वॉशिंगटन । अमेरिका (US) की ओर से भारत (India) को मानवाधिकार (Human Rights) पर ज्ञान देना उलटा पड़ा है और उसे विदेश मंत्री एस. जयशंकर (External Affairs Minister S. Jaishankar) ने करारा जवाब दिया है। अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन (US Secretary of State Antony Blinken) की ओर से कहा गया था कि हमारी भारत में मानवाधिकारों के हनन (Human Rights Abuse) के मामलों पर नजर है। इस पर जयशंकर ने तीखा पलटवार करते हुए कहा था कि किसी को भी हम पर राय जाहिर करने का हक है, लेकिन ऐसा ही हमारा भी अधिकार है। हम भी अमेरिका में मानवाधिकारों के मामलों को लेकर चिंतित हैं, खासतौर पर भारतीय समुदाय (Indian Community) के लोगों को हमारी चिंताएं हैं।
इस बीच एक बड़ी जानकारी सामने आई है कि अमेरिकी आयोग मानवाधिकारों के मसले पर भारत को रेड लिस्ट में रखना चाहता था। हालांकि इस पर सहमति नहीं बनी। ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक युनाइटेड स्टेट्स कमिशन ऑन रिलिजियस फ्रीडम ने बीते दो सालों में लगातार अमेरिकी विदेश मंत्रालय से सिफारिश की थी कि भारत को मानवाधिकार के मसले पर रेड लिस्ट में डाला जाए।
हालांकि इसे अमेरिकी विदेश मंत्रालय की ओर से खारिज किया गया था। मानवाधिकार के मामले में रेड लिस्ट में चीन, पाकिस्तान और सऊदी अरब रहे हैं। लेकिन अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने ऐसा करने से इनकार कर दिया। अब 25 अप्रैल को अमेरिकी आयोग फिर से ऐसी एक लिस्ट जारी करने वाला है। इससे पहले अमेरिकी सिविल राइट्स ग्रुप ने आयोग को पत्र लिखा है, जिसमें भारत को रेड लिस्ट में रखने की मांग की गई है।
राइट्स ग्रुप ने अपने लेटर में लिखा, ‘यह स्पष्ट है कि भारत की सच्चाई पर पर्दा डालने की कोशिश करने वाले लोग एक बार फिर से लॉबिंग करने लगे हैं। उनका लक्ष्य़ है कि अमेरिकी आयोग भारत को लगातार तीसरी बार ‘कंट्री ऑफ पार्टिकुलर कंसर्न’ की कैटिगरी में रखने से रोका जाए।’
ग्रुप ने कहा कि हमें यह भी जानकारी मिली है कि आयोग के सदस्यों को प्रभावित किया जा रहा है ताकि पीएम नरेंद्र मोदी का नाम रिपोर्ट में शामिल न किया जाए। बता दें कि भारत के विदेश मंत्री जयशंकर ने वॉशिंगटन में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई थी। इस दौरान उन्होंने अमेरिकी विदेश मंत्री की राय पर जोरदार पलटवार किया था।
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