देवघर। झारखंड (Jharkhand) के देवघर में त्रिकूट पर्वत (Trikoot mountain in Deoghar) पर रोपवे में फंसे लोगों को सुरक्षित निकालने के लिए चलाया गया रेस्क्यू ऑपरेशन (rescue operation) 45 घंटे तक चला. इस पूरे रेस्क्यू में बांसडीह गांव के रहने वाले पन्नालाल उर्फ पान पंजियार (Pannalal alias Paan Panjiar) लोगों के लिए रियल हीरो साबित हुए हैं. रेस्क्यू के दौरान उन्होंने कई लोगों की मदद की. कंधे पर बैठाकर लोगों को अस्पताल तक पहुंचाया।
रविवार शाम 4 बजे त्रिकूट पर्वत पर रोपवे की ट्रालियां आपस में टकरा गई थीं. इस हादसे करीब आधा दर्जन ट्रालियां हवा में अटक गई थीं, जिसमें करीब 50 से अधिक लोग सवार थे. जिस वक्त हादसा हुआ, उस वक्त कुछ लोग घायल हुए थे, जिनमें एक की मौत हो गई थी. इसके बाद सेना, आईटीबीपी, एनडीआरएफ और स्थानीय प्रशासन ने 45 घंटे तक रेस्क्यू अभियान चलाकर बाकी लोगों को निकाला. इस हादसे में अब तक तीन लोगों की मौत हो चुकी है. मंगलवार को एक महिला रस्सी से फिसल गई, जिसकी भी मौत हो गई।
पन्नालाल की हुई तारीफ:
रेस्क्यू किये गए लोगों को त्रिकुट से लगभग चार किलोमीटर दूर एयर बेस तक लाकर सीधे अस्पताल पहुंचाया जा रहा था. रोपवे मेंटेनेंस कर्मचारी पन्नालाल ने हादसे के दिन से कई लोगों को सुरक्षित निकाला. स्थानीय लोगों की मदद से कंधे पर उठाकर पहाड़ और पत्थरों के बीचों-बीच से जंगल पार कर लोगों को हॉस्पिटल पहुंचाया. रेस्क्यू ऑपरेशन देखने पहुंचे स्थानीय लोगों ने पन्नालाल की जमकर तारीफ की और उनके जज्बे को सलाम किया।
लोगों ने सुनाई आपबीती:
रोपवे की ट्राली में फंसे बिहार के मधुबनी जिले के एक शख्स ने कहा, ‘जब हम लोग फंसे तो लग रहा था कि कोई नहीं बचेगा, हम लोगों की जान चली जाएगी, लेकिन रेस्क्यू टीम ने हमारी जान बचा ली.’ रेस्क्यू के दौरान एक बच्चे ने कहा, ‘हमको बहुत मजा आया, जब रस्सी ऊपर खीची गई तो हमको बहुत अच्छा लगा था।’
ट्राली में फंसी एक बच्ची ने बताया, ‘जब ट्राली हिल रहा था, तभी डर लग रहा था, वरना कोई डर नहीं लग रहा था, हम सब पूरी रात भूखे रहे, मंगलवार सुबह 11.30 बजे कुछ खाया और पानी पीया.’ बच्ची ने कहा, ‘जब हमें उतारा जा रहा था, तब अच्छा लग रहा था, लेकिन जब बीच में रस्सी रूक गई तो लगा कि गिर जाएंगे।’
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved