इलाज में कोताही न बरतें।

गर्मी और मानूसन के दौरान मच्छरों की संख्या बहुत बढ़ जाती है, इसलिए आमतौर पर मलेरिया इन्हीं मौसम में सबसे ज्यादा होता है। वैसे मलेरिया के मच्छर अधिकांशतः उन्हीं जगहों पर पनपते हैं, जहां गंदगी होती है या गंदा पानी जमा होता है। इसलिए मलेरिया की रोकथाम के लिए सबसे जरूरी है कि अपने घरों में तथा आसपास गंदगी और गंदा पानी एकत्र न होने दें।

(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)

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