हम जो कुछ भी खाते हैं उसका हमारे स्वास्थ्य पर काफी असर पड़ता है। ऐसे में पौष्टिक भोजन (Nutritious food) का सेवन करना बेहद ही जरूरी है। वहीं हम जो खा रहे हैं वो अच्छे से पचे, बेहतर स्वास्थ्य के लिए यह जरूरी है। अगर हम अनहेल्दी फैट (unhealthy fat) बहुत ज्यादा मात्रा में लेते हैं तो यह आपको नुकसान पहुंचा सकता है। वहीं हेल्दी फैट काफी फायदेमंद (beneficial) होते हैं। लेकिन फैट को फायदा लेने के लिए उसे पचाना बहुत ही ज्यादा जरूरी होता है। कभी-कभी फैट को हमारा शरीर पचा नहीं पाता है और इसका फायदा हमारे शरीर तक नहीं पहुंच पाता है जिसे फैट इनडाइजेशन (Fat Induction) की समस्या आती है। जमशेदपुर के बिष्टुपुर के हॉस्पिटल की डायटीशियन डॉ. एस गुहा बताती हैं कि कुछ लक्षणों से हम फैट इनडाइजेशन को पहचान सकते हैं।
क्या होता है फैट इनडाइजेशन (Fat Induction)
एक्सपर्ट बताती हैं कि फैट डायरेक्ट पेट में नहीं पचता है। फैट की पाचन प्रक्रिया मुंह से चालू हो जाती है। जब फैट को चबाते हैं यहीं से फैट के ब्रेकडाउन की प्रक्रिया शुरू हो जाती है। फैट को पानी ब्रेक नहीं कर सकता है। सलाइवा फैट को छोटे-छोटे टुकड़ों में इसे कन्वर्ट कर देता है। इसलिए डॉक्टर हमेशा सलाह देते हैं कि आपको अपना खाना चबाकर खाना चाहिए। इससे फैट को पचने में आसानी होती है। मुंह में फैट को अच्छे से चबाते हैं तो यह पेट में जाकर तेजी पचता है। अगर मुंह से सही ढंग से फैट को नहीं चबा पाएं तो फैट पेट में जाकर नहीं पचता है। जिससे फैट इनडायटेशन कहते हैं।
लोगों को लगता है कि वसा के अधिक सेवन से मोटापा के साथ-साथ हार्ट डिजीज होने का भी खतरा बढ़ जाता है. लेकिन, वास्तव में ऐसा होता नहीं है। अन्य पोषक तत्व जैसे प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट्स की ही तरह फैट भी बेहद महत्वपूर्ण मैक्रोन्यूट्रिएंट्स होता, जिसकी जरूरत शरीर को हर दिन की एक्टिविटीज को सही ढंग से करने के लिए अधिक मात्रा में पड़ती है। यह एक तरह का लिपिड प्रोटीन होता है, जो शरीर को ऊर्जा, अंगों को सुरक्षित रखता है, कोशिकाओं को बढ़ने और पुनरनिर्माण में मदद करता है, शरीर को गर्म रखता है।
आप दिन भर में जो कुछ भी खाते हैं, उसमें फैट की मात्रा थोड़ी बहुत होती ही है. फर्क बस इतना है कि कुछ फैट्स सेहत के लिए स्वास्थ्यवर्धक होते हैं, तो कुछ कई शारीरिक रोगों का कारण बनते हैं, हालांकि, शरीर के आंतरिक अंगों को स्वस्थ, निरोग और सही तरीके से कार्य करने के लिए हेल्दी फैट की जितनी जरूरत होती है, उतना ही वसा को शरीर में पचने (fat indigestion) की भी जरूरत होती है। कई बार आप फैट का सेवन करते हैं, लेकिन वह ठीक से डाइजेस्ट नहीं हो पाता है, जिस वजह से कई संकेत और लक्षण नजर आ सकते हैं।
मल के रंग से जानें
एक रिपोर्ट के अनुसार, आप अपने स्टूल यानी मल से भी अपनी सेहत का हाल जान सकते हैं। यदि मल को टॉयलेट बाउल में मौजूद पानी में ऊपर देखते हैं, तो इसका मतलब है कि शरीर में फैट यानी वसा ठीक से पचा नहीं है। आप मल के रंग पर भी ध्यान दें, कई बार इस तरह के मल के रंग हल्के होते हैं और फ्लश करने के बाद भी सतह पर लौटते हैं। अगर ऐसा कभी-कभार होता है, तो चिंता की कोई बात नहीं है। जब पेट वसा को ठीक से पचाता है, तो मल का रंग मध्य से गहरा भूरा होता है और उसमें से बदबू भी आती है।
एक्सपर्ट के अनुसार जो लोग अधिक तैलीय, मसालेदार चीजों को सेवन करते हैं या फिर जल्दी-जल्दी भोजन करते हैं, उनमें सीने में जलन की समस्या होना आम बात है, लेकिन, जब आप स्वस्थ और पौष्टिक तत्वों से भरपूर खाना खाने के बाद भी सीने में जलन या हार्टबर्न की समस्या महसूस करते हैं, तो यह फैट ना पचने का संकेत हो सकता है। ऐसा बार-बार हो तो बिना देर किए डॉक्टर से संपर्क करें। सीने में जलन की समस्या कई बार हार्ट डिजीज की तरफ भी इशारा करती है।
फैट इनडाइजेशन के उपाए-Fat Induction Remedies
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