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जून में इंदौर को मिलेंगे दो नए एयरोब्रिज

April 14, 2022

– नौ करोड़ से बन रहे दोनों नए एयरोब्रिज का काम लगभग पूरा, फिनिशिंग वर्क और ट्रायल के बाद जून से होंगे शुरू
– विमान से टर्मिनल के बीच आने-जाने के लिए अभी हैं तीन एयरोब्रिज, दो नए शुरू होने पर यात्रियों को मिलेगी सुविधा
इंदौर।  इंदौर (Indore) के देवी अहिल्याबाई होलकर अंतरराष्ट्रीय विमानतल (Devi Ahilyabai Holkar International Airport) पर यात्रियों को जून से दो नए एयरोब्रिज (aerobridge) की सुविधा मिल सकेगी। इससे यात्रियों (passengers) को विमान (aircraft) से टर्मिनल के बीच आना-जाना ज्यादा आसान हो जाएगा। अभी इंदौर एयरपोर्ट पर तीन एयरोब्रिज (aerobridge) उपलब्ध हैं। दो और नए एयरोब्रिज (aerobridge) शुरू होने पर यात्रियों को ज्यादा सुविधा मिल सकेगी और संभवत: फिर यात्रियों को बसों (buses) से विमानों तक आने-जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
एयरपोर्ट (airport) पर दो नए एयरोब्रिज (aerobridge) को बनाने का काम करीब दो साल पहले शुरू हुआ था। करीब नौ करोड़ की लागत से बनने वाले इन एयरोब्रिज का काम अब लगभग पूरा हो चुका है। अधिकारियों का कहना है कि चौथे एयरोब्रिज (aerobridge) का काम तो फिनिशिंग पर है और पांचवें का भी थोड़ा ही काम बचा है। जून तक इन दोनों को पूरा कर लिया जाएगा और ट्रायल के बाद डीजीसीए से मंजूरी के बाद इन्हें यात्री सुविधा के लिए शुरू कर दिया जाएगा।


बारिश और धूप में यात्रियों को नहीं होगी परेशानी
एयरोब्रिज (aerobridge) मूलत: टर्मिनल से विमान को जोडऩे वाले पुल की तरह काम करते हैं। यात्री इसमें से गुजरते हुए विमान से टर्मिनल में और टर्मिनल से विमान में आ-जा सकते हैं। एयरोब्रिज (aerobridge) के बिना यात्रियों को बसों से विमान से टर्मिनल तक आना-जाना पड़ता है, जिससे यात्रियों (passengers)  को बारिश और गर्मियों में काफी परेशानी होती है। अभी एयरपोर्ट पर तीन एयरोब्रिज (aerobridge) हैं और अक्सर एक ही समय पर तीन से ज्यादा विमानों के आने पर चौथे विमान के यात्रियों को बसों से आना-जाना पड़ता है। नए दो एयरोब्रिज (aerobridge) शुरू होने पर एक साथ पांच विमानों को इनसे कनेक्ट कर यात्रियों को उतारा और बैठाया जा सकेगा।


15 विमानों की पार्किंग और पेरेलर टैक्सी-वे को मंजूरी का इंतजार
एयरपोर्ट (airport) पर हाल ही में 15 विमानों की नई पार्किंग और रनवे के समानांतर टैक्सी-वे भी बनकर तैयार हो चुका है। इस पर करीब 41 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं। इनका उपयोग शुरू किए जाने को लेकर प्रबंधन ने डीजीसीए से मंजूरी मांगी है। मंजूरी मिलते ही इंदौर में विमानों को यह सुविधा भी मिल सकेगी।

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