-अम्बरीष कुमार सक्सेना
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कुशल नेतृत्व में प्रदेश के सिंचाई व बाढ़ नियन्त्रण विभाग द्वारा वर्षाकाल से पूर्व तटबन्धों पर सुरक्षित स्तर तक परियोजना व अनुरक्षण कार्य कराये जाने के साथ-साथ सतत चौकसी बरतने, तटबंधों पर पेट्रोलिंग करने एवं क्षेत्र में बाढ़ सुरक्षा समितियां बनाकर उनसे लगातार समन्वय स्थापित करने तथा जहं कहीं भी तटबन्ध में कटान की सूचना प्राप्त हुई, वहां द्रूत गति से फ्लड फाइटिंग कार्य किया गया। सरकार द्वारा त्वरित गति से किये गये कार्यों के फलस्वरूप तटबंधों के क्षतिग्रस्त होने के कारण जल प्लावन, जन धन की हानि एवं फसलों की हानि लगभग शून्य हो गई। तटबंध के किनारे बसी जनता ने पहली बार अपने आपको वर्षाकाल में भी सिंचाई विभाग की उक्त कार्य प्रणाली के कारण अपने को सुरक्षित महसूस किया।
प्रदेश सरकार द्वारा वर्तमान नदियों के कैचमेण्ट में अतिवृष्टि होने की दशा में नदियों के विभिन्न स्थानों पर जलग्रहण करने से लेकर उ0प्र0 की सीमाओं में विभिन्न स्थानों पर पड़ने वाले स्थानों का उच्च स्तर पर अनुरक्षण कर जिला प्रशासन एवं संबंधित अधिकारियों को बाढ़ से निपटने की तैयारियों के लिए चेतावनी दी गयी थी। इस कार्य प्रणाली के कारण उ0प्र0 की सीमाओं से सटे हुए प्रदेशों एवं नेपाल राष्ट्र में अतिवृष्टि के फलस्वरूप यमुना, चम्बल, केन, बेतवा, रिहन्द, घाघरा (सरयू) राप्ती, रोहिन, गण्डक, गंगा में प्रवाहित होने वाले 22 लाख क्यूसेक तक के डिस्चार्ज को भी सुगमता से उ0प्र0 की सीमाओं में परिवहन किया गया जबकि उक्त अतिवृष्टि के कारण प्रदेश से लगे हुए राज्य यथा हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश, बिहार, बाढ़ की विभीषिका से बुरी तरह त्रस्त हुए थे।
इस वर्ष भी वर्तमान समय में नदियों में भारी जल प्रवाह का सुगमतापूर्वक परिवहन हो रहा है। सरकार की सुव्यवस्थित सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग के अधिकारियों/कर्मचारियों द्वारा दिन-रात सतत निगरानी की जा रही है। संवेदनशील स्थलों पर आवश्यकतानुसार तत्काल कार्य कराकर सुरक्षित किया जाता रहा है। प्रदेश में बाढ़ की स्थिति नियन्त्रण में रही।
प्रदेश सरकार द्वारा अभूतपूर्व कदम उठाते हुए प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों के जलप्लावन को न्यून करने के उद्देश्य से समस्त ड्रेनों की सफाई कराये जाने का अभियान प्रारम्भ किया गया है, जो इससे पूर्व कभी नहीं हुआ था। इसके अंतर्गत सिंचाई विभाग की डेªनों को पूर्ण लम्बाई में सफाई करायी जा रही है। इस कार्यक्रम में डेªन पर क्षतिग्रस्त पुल/पुलियों की मरम्मत व रंग-रोगन कराया जा रहा है। इस अभिनव अभियान की प्रदेश की जनता द्वारा स्वागत किया जा रहा है। यह कार्य पूर्ण होने से ग्रामीण क्षेत्रों में जलप्लावन न्यून हुआ है।
नदियों में वर्षाकाल के समय अत्यधिक मात्रा में सेडीमेन्टेशन ले जाने के कारण शोल के निर्माण के फलस्वरूप नदी के बैकों पर अत्यधिक दबाव को कम करने के दृष्टिगत शोल के मध्य चौनलाईजेशन का कार्य डेªजर द्वारा करने से नदी के बैकों में कटान को न्यूनतम किया जा रहा है। जनपद गोण्डा में घाघरा नदी पर स्थित एल्गिन-चरसरी तटबंध, जनपद बलरामपुर में ग्राम-चन्दापुर, जनपद बस्ती में कलवारी रामपुर एवं कटरिया चॉदपुर, जनपद गोरखपुर में खड़गपुर, साहपुर, सोपाई, भग्ने एवं मलौनी ग्राम के निकट लहसड़ी, जनपद कुशीनगर में अहिरौलीदान के निकट ड्रेजिंग के कार्य सफल रहे हैं। डेªजिंग के फलस्वरूप वर्षाकाल में बॉधों पर दबाव न्यूनतम रहते हुए वर्षाकाल के उपरान्त उक्त क्षेत्र में सिल्टेशन होना दृष्टिगत हुआ है, जिससे कृषि भूमि का रिस्टोरेशन हुआ है।
प्रदेश सरकार ने बाढ़ के समय तटबन्धों के रेनकट्स, गड्ढे, रैटहोल एवं कटान आदि ठीक किये हैं एवं वर्षा के अवधि में जो भी रेनकट्स हुए उन्हें तत्काल ठीक कराया गया। संवेदनशील/अतिसंवेदनशील स्थलों पर रिजर्व स्टॉक की पूर्ण व्यवस्था की गयी। बाढ़ चौकियां क्रियाशील रहीं, जहॉ से भी कटान की सूचना प्राप्त हुयी, उस पर तत्काल एवं त्वरित कार्यवाही की गयी। प्रदेश में 48 स्थानों पर 24 घण्टे बाढ़ नियंत्रण कक्ष 15 जून से 15 अक्टूबर तक क्रियाशील रहे। बाढ़ सूचनाओं की चेतावनी ;।समतजद्ध हेतु 113 बेतार केन्द्र क्रियाशील रहे। अतिसंवेदनशील स्थलों जिन पर बाढ़ परियोजनाएं स्वीकृत नहीं रही, उन पर अनुरक्षण मद से यथा आवश्यक कार्य कराकर सुरक्षा प्रदान की गयी जिन स्थानों पर नदी द्वारा कटान किया गया, वहॉ त्वरित गति से फ्लड फाइटिंग का कार्य कराये गये। संवेदनशील स्थलों पर अधिकारियों द्वारा कैम्प कर अनुश्रवण किया गया। सभी अतिसंवेदनशील स्थलों/तटबन्धों पर जनरेटर, लाइट, पेट्रोमेक्स एवं गार्डों द्वारा निगरानी की व्यवस्था की गयी। विभाग द्वारा जिला प्रशासन के साथ समन्वय स्थापित कर बाढ़ बचाव कार्य कराये गये, जिससे प्रदेश में कही बाढ़ की स्थिति नहीं आई।
प्रदेश में बाढ़ प्रभावित 24 जनपद अतिसंवेदनशील एवं 16 जनपद संवेदनशील जनपद हैं। बाढ़ से बचाव हेतु विभिन्न नदियों पर 523 तटबन्ध (लम्बाई 3869.00 किमी0) निर्मित है। सिंचाई विभाग के अंतर्गत 10675 नाले (लंबाई लगभग 59212.00 कि0मी0) है। इस वर्ष 2021-22 में 23043 किमी0 नालों की सफाई की गई है। वर्ष 2021-22 में 166 बाढ़ परियोजनाएं पूर्ण की गयी। वर्षाकाल में तटबन्धों की लगातार निगरानी व आकस्मिक स्थिति उत्पन्न होने पर तत्काल बचाव/सुरक्षा की व्यवस्था की गयी है। उत्तर प्रदेश के पड़ोसी राज्यों एवं नेपाल राष्ट्र से आने वाली नदियों के दृष्टिगत पड़ोसी राज्यों, दिल्ली, राजस्थान, हरियाणा, उत्तराखण्ड, बिहार, मध्य प्रदेश से समन्वय एवं नेपाल राष्ट्र से बाढ़ प्रबन्धन हेतु समन्वय किया गया। जिसके कारण बाढ़ नियंत्रण में रही।
(लेखक हिन्दुस्थान समाचार एजेंसी से सम्बद्ध हैं)
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved