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धीमी रफ्तार के कारण 8 सड़कों को स्मार्ट बनाने का काम शुरु नहीं हो पाया

April 17, 2022

  • अभी 9 में से 1 सड़क का काम ही चल रहा
  • 271 करोड़ की लागत से 55 सड़कों को बनाना है स्मार्ट सड़क

उज्जैन। स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत चल रहे काम कोरोना काल गुजर जाने के बाद भी गति नहीं पकड़ पाए हैं। पहले चरण में शहर की चुनिंदा 9 सड़कों की सूरत बदलना थी। 55 सड़कों में से पहले ये 9 सड़कें स्मार्ट बनाने की योजना थी लेकिन इनमें से अभी 1 सड़क का काम ही चल रहा है और बाकी की 8 सड़कों का काम शुरु तक नहीं हो पाया है। देश के 100 शहरों में स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के लिए उज्जैन को भी शामिल किया गया है। इसके लिए केन्द्र सरकार को 2298 करोड़ का प्रस्ताव केन्द्र सरकार को भेजा गया था और सिंहस्थ के बाद सितम्बर 2016 में उज्जैन को योजना में शामिल कर लिया गया था। योजना में हर साल 900 करोड़ की राशि खर्च करने का प्रावधान रखा गया है। इसके तहत कई काम अभी तक शहर में हो चुके हैं लेकिन बड़े प्रोजेक्ट में से कुछ शुरु हो पाएँ हैं और ज्यादातर की शुरुआत होनी है।



इन्हीं में एक योजना शहरी क्षेत्र की 55 सड़कों को आधुनिक और सुंदर बनाने की है। इन्हें स्मार्ट सड़क नाम दिया गया था। योजना के पहले चरण में 8 प्रमुख सड़कों को सामान्य से स्मार्ट सड़क में बदलने के कार्य में शामिल किया गया था। इसमें तय किया गया था कि उपरोक्त 8 सड़कों के अलावा देवासगेट बस स्टैण्ड से लेकर मालीपुरा, तोपखाना होते हुए महाकाल तक की सड़क को स्मार्ट सड़क में तब्दील किया जाएगा। इसके पूर्व पहले चरण में जिन 8 सड़कों को स्मार्ट सड़क बनाने के लिए शामिल किया गया था उनमें बेगमबाग मार्ग जो रामघाट से महाकाल तक पहुँचता है, महाकाल से देवासगेट तक चौराहा होते हुए चामुण्डा चौराहा तक, चिंतामण गणेश मंदिर से भूखी माता मंदिर तक, दत्त अखाड़ा से कालिदास उद्यान तक, गऊघाट से जयसिंहपुरा होते हुए नरसिंहघाट तक, इधर गीता कॉलोनी से गोपाल मंदिर तक, लालपुल से रविशंकर नगर तक तथा रविशंकर नगर से इंदौरगेट तक की सड़कों को स्मार्ट सड़कों में बदला जाना प्रस्तावित है। हालांकि स्मार्ट सिटी कंपनी अभी तक ढाँचा भवन से मक्सी रोड जीरो पाइंट ओव्हर ब्रिज तक के भाग में ही यह सड़क बना रही है। बाकी सड़कों का काम पूरी तरह शुरु नहीं हुआ है। योजना के मुताबिक जिन 55 सड़कों को स्मार्ट सड़क में तब्दील किया जाना है, वे सभी सड़कें तैयार होने के बाद बिजली के खंबे, झूलते तार, नालियों आदि से मुक्त हो जाएँगी और यहाँ भूमिगत ड्रेनेज तथा बिजली की लाईन डलेगी। सड़कों पर हरियाली और सुंदर डिवाइडर आदि भी बनाए जाएँगे। कुछ सड़कों पर पैदल चलने के लिए पार्थवे भी बनेंगे।

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