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    ऑस्ट्रेलिया ने 14 रूसी कंपनियों पर लगाए नए प्रतिबंध, अमेरिका ने यूक्रेन को दी नई सैन्य सहायता

  • April 15, 2022


    वाशिंगटन/संयुक्त राष्ट्र। यूक्रेन में रूसी हमले का बृहस्पतिवार को 50वां दिन था। ऑस्ट्रेलिया ने बृहस्पतिवार को घोषणा की कि उसने मॉस्को के लिए आर्थिक व रणनीतिक महत्व की 14 रूसी स्वामित्व वाली कंपनियों पर वित्तीय प्रतिबंध लगाए हैं। ऑस्ट्रेलियाई विदेश मंत्री मॉइरिस पायने ने कहा, रूसी रक्षा क्षेत्र से जुड़ी कंपनियों पर प्रतिबंधों में शिपिंग कंपनियां सेवमाश और यूनाइटेड शिपबिल्डिंग, साथ ही रुइलेक्ट्रॉनिक्स शामिल हैं, जो रूस के 80 प्रतिशत इलेक्ट्रॉनिक घटकों के निर्माण के लिए जिम्मेदार है।

    बाइडन की यूक्रेन के लिए 80 करोड़ डॉलर की नई सैन्य सहायता मंजूर
    रूस द्वारा यूक्रेन के पूर्वी हिस्से में नए सिरे से हमले की आशंका के बीच अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने उसे 80 करोड़ डॉलर (6,000 करोड़ रुपये) की नई सैन्य मदद को मंजूरी दे दी है। इस मदद में अतिरिक्त हेलीकॉप्टर और अमेरिकी तोपें शामिल हैं। नई मदद में बख्तरबंद गाड़ियां, तटीय सुरक्षा के लिए नौसेना द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले ड्रोन पोत, रासायनिक, जैविक, परमाणु युद्ध और विकिरण की स्थिति में सैनिकों को बचाने के लिए पोशाक भी शामिल हैं। नई सैन्य मदद की घोषणा यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की से बाइडन की बातचीत के बाद हुई है।

    रूसी युद्धपोत ‘मोस्क्वा’ तबाह
    काला सागर क्षेत्र से यूक्रेन पर मिसाइलें बरसा रहा रूस का सबसे अहम युद्धपोत ‘मोस्क्वा’ को यूक्रेनी सेना ने तबाह कर दिया है। ओडेसा के गवर्नर मैक्सिम मार्चेंको पुष्टि की कि ब्लैक-सी की रक्षा में जुटी चेपच्यून मिसाइलों ने रूसी जहाज को यूक्रेन युद्ध के 50वें दिन गंभीर क्षति पहुंचाई है। रूसी रक्षा मंत्रालय ने भी युद्धपोत के क्षतिग्रस्त होने की पुष्टि करते हुए कहा कि चालक दल के सभी सदस्यों को सुरक्षित निकाल लिया गया है।

    रूस के लिए इस युद्धपोत की तबाही एक बड़ा झटका है। यूक्रेनी राष्ट्रपति के सलाहकार ओलेक्सी एरेस्टोविच ने कहा कि मोस्क्वा की तबाही आश्चर्य है। हमें समझ नहीं आया कि क्या हुआ? फिलहाल यह बुरी तरह लपटों में घिरा हुआ है। उधर, रूसी रक्षा मंत्रालय ने बृहस्पतिवार को कहा कि मोस्क्वा नामक युद्धपोत (मिसाइल क्रूजर) आग और गोला-बारूद के धमाके से प्रभावित हुआ है।


    12,500 टन का है गाइडेड मिसाइल क्रूजर
    रूस का मोस्क्वा युद्धपोत 600 फुट लंबा और 12,500 टन का गाइडेड मिसाइल क्रूजर है। इसे सबसे पहले साल 1979 में लॉन्च किया गया था और यह बहुत तेजी से जल रहा है। समुद्र में तूफानी मौसम होने की वजह से यह अभी पता नहीं चल पाया है कि इसे मदद दे पाएंगे या नहीं। इस युद्धपोत पर चालक दल के 510 सदस्य थे, जिन्हें सुरक्षित निकालने का दावा किया गया है। यह युद्धपोत 16 एंटी शिप वुल्कान क्रूज मिसाइलों से लैस है।

    रूस को दूसरा झटका : संयुक्त राष्ट्र की चार समितियों के लिए हुए चुनाव में हारा रूस
    विश्व निकाय की चार समितियों के लिए हुए चुनाव में रूस को शिकस्त मिली है। इसे यूक्रेन के खिलाफ युद्ध को लेकर मॉस्को के वैश्विक स्तर पर अलग-थलग पड़ने के संकेत के तौर पर देखा जा रहा है। संयुक्त राष्ट्र आर्थिक एवं सामाजिक परिषद (ईसीओएसओसी) के सहायक और संबद्ध निकायों में विभिन्न रिक्तियों को भरने के लिए चुनाव हुए।

    रूस गैर-सरकारी संगठनों की समिति, संयुक्त राष्ट्र महिला कार्यकारी बोर्ड, संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ) कार्यकारी बोर्ड और स्वदेशी मुद्दों पर स्थायी मंच के लिए हुए चुनावों में किस्मत आजमा रहा था। यूएन में ब्रिटिश मिशन ने बताया, रूस ने आज यूएन की चार समितियों के लिए चुनाव लड़ा और सभी में उसे शिकस्त का सामना करना पड़ा। विश्व निकाय के सदस्य देश यूक्रेन के साथ खड़े हैं।

    मत विवरण
    गैर-सरकारी संगठनों की समिति के चुनाव में रूस को 54 में से 15, संयुक्त राष्ट्र महिला कार्यकारी बोर्ड के चुनाव में 54 में से 16, यूनिसेफ कार्यकारी बोर्ड के चुनाव में 54 में से 17 और स्वदेशी मुद्दों पर स्थायी मंच के चुनाव में रूस को 52 में से 18 मत प्राप्त हुए।

    भारत, संयुक्त राष्ट्र के चारों निकायों में निर्वाचित
    यूएन में भारत के स्थायी मिशन ने ट्वीट किया, भारत को संयुक्त राष्ट्र ईसीओएसओसी के चारों निकायों के लिए चुना गया है। सामाजिक विकास आयोग, गैर-सरकारी संगठनों की समिति और विकास के लिए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी आयोग के चुनाव में उसे जीत मिली है, जबकि राजदूत प्रीति सरन को आर्थिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक अधिकारों की समिति के लिए फिर से चुना गया है।

    सरन का चार साल का पहला कार्यकाल एक जनवरी 2019 से शुरू हुआ था। सामाजिक विकास आयोग के लिए भारत समेत 12 देशों को चुना गया है। विकास के लिए विज्ञान-प्रौद्योगिकी आयोग के लिए भारत, अमेरिका, चीन समेत 21 देशों को चुना गया जबकि गैर-सरकारी संगठनों की समिति के लिए भारत, अमेरिका, चीन, ब्रिटेन, इस्राइल समेत 17 देशों को चुना गया। इन सभी को 2023 से शुरू होने वाले चार साल के कार्यकाल के लिए चुना गया है।

    रूस ने 398 अमेरिकी सांसदों को यात्रा प्रतिबंध की सूची में डाला
    रूस ने अमेरिकी कांग्रेस के 398 सदस्यों को अपनी यात्रा प्रतिबंध की सूची में डाल दिया है। रूसी विदेश मंत्रालय ने बताया इस साल 24 मार्च को रूस के 328 सांसदों के खिलाफ बाइडन प्रशासन ने यात्रा प्रतिबंध लगाया था उसी के जवाब में रूस ने यह कदम उठाया है।


    रूस ने फिनलैंड-स्वीडन मुद्दे पर दी परमाणु तैनाती की धमकी
    रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के एक करीबी सहयोगी ने नाटो को परमाणु हथियारों की तैनाती की चेतावनी दी है। रूस ने कहा है कि यदि अमेरिकी नेतृत्व वाले इस संगठन में फिनलैंड और स्वीडन को शामिल किया गया तो रूस को इस क्षेत्र में अपनी सुरक्षा बढ़ानी होगी जिसमें परमाणु हथियारों की तैनाती भी शामिल है। फिनलैंड की 1300 किलोमीटर की सीमा रूस से लगती है। देश की प्रधानमंत्री सना मारिन ने बुधवार को कहा था कि नाटो में शामिल होने के बारे में कुछ सप्ताह में उनका देश फैसला ले लेगा।

    रूस के सुरक्षा परिषद के उपाध्यक्ष दिमित्री मेदवेदेव ने कहा कि स्वीडन और फिनलैंड यदि नाटो में शामिल होते हैं तो रूस को बाल्टिक सागर में अपनी थल, नौसेना और वायु सेना को मजबूत करना होगा। मेदवेदेव ने खासकर परमाणु खतरे का जिक्र करते हुए कहा कि तब परमाणु मुक्त बाल्टिक की कोई चर्चा नहीं होगी। बाल्टिक सागर में रूस का कालिनिनग्राद क्षेत्र है जो पोलैंड और लिथुआनिया के बीच में पड़ता है।

    मेदवेदेव ने कहा, भविष्य में परमाणुमुक्त बाल्टिक की चर्चा नहीं होगी, संतुलन बरकरार रखना होगा। 2008 से 2012 तक रूस के राष्ट्रपति रहे मेदवेदेव ने कहा, अब तक रूस ने ऐसा कोई कदम नहीं उठाया है और न ही उठा रहा है, लेकिन यदि हमारे हाथों को मजबूर किया गया तो ध्यान रखें कि ऐसा करने वाले हम नहीं होंगे। वहीं, लिथुआनिया ने कहा है कि रूस की धमकी नई नहीं है और मॉस्को ने यूक्रेन युद्ध शुरू होन से पहले कालिनिनग्राद में परमाणु तैनाती कर दी है।

    रूस से सटे देशों के चार राष्ट्रपति यूक्रेन पहुंचे
    रूस से सटे चार देशों के राष्ट्रपतियों ने बुधवार को यूक्रेन का दौरा किया और युद्धरत देश को अपना समर्थन दिया। उन्होंने रूसी सेना द्वारा किए गए नुकसान का जायजा लिया और युद्ध अपराध की जिम्मेदारी तय करने की मांग की। पोलैंड, लिथुआनिया, लातविया और एस्टोनिया के शासन प्रमुखों का दौरा नाटो के पूर्वी छोर के देशों की एकजुटता का बड़ा प्रदर्शन है। खासकर तब जबकि इनमें से तीन देश किसी जमाने में सोवियत संघ का हिस्सा रहे हैं।

    इन नेताओं ने ट्रेन से कीव तक ही यात्रा की और वहां राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की से भेंट की। इसके बाद वे रूस हमले में तबाह करीबी शहर बोरोद्यांका पहुंचे। इस क्षेत्र से रूसी सैनिकों की वापसी के बाद अब उनके क्रूर हमलों के निशान हर ओर नजर आ रहे हैं। लिथुआनिया के राष्ट्रपति गितानस नौसेदा ने कहा, यूरोप के भविष्य की लड़ाई यहां हुई है। उन्होंने रूस के तेल और गैस के जहाजों को रोकने समेत और सख्त प्रतिबंध लगाने की मांग की है।

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