भोपाल। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के चिंतन शिविर में सरसंघचालक डॉ मोहन भागवत ने कहा कि हम एकांत में साधना और लोकांत में सेवा करते रहें। धर्म की रक्षा धर्म के आचरण से होती है। हमारे गुण और धर्म ही हमारी संपदा है। हमारे अस्त्र-शस्त्र हैं। संघ किसी का प्रतिस्पर्धी नहीं है, बल्कि धर्म व राष्ट्र के उत्थान के लिए कार्यरत विभिन्न संगठन, संस्थाओं व व्यक्तियों का सहयोगी है। भागवत ने आह्वान किया कि सभी सुनियोजित रूप से परस्पर सहयोग करते हुए श्रेष्ठ मानवता का निर्माण करें। उन्होंने कहा कि सत्य, करुणा, शुचिता और परिश्रम सभी भारतीय धर्मों के मूलभूत गुण हैं।
विदेशों में पहुंच रहा है हिंदू धर्म
हिंदुत्व के वैश्विक पुनर्जागरण पर विचारक राम माधव ने कहा कि हिंदुत्व जीवन शैली नहीं, बल्कि जीवन दृष्टि है, जीवन दर्शन है। उन्होंने कहा कि आज विभिन्न आध्यात्मिक संगठनों के माध्यम से हिंदू धर्म विभिन्न देशों में पहुंच रहा है। उसका आकर्षण दिनों-दिन बढ़ रहा है। वर्तमान वैश्विक समस्याओं का समग्र समाधान हिंदू धर्म ही देता है। वह पर्यावरण की समस्या हो, स्वास्थ्य समस्या हो अथवा तकनीकी की।
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