नई दिल्ली। कुछ महीने से महंगाई बढ़ रही है। जब भी ऐसा होता है तो ब्याज दरों में बढ़ोतरी का रुझान होता है। पिछले दो वर्षों से, रिजर्व बैंक ने ब्याज दरों को नीचे की ओर ही रखा है। बैंक होम लोन को रेपो रेट के आधार पर तय किया जाता है। रेपो रेट कोरोना की शुरुआत से जस का तस बना हुआ है। यदि महंगाई में इसी प्रकार की तेजी बनी रहती है तो ब्याज दरों में फिर से बढ़ोतरी हो सकती है। ऐसा अनुमान है कि जून की मौद्रिक नीति की समीक्षा में यह हो भी सकता है।
रेपो रेट बदलने से ब्याज दरें भी बदलेंगी
रेपो रेट में बदलाव के साथ, बैंक से लिए गए होम लोन की ब्याज दर में उतना ही परिवर्तन होगा। मान लीजिए कि इस वर्ष रेपो रेट बढ़कर 4 से 4.25 फीसदी हो जाता है, तो परिणामस्वरूप आपके होम लोन के ब्याज में भी इतने ही मार्जिन की बढ़ोतरी हो जाएगी।
बढ़ोतरी ऐसे चोट पहुंचाएगी
होम लोन की ब्याज दरें बढ़ती हैं तो इससे आपकी किस्त की अवधि बढ़ जाएगी या फिर हर महीने भुगतान की जाने वाली रकम बढ़ सकती है। उदाहरण के लिए, आपने 7.5 फीसदी होम लोन लिया है और अब भी 15 साल में आपको 50 लाख भुगतान करना है। ऐसी स्थिति में आपकी मासिक किस्त 46,351 रुपये है। यदि ब्याज की दर बढ़कर 7.75 फीसदी हो जाती तो फिर आपकी किस्त की रकम 47,063 रुपये मासिक होगी। इससे लोन के अंत में आपको ब्याज के रूप में 1.28 लाख रुपये ज्यादा चुकाने होंगे।
कम ब्याज दर पर फिर से कराएं फाइनेंस
आपको चाहिए कि अपनी कमाई, क्रेडिट स्कोर तथा लोन बैलेंस के लिए अच्छे होम लोन की खोज करें। दर्जनों बैंक और उधारी देने वाली कंपनियां इस समय 6.95 फीसदी पर उधारी दे रही हैं। हालांकि इसमें क्रेडिट स्कोर से जुड़ी हुई शर्तें होती हैं। यानी जितना ज्यादा स्कोर, उतनी कम ब्याज दर। ऐसे में आपका क्रेडिट स्कोर अच्छा है तो आप दरों को कम करने के लिए मोल भाव कर सकते हैं या कहीं और लोन को ट्रांसफर कर सकते हैं।
किस्त को बढ़ा दें
समय के साथ आपकी कमाई बढ़ सकती है। बढ़ी हुई कमाई का इस्तेमाल किस्त को बढ़ाने के लिए करें ताकि बढ़ती दरों की चोट को कम किया जा सके। यह रीफाइनेंस और मौजूदा बैंक या कंपनी के साथ जुड़े रहने की स्थितियों में काम करता है। यदि आप कम दर पर रीफाइनेंस कराते हैं तो हो सकता है कि आपकी किस्त कम हो जाए, लेकिन पुरानी किस्त ही रखते हैं तो जिस अतिरिक्त रकम का आप भुगतान करते हैं वह लोन के मूलधन में समाहित कर ली जाएगी। उदाहरण के लिए आपने किस्त की रकम 46,351 से बढ़ाकर 48,668 कर दिया है तो लोन की अवधि 186 महीने से घटकर 170 महीने हो जाएगी।
एकमुश्त प्री-पेमेंट
यदि आप किस्त की रकम को नहीं बदलना चाहते हैं तो समय-समय पर एकमुश्त प्री-पेमेंट भी कर सकते हैं। आप हर वित्तवर्ष की शुरुआत में अपने लोन का 5 फीसदी प्री-पेमेंट कर सकते हैं। ऐसे में 50 लाख रुपये के लोन पर साल भर में 2.5 लाख रुपये आप दे सकते हैं। इससे 186 के बजाय आपको 97 महीने ही लोन भरना होगा। – आदिल शेट्टी, सीईओ, बैंक बाजार डॉटकॉम
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