भोपाल। प्रदेश में विकास कार्यों के नाम पर अंधाधुंध कर्ज लिया जा रहा है। प्रदेश सरकार ने इस बार के बजट में जानकारी दी है कि प्रदेश के नगरीय निकाय हो या फिर कोई विभाग बिना सोच-समझ के मुख्यमंत्री अधोसंरचना के नाम पर महंगा ऋण लिया है। दरअसल, प्रदेश की अधिकांश विकास की योजनाएं कर्ज पर निर्भर हैं। सबसे महंगा ऋण प्रदेश की 361 नगरीय निकायों ने 8.50 से लेकर 10.70 प्रतिशत ब्याज दर पर लिया है। ऋण की राशि 4,967 करोड़ का लिया है। वैसे राज्य सरकार ने विभिन्न योजनाओं के लिए 47,769 करोड़ का कर्ज विभिन्न बैंकों,नाबार्ड आदि संस्थाओं से ले रखा है। इसमे सड़क, अधोसंरचना, पेयजल, बिजली से लेकर ट्रांसमिशन, जनरेटिंग, विद्युत वितरण सहित औद्योगिक कार्य भी कर्ज से ही कराए जा रहे हैं।
सबसे अधिक कर्ज स्टेट सिविल सप्लाइज पर
सबसे ज्यादा कर्ज मप्र स्टेट सिविल सप्लाइज कार्पोरेशन पर 29 हजार 400 करोड़ बकाया है। इसके अलावा मप्र पॉवर मैनेजमेंट, जनरेटिंग सहित तीनों विद्युत वितरण कंपनियों के लिए भी 7,996.83 करोड़ का कर्ज लिया गया है। भोपाल नगर निगम ने हुडको से 117.57 करोड़ का कर्ज ले रखा है। वहीं नर्मदा बेसिन प्रोजेक्ट ने 1206.37 करोड़, मप्र सड़क विकास निगम ने 4,000.00 करोड़, मप्र अर्बन डेव्लपमेंट कंपनी ने 4,967.79 करोड़, सहकारी विपणन संघ ने 1,691.33 करोड़ , वित्त विकास निगम इंदौर ने 960.72 करोड़, औद्योगिक विकास निगम ने 662.22 करोड़, खादी ग्रामोद्योग बोर्ड ने 26.02 करोड़, इंदौर सहकारी दुग्ध संघ ने 50.00 करोड़ और बिजली कंपनियों के लिए 7,996.83 करोड़ का कर्ज लिया गया है। कांग्रेस मीडिया विभाग के उपाध्यक्ष भूपेंद्र गुप्ता का कहना है कि विकास कार्यों के नाम पर महंगे ब्याज दर पर कर्ज लेकर सरकार खजाना खाली करने में लगी हुई है। वर्तमान में मप्र सरकार पर कर्ज 2.90 लाख करोड़ से अधिक हो गया है, जो कि इस साल के बजट से ज्यादा है।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved