नई दिल्ली । दिल्ली के रोहिणी कोर्ट ने जहांगीरपुरी हिंसा मामले (Delhi’s Rohini Court on Jahangirpuri Violence Case) के दो मुख्य आरोपितों को एक दिन की पुलिस हिरासत (police custody) और अन्य 12 आरोपितों को 14 दिनों की न्यायिक हिरासत (judicial custody) में भेजने का आदेश दिया है।
दिल्ली पुलिस ने रविवार को इन आरोपितों को रोहिणी कोर्ट के ड्यूटी मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया। दिल्ली पुलिस ने इन आरोपितों में से दो मुख्य आरोपितों- अंसार और मोहम्मद असलम पर पूरी साजिश रचने का आरोप लगाया। दिल्ली पुलिस ने कहा कि अंसार और असलम को शोभायात्रा की जानकारी 15 अप्रैल को लग गई थी, जिसके बाद उसने हिंसा की साजिश रची। दिल्ली पुलिस ने दोनों से पूछताछ के लिए हिरासत की मांग की, जिसके बाद कोर्ट ने अंसार और मोहम्मद असलम को एक दिन की पुलिस हिरासत में भेजने का आदेश दिया।
दिल्ली पुलिस ने कहा कि हमें सीसीटीवी फुटेज के जरिये बाकी आरोपितों का पता करना है। दिल्ली पुलिस ने आज जिन आरोपितों को कोर्ट में पेश किया उनमें अंसार, जाहिद, शहजाद, मुख्तार अली, मोहम्मद अली, आमिर, अक्सार, नूर आलम, मोहम्मद असलम, जाकिर, अकरम, इम्तियाज, मोहम्मद अली और अहीर शामिल हैं।
सुप्रीम कोर्ट पहुंचा मामला, कोर्ट की निगरानी में जांच की मांग
दिल्ली के जहांगीरपुरी में हुई हिंसा का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच चुका है। कोर्ट में याचिका दायर कर हिंसा की जांच के लिए कमेटी गठित करने की मांग की गई है। याचिकाकर्ता की ओर से अपील की गई है कि हिंसा की जांच के लिए मौजूदा जज की अध्यक्षता में कमेटी गठित कराई जाए और पूरी जांच कमेटी की ही निगरानी में कराई जाए।
इस मामले में वकील अमृतपाल सिंह खालसा ने अपनी याचिका में कहा कि इसी अदालत ने 2020 में दंगे रोकने में विफल रहने पर दिल्ली पुलिस को फटकार लगाई थी। पुलिस की छवि कमजोर हुई है और लोगों का उस पर विश्वास कम हुआ है। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि दिल्ली पुलिस की अब तक की जांच पक्षपाती और दंगों की तैयारी करने वालों को सीधे तौर पर बचाने वाली रही है। वकील ने कहा कि ऐसा दूसरी बार है जब राजधानी में दंगे हुए हैं। इस बार भी केवल अल्पसंख्यकों को ही निशाना बनाया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि 16 अप्रैल को हनुमान जयंती के मौके पर जहांगीरपुरी में शोभायात्रा के दौरान हिंसा की घटना हुई थी।
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