मुंबई। दाउद इब्राहिम की संपत्तियों की खरीद फरोख्त व मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार चल रहे एनसीपी नेता नवाब मलिक को एक बार फिर से झटका लगा है। विशेष अदालत ने मलिक की हिरासत को फिर से बढ़ा दिया है। वह 22 अप्रैल तक न्यायिक हिरासत में ही रहेंगे।
इससे पहले नवाब मलिक चार अप्रैल को कोर्ट में पेश हुए थे, जब कोर्ट ने 18 अप्रैल तक उनकी हिरासत को बढ़ा दिया था। इस दौरान मलिक ने कोर्ट से घर के खाने व दवाओं की मांग की थी। इसके साथ ही उन्होंने अपनी गिरफ्तारी को अवैध व संविधान के खिलाफ बताया था।
सुप्रीम कोर्ट का खटखटाया था दरवाजा
मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार चल रहे राकांपा नेता नवाब मलिक ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था । मलिक ने बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर रिहाई की मांग की थी। दरअसल, हाई कोर्ट ने रिहाई की मांग वाले उनके अंतरिम आवेदन को खारिज कर दिया था। इसके बाद चीफ जस्टिस ने संबंधित मामले में जल्द ही सुनवाई का आश्वासन दिया है।
फरवरी में हुए थे गिरफ्तार
62 साल के मलिक को फरवरी अंत में ईडी ने गिरफ्तार किया था। उन पर दाउद इब्राहिम की प्रॉपर्टी से जुड़े मामलों को लेकर मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया गया है। वह अभी न्यायिक हिरासत में जेल में है। ईडी की टीम ने 23 फरवरी की सुबह करीब सात बजे उनके घर पर छापेमारी की थी। इसके बाद ईडी उन्हें अपने साथ ले आई थी। करीब छह घंटे पूछताछ के बाद उनकी गिरफ्तारी हुई थी।
करोड़ों की जमीन कौड़ियों की खरीद मामले में हुई थी गिरफ्तारी
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मलिक की गिरफ्तारी के बाद पूरी कहानी का पर्दाफाश किया था। ईडी ने कोर्ट में बताया था कि, मंत्री नवाब मलिक ने कथित रूप से मुनिरा प्लंबर से 300 करोड़ रुपये का प्लाट कुछ लाख रुपये में एक कंपनी के जरिये हड़पा था। इस कंपनी का नाम सॉलिड्स इन्वेस्टमेंट प्रा.लि. है और कंपनी का मालिक मलिक परिवार है।
ईडी ने आरोप लगाया था कि मलिक यह कंपनी भगोड़े डॉन दाउद इब्राहिम की बहन हसीना पारकर और डी गैंग के अन्य सदस्यों के सहयोग से चलाते रहे हैं। इस संबंध में मुनिरा प्लंबर ने ईडी को दिए बयान में बताया कि कुर्ला में गोवाला कंपाउंड में उनका 3 एकड़ का प्लॉट था। इस जमीन पर अवैध कब्जे को खाली कराने और विवादों को निपटाने के लिए सलीम पटेल ने उससे पांच लाख रुपये लिए थे, लेकिन उसने यह जमीन थर्ड पार्टी को बेच दी जबकि सलीम को कभी प्रापर्टी को बेचने के लिए नहीं कहा था। यही नहीं, 18 जुलाई 2003 को जमीन के मालिकाना हक ट्रांसफर करने से संबंधित कागज पर ही हस्ताक्षर नहीं किया था। उन्हें इस बात की भनक नहीं थी कि सलीम पटेल ने यह जमीन किसी दूसरे को बेच दी है।
वहीं, इस जमीन से जुड़े कागजातों को खंगालने के बाद ईडी को पता चला कि इसके पीछे सरदार शाहवली खान है जो 1993 के मुंबई बम धमाके का आरोपी है। वह डाटा और मकोका के तहत औरंगाबाद की जेल में आजीवन कारावास की सजा भुगत रहा है। शाहवली खान ने ईडी को बताया था कि सलीम पटेल भगोड़े डॉन दाउद इब्राहिम की बहन हसीना पारकर का करीबी था। हसीना के निर्देश पर ही सलीम ने मुनिरा की जमीन के बारे में सभी फैसले लिए थे।
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