सीतापुर । उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) की सीतापुर (Sitapur) में बंद पूर्व मंत्री और सपा विधायक आजम खान (Aajam Khan) से मिलने के लिए प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के अध्यक्ष शिवपाल यादव (Shivpal Yadav) जेल पहुंचे हैं। आजम और शिवपाल की मुलाकात में आगे की रणनीति तय होगी। क्या सपा के साथ आगे रहना है या किसी और प्लान के तहत राजनीति करनी है यह भी तय होगा। वहीं सियासी गलियारों में आजम और शिवपाल की मुलाकात को लेकर तरह-तरह के कयास जाने लगे हैं। एक साथ होने की अटकलें भी तेज हो गई हैं।
अखिलेश यादव से तल्खी के बीच शिवपाल यादव शुक्रवार की सुबह सीतापुर जेल में बंद सपा नेता मोहम्मद आजम खान से मिलने पहुंचे। शुक्रवार को सुबह 9.45 शिवपाल यादव जेल पहुंच गए। 10.50 बजे तक उनसे बातचीत होती रही अभी वह जेल के अंदर हैं। और बातचीत कर रहे हैं। शुक्रवार को मुलाकातियों का दिन होने की वजह से शिवापाल यादव ने शुक्रवार को चुना है। वैसे एक सप्ताह पूर्व ही शिवपाल के आने के कयास लग रहे थे। उनके जेल पहुंचते ही पूरा अमला लग गया।
आजम खान सहित कई मुस्लिम नेता नाराज
समाजवादी पार्टी में आजकल अखिलेश यादव से एक तरफ आजम खान सहित कई मुस्लिम नेता नाराज चल रहे हैं तो दूसरी तरफ चाचा शिवपाल सिंह यादव से भी सियासी रार छिड़ी हुई है। इस बीच बुधवार को रालोद अध्यक्ष जयंत चौधरी ने रामपुर में आजम खान के परिवार से मुलाकात की। इस पर गुरुवार को शिवपाल सिंह यादव ने कहा, ‘राजनीति में शिष्टाचार भेंट होती रहती हैं और होनी भी चाहिए। हम भी कहीं न कहीं अब बहुत जल्दी उनसे भेंट करना चाहेंगे। वैसे तो उनका परिवार लगातार हमारे सम्पर्क में है और शीघ्र ही हम भी कोशिश करेंगे कि आजम भाई से मुलाकात करें।
जुदा राहों पर बढ़ते अखिलेश व शिवपाल
अखिलेश यादव व शिवपाल के नए रुख से दोनों की राहें जुदा होती नजर आ रही हैं। ऐसा लग रहा है कि सपा नहीं चाहती कि शिवपाल यादव पार्टी में बने रहें और शिवपाल भी यहां से बाहर निकलने की वजह ढूंढ रहे हैं। उनके लिए सबसे मुफीद यही है कि सपा उनको निष्कासित कर दे।
शिवपाल खुद पार्टी छोड़ने के मूड में नहीं
शिवपाल यादव ने गुरुवार को सपा मुखिया पर पलटवार कर अपने इरादे जता दिए हैं। वह खुद पार्टी छोड़ने के मूड में नहीं हैं। इससे उनकी विधायकी पर संकट आ सकता है। इसलिए उन्होंने खुद ही कह दिया कि सपा चाहे तो उन्हें निकाल दे। सपा यह कदम उठाने से बचना चाहती है। अगर पार्टी से निकाला तो शिवपाल यादव परिवार व समर्थकों के बीच सहानुभूति पाएंगे। साथ ही उनकी सदस्यता खत्म कराना भी खासा मुश्किल होगा। असल में सपा ने पिछली विधानसभा में भी शिवपाल यादव की सदस्यता खत्म करने के लिए विधानसभा अध्यक्ष को चिट्ठी भेजी थी। बाद में वह पत्र उन्होंने वापस ले लिया। लगा चाचा भतीजा अब करीब आ गए हैं। चुनाव में करीब आए भी। शिवपाल सपा विधायक हो गए लेकिन यह वक्ती समझौता साबित हुआ। नतीजे आते ही बिखरने लगा।
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