जम्मू । जम्मू (Jammu) के बाहरी इलाके सुंजवां में चार साल के भीतर दूसरी बार फिदायीन हमले की नापाक कोशिश करने वाले आतंकियों (terrorists) ने पाकिस्तानी सीमा क्षेत्र में संचालित जैश-ए-मोहम्मद (Jaish-e-Mohammed) के ट्रेनिंग कैंप में प्रशिक्षण हासिल किया था। इन्हें कट्टरता का जबरदस्त पाठ पढ़ाया गया था ताकि आईईडी लगाते वक्त इरादे न बदलें। पाकिस्तान में सत्ता परिवर्तन के बाद पहली बार सीमा पार से घुसपैठ कर आत्मघाती हमले की नापाक कोशिश ने सुरक्षा बलों को अलर्ट कर दिया है। पिछले ढाई साल से कश्मीर में इस तरह की एक भी कोशिश नहीं हो पाई है, जबकि जम्मू में एयरपोर्ट पर ड्रोन हमले के बाद सुंजवां की घटना सामने है।
पाकिस्तान और उसकी खुफिया एजेंसी आईएसआई ने जम्मू को निशाने पर लिया
दरअसल कश्मीर में सुरक्षा बलों की सख्ती के बाद अब पाकिस्तान और उसकी खुफिया एजेंसी आईएसआई ने जम्मू को निशाने पर लिया है। जम्मू को दहलाने के लिए साजिश के तहत पिछले कुछ महीनों से अपने आतंकी नेटवर्क को मजबूत करने की कोशिश की है। पाकिस्तानी के लिए अंतरराष्ट्रीय सीमा से घुसपैठ कर जम्मू, सांबा व कठुआ में हमला करना आसान है। पहले भी सांबा, कठुआ व जम्मू में अंतरराष्ट्रीय सीमा से घुसपैठ करने के बाद हमले हो चुके हैं। सूत्रों के अनुसार घुसपैठ के पहाड़ी रूटों पर बर्फ पिघलने पर और अमरनाथ यात्रा के मद्देनजर इन दिनों कश्मीर में सख्ती और बढ़ा दी गई है। इसके चलते आईएसआई और आतंकी तंजीमों के कश्मीर में मंसूबे पूरे नहीं हो पा रहे हैं।
पाकिस्तान की हमेशा से ही जम्मू-कश्मीर में अस्थिरता पैदा करने की साजिश
यही वजह है कि अब जम्मू संभाग को टारगेट पर रखने का षड्यंत्र रचा गया है। केंद्रीय विश्वविद्यालय जम्मू के राष्ट्रीय सुरक्षा अध्ययन स्कूल के डॉ. जे जगन्नाथन का कहना है कि पाकिस्तान की हमेशा से ही जम्मू-कश्मीर में अस्थिरता पैदा करने की साजिश रही है, लेकिन इमरान खान के सत्ता से हटने के कुछ ही दिनों बाद फिदायीन हमले का षड्यंत्र निश्चित रूप से चिंता का विषय है। अभी पाकिस्तान में सरकार स्थिर भी नहीं हो पाई है कि पड़ोसी देश के साथ इस तरह का व्यवहार शुरू कर दिया गया है। इस दिशा में विचार करना चाहिए।
ओजीडब्ल्यू की भूमिका की भी जांच
हमले में स्थानीय लोगों की मिलीभगत से भी इनकार नहीं किया जा सकता है। खुफिया एजेंसी से जुड़े सूत्रों ने बताया कि कई बिंदुओं को ध्यान में रखकर जांच चल रही है। इन फिदायीनों के अंतरराष्ट्रीय सीमा से ताजा घुसपैठ के इनपुट हैं। ऐसे में बॉर्डर से शहर के बाहरी इलाके सुंजवां तक पहुंचने में ओवर ग्राउंड वर्कर (ओजीडब्ल्यू) और बॉर्डर इलाके में सक्रिय स्लीपिंग मॉड्यूल की भूमिका भी जांच के घेरे में है। पाकिस्तान की ओर से सीमावर्ती इलाकों में ओजीडब्ल्यू नेटवर्क को मजबूत करने की कोशिशें हो रही हैं क्योंकि ड्रोन से हथियारों व ड्रग्स की तस्करी के पीछे इनका ही हाथ है। बॉर्डर इलाके से ये सुरक्षित ठिकाने तक हथियारों की सप्लाई करते हैं। डीजीपी दिलबाग सिंह का कहना है कि कुछ सुराग मिले हैं। इस दिशा में जांच की जा रही है।
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