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बिना मिट्टी रोज उगा रहे पांच क्विंटल सब्जियां

April 23, 2022
‘ईकी फूडस’ के फाउंडर अमित और अभय

कोटा । राजस्थान (Rajasthan) के दो युवा आईआईटीयन ने आधुनिक तकनीक विकसित कर बिना मिट्टी और बिना पेस्टीसाइड्स से हरी व ताजा सब्जियों (fresh vegetables) की खेती को संभव कर दिखाया है। इसकी शुरूआत कोटा से की गई है। किसान परिवार से जुडे श्रीगंगानगर के अमित कुमार और रावतभाटा के अभय सिंह आईआईटी, मुंबई से बीटेक ग्रेजुएट (B.Tech Graduate from IIT, Mumbai) हैं। दोनों रोबोटिक पर रिसर्च करते हुए दोस्त बन गये। उन्होंने जॉब छोडकर 2018 में कोटा से अपना स्टार्टअप ‘ईकी फूड्स’ प्रारंभ किया।

फाउंडर अमित और अभय ने बताया कि पहले चरण में उन्होंने कोटा में नांता, रंगपुर, तालेड़ा, भीलवाडा और पानीपत में कृषि फार्म पर ग्रोइंग चेम्बर्स बनाकर केमिकल या पेस्टिसाइड अवशेष मुक्त सब्जियों की पैदावार प्रारंभ की है। इस तकनीक में उन्होंने सौर उर्जा व न्यूट्रिशनल वॉटर का उपयोग कर पानी व बिजली की खपत को कम कर दिया है। इन खेतों पर वे रोजाना 500 किलो (5 क्विंटल) सब्जियां पैदा करके काफी रिटेल स्टोर पर भेज रहे हैं। जल्द ही वे दिल्ली एवं अन्य राज्यों में भी ‘ईकी फूड्स’ के फार्म शुरू करेंगे।



उन्होंने तय किया कि जॉब छोडकर कुछ ऐसा प्रोजेक्ट करें जिससे किसानों को नई तकनीक से दुगनी आय मिले। दोनों ने 6 माह भारत के काफी राज्यों के कई गांवों में किसानों से मिलकर जैविक खेती को समझा लेकिन जैविक पैदावार कम और महंगी होने से यह दूरगामी नहीं लगा। कुछ किसान हाइड्रोपोनिक तकनीक से खेती करते हुये महंगी विदेशी सब्जियां उगा रहे हैं जो आम जनता के लिए नहीं है।

छत से फार्मिंग की शुरुआत

अभय और अमित ने मिलकर घर की छत पर ग्रोइंग चेम्बर्स में पालक, भिंडी, टमाटर, लौकी जैसी सब्जियां उगाईं। उन्हें कोटा के मार्केट में बेचा और सफलता प्राप्त करी। अगले साल दोनों ने स्टार्टअप ‘इकी फूड्स’ की शुरूआत कर दी। उन्होंने कोटा में एक चौथाई एकड़ जमीन ली। जहां 25 लाख की लागत से एक पॉली हाउस तैयार किया और उसमें ग्रोइंग चैम्बर्स लगा दिए। नई तकनीक के मिश्रण से खेती का उन्हें फायदा हुआ। एक साल में ही कम खेती की लागत में प्रॉडक्शन बढ़ गया। अभी वे करीब 400 घरों में अपने प्रोडक्ट पहुंचा रहे हैं। उन्होंने कई सब्जी विक्रेताओं और रिटेलर्स को भी जोडा। उनकी टीम में 60 से भी ज्यादा सदस्य हैं। अभय कहते हैं, यह टिकाऊ खेती की ओर शुरूआत है। जल्द ही हम अन्य राज्यों के मार्केट में ताजा सब्जियां भेजेंगे, जिनमें कोई केमिकल या पेस्टिसाइड का अवशेष नहीं होगा। कुछ निवेशकों ने भी इस अनूठे स्टार्टअप में रूचि दिखाई है।

80 फीसदी पानी की बचत

इस तकनीक का लाभ यह है कि इसमें पारंपरिक कृषि की तुलना में 80 प्रतिशत कम पानी की आवश्यकता होती है। गर्मी हो या सर्दी पौधों को कोई नुकसान नहीं होता है। ऑटोमेटिक कंट्रोल सिस्टम के जरिए ऑफिस बैठकर भी पौधों की देखभाल कर सकते हैं। एक स्विच के जरिए पौधों में पानी और जरूरी मिनरल्स पहुंचाया जा सकता है। इसमें फलियां, बैंगन, टमाटर, करेले, मिर्च जैसी कई सब्जियां उगाई जा सकती है।(हि.स.)

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