नई दिल्ली । उपराष्ट्रपति (Vice President) एम. वेंकैया नायडू (M. Venkaiah Naidu) ने मंगलवार को युवाओं (Youths) से अपने चुने हुए क्षेत्रों (Chosen Areas) में सफल शख्सियत बनने के लिए (To be a Successful Personality) जाति, धर्म और क्षेत्र (Caste, Religion and Region) के संकीर्ण विचारों (Narrow Considerations) से ऊपर उठकर (Rise above) सहिष्णुता, धैर्य, अनुशासन, कड़ी मेहनत, अध्ययन और सहानुभूति (Tolerance, Patience, Discipline, Hard work, Study and Empathy) के गुणों को अपनाने का अनुरोध किया (Qualities Requested)।
उन्होंने अपने आधिकारिक उप-राष्ट्रपति निवास में दिल्ली विश्वविद्यालय के विभिन्न कॉलेजों के तेलुगु छात्रों के साथ बातचीत की। इस बातचीत में नायडू ने छात्रों को जीवन के बारे में रचनात्मक और सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित करने की सलाह दी। उन्होंने आगे कहा, “आपको हमेशा जाति, धर्म और क्षेत्र जैसे संकीर्ण विचारों से ऊपर उठना चाहिए और कभी भी अन्य धर्मों का अनादर नहीं करना चाहिए।”
उपराष्ट्रपति ने इसका उल्लेख किया कि अगर कोई असहिष्णु है तो वह नेता नहीं बन सकता है। उन्होंने कहा कि एक नेता को लोगों के जनादेश को लेकर सहिष्णु होना चाहिए। नायडू ने आगे कहा कि एक नेता में योग्यता, क्षमता, अच्छा आचरण और चरित्र होना चाहिए।
उपराष्ट्रपति ने नियमित शारीरिक गतिविधियों जैसे कि दौड़ने या योग करके फिटनेस को बनाए रखने के महत्व पर जोर दिया। इसके अलावा उन्होंने जंक फूड का सेवन करने को लेकर भी सावधान किया।
नायडू ने इसका उल्लेख किया कि कोविड-19 महामारी ने प्रतिरक्षा की रक्षा के महत्व को रेखांकित किया है। इसे देखते हुए उन्होंने छात्रों को स्वस्थ और प्रोटीन युक्त आहार पर ध्यान केंद्रित करने की सलाह दी।
इसके बाद उपराष्ट्रपति ने अपनी मातृभाषा के संरक्षण और उसे बढ़ावा देने की जरूरत को भी दोहराया। उन्होंने कहा कि बच्चे की प्रारंभिक शिक्षा उसकी मातृभाषा में होनी चाहिए और अन्य भाषाओं में दक्षता बाद के समय में प्राप्त की जा सकती है।
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