– डॉ. दिलीप अग्निहोत्री
रक्षा तैयारियों की दृष्टि से वर्तमान सरकार का कार्यकाल अभूतपूर्व रहा है। इस दौरान अनेक मोर्चों पर एक साथ कार्य किया गया। वर्षों से लंबित रक्षा समझौतों को पूरा किया गया। राफेल जैसे लड़ाकू विमान भारतीय वायुसेना में शामिल हुए। रूस के साथ रक्षा समझौते का क्रियान्वयन शुरू हुआ। इसके साथ ही रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर भारत अभियान को प्रभावी रूप में आगे बढ़ाया गया। भारत अब रक्षा उत्पाद का प्रमुख निर्यातक बन रहा है। पचहत्तर देशों को भारत द्वारा रक्षा उत्पाद निर्यात किये जा रहे है। सीमा क्षेत्र पर व्यापक निर्माण कार्य किये गए।
इस क्रम में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अमेरिका यात्रा उपयोगी रही। उनकी यात्रा ऐसे समय में हुई जब रूस-यूक्रेन युद्ध चर्चा में है। इसमें नाटो देश भी लाचार नजर आ रहे हैं। भारत से ही सर्वाधिक अपेक्षा की जा रही है। रूस व यूक्रेन के राष्ट्रपति, भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से वार्ता कर चुके हैं। रूस के विदेश मंत्री कुछ दिन पहले नई दिल्ली आए थे। अमेरिका भी भारत के महत्व को समझ रहा है। राजनाथ सिंह की पेंटागन में अमेरिकी रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन के साथ इसी माहौल में मुलाकात हुई। इसमें द्विपक्षीय रक्षा सहयोग के सभी पहलुओं और क्षेत्रीय सुरक्षा स्थिति पर विचार-विमर्श किया गया। इसके अलावा राजनाथ सिंह ने व्हाइट हाउस में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन से मुलाकात की। उन्होंने भारत-अमेरिका के वर्चुअल शिखर सम्मेलन में भाग लिया। जिसे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति ने संबोधित किया।
राजनाथ सिंह और ऑस्टिन वार्ता के बाद साझा बयान जारी किया गया। इसमें कहा गया कि दोनों देश रक्षा साझेदारी को मजबूत करने और द्विपक्षीय रक्षा सहयोग में गुणवत्ता और दायरे को आगे बढ़ाने के लिए मिलकर काम करेंगे। सैन्य संबंध सूचना साझाकरण, उन्नत रसद सहयोग और संगत संचार व्यवस्था के तहत सशस्त्र बलों की क्षमता पर विचार किया गया। विशेष ऑपरेशन संबंधी सहयोग बढ़ाया जाएगा। दोनों देशों के रक्षा उद्योगों के बीच सहयोग भी मजबूत होगा। भारत और अमेरिकी कंपनियों के बीच सह विकास, सह उत्पादन की आवश्यकता है। रक्षा उपकरणों के निर्माण और रखरखाव के लिए अमेरिकी कंपनियों को भारत में आमंत्रित किया गया। द्विपक्षीय रक्षा सहयोग और क्षेत्रीय सुरक्षा स्थिति के सभी पहलुओं की समीक्षा की गई। हिंद प्रशांत और व्यापक हिंद महासागर क्षेत्र में शांति, स्थिरता और समृद्धि के लिए भारत-अमेरिका रक्षा साझेदारी के महत्व को स्वीकार किया।
भारत अमेरिका के बीच टू प्लस टू मंत्री स्तरीय वार्ता हुई। राजनाथ सिंह व एस जयशंकर ने अमेरिकी समकक्षों के साथ टू प्लस टू वार्ता में हिस्सा लिया। दोनों देशों के बीच पिछली टू प्लस टू मंत्री स्तरीय वार्ता दो वर्ष पूर्व नई दिल्ली में आयोजित की गई थी। भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका ने पिछले साल सितंबर में वाशिंगटन में द्विपक्षीय टू प्लस टू अंतर-सत्रीय बैठक की और दक्षिण एशिया, भारत-प्रशांत क्षेत्र और पश्चिमी हिंद महासागर में विकास पर आकलन का आदान-प्रदान किया था। इसी क्रम में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अमेरिकी वाणिज्य सचिव रैमोंडो से वार्ता की। दोनों देशों के बीच आर्थिक साझेदारी को आगे बढ़ाने पर चर्चा की गई। हमारा लक्ष्य आपूर्ति परिवर्तन के लचीलेपन और विश्वसनीयता और व्यापार में विश्वास और पारदर्शिता को बढ़ाना है। जयशंकर ने व्यापार मामलों की राजदूत कैथरीन से भी मुलाकात की। इसमें द्विपक्षीय व्यापार पर चर्चा और वैश्विक स्थिति पर विचार किया गया।
इस दौरान राष्ट्रपति बाइडेन और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की वुर्चअल बैठक भी महत्वपूर्ण रही। इस बैठक पर दुनिया की निगाहें थीं। इसमें रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और विदेश मंत्री एस जयशंकर भी अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के साथ शामिल हुए थे। चार चरणों में हुई वार्ता द्विपक्षीय संबंधों की दृष्टि से उपयोगी रही। अमेरिका ने भारत को आश्वस्त किया कि चीन के बढ़ते आक्रामक रुख के विरुद्ध सहायता देगा। बाइडेन ने यूक्रेन के लोगों को भारत की ओर से भेजी गई मानवीय सहायता का स्वागत किया। अमेरिकी विदेश विभाग ने अपने आधिकारिक बयान में कहा है कि संयुक्त राज्य अमेरिका भारत प्रशांत क्षेत्र की सुरक्षा और कानून के शासन को बढ़ावा देने के लिए भारत और क्वाड भागीदारों के साथ काम करना जारी रखेगा। आर्थिक सुधार और जलवायु परिवर्तन जैसी चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए भारत और क्वाड भागीदारों के साथ काम करता रहेगा।
अमेरिका इस बात से अवगत है कि भारत और रूस स्वाभाविक सहयोगी हैं। भारत किसी तीसरे देश के साथ अपने संबंधों को राष्ट्रीय हितों को देखते हुए प्रतिकूल प्रभाव डालने की अनुमति नहीं देगा। राजनाथ सिंह ने भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा तैयारियों पर यूक्रेन में जारी युद्ध की वजह से पड़ने वाले किसी भी प्रभाव से इनकार किया। हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए कोई समस्या होगी। भारत के पास यह सुनिश्चित करने की क्षमता है कि अगर कोई समस्या आती है तो वह उससे निपट सकता है।
राजनाथ सिंह को अमेरिका के रक्षा विभाग के मुख्यालय पेंटागन में विशिष्ट सम्मान दिया गया। विशिष्ट सम्मान बेहद खास अतिथियों को ही दिया जाता है। सामान्य सम्मान के तहत अतिथियों का पेंटागन की सीढ़ियों पर सम्मान किया जाता है। हाथ मिलाकर उनका स्वागत किया जाता है। विशिष्ट सम्मान के तहत दोनों देशों के राष्ट्रगान बजाए जाते हैं।
राजनाथ सिंह ने कहा कि दोनों देशों के संबंधों में स्थिरता और निरंतरता है। इसे बनाए रखने में दोनों देशों की अहम भूमिका रही है। राजनाथ सिंह ने चीन को भी कड़ा संदेश दिया। कहा कि अगर हमें नुकसान पहुंचा तो भारत किसी को नहीं छोड़ेगा। राजनाथ सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत एक शक्तिशाली देश के रूप में उभरा है और हम दुनिया की शीर्ष तीन अर्थव्यवस्थाओं में शामिल होने का लक्ष्य लेकर चल रहे हैं। किसी देश के साथ हमारे संबंध किसी अन्य देश के साथ संबंधों की कीमत पर नहीं हो सकते।
(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)
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