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    मई में भी महंगा हो सकता है कच्‍चा तेल, आयात के लिए दूसरे विकल्पों को तलाश रही सरकार

  • April 08, 2022

    नई दिल्ली। अंतरराष्ट्रीय बाजार(International market) में महंगे कच्चे तेल के कारण घरेलू स्तर पर पेट्रोल-डीजल कीमत लगातार बढ़ रही है। यह बढ़ोतरी मई में भी जारी रह सकती है। इसका कारण यह है कि देश की दो प्रमुख तेल विपणन कंपनी सऊदी की अरामको(Saudi’s Aramco) से कम कच्चा तेल खरीदेंगी।

    रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, सऊदी अरामकों ने हाल ही में एशिया(Asia) के लिए कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी की है। इससे एशिया के विभिन्न क्षेत्र में कच्चा तेल रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गया है। इसको देखते हुए भारतीय रिफाइनरी कंपनियों ने मई में सामान्य से कम तेल खरीदने का फैसला किया है। हालांकि, भारतीय कंपनियां (Indian companies) समझौते के तहत निश्चित मात्रा में कच्चा तेल खरीदेंगी।

    सस्ते कच्चे तेल के विकल्प तलाश रही सरकार
    वित्त मंत्रालय (Finance Ministry) ने गुरुवार को कहा कि केंद्र सरकार सस्ता कच्चा तेल खरीदने के लिए सभी संभावित विकल्पों की तलाश कर रही है। वित्त मंत्रालय ने मासिक आर्थिक समीक्षा रिपोर्ट में कहा है कि इसके लिए आयात के तौर-तरीकों में भी बदलाव किया जा सकता है।


    महंगे कच्चे तेल से आर्थिक विकास पर असर संभव
    एक उच्च सरकारी अधिकारी ने गुरुवार को कहा कि महंगे कच्चे तेल से आर्थिक विकास प्रभावित हो सकता है। अधिकारी ने कहा कि यदि कच्चे तेल की कीमतें एक महीने तक 110 से 120 डॉलर के बीच रहती हैं तो महंगाई में तेज इजाफा होगा।

    इससे आर्थिक विकास पर असर पड़ेगा। अधिकारी ने कहा कि भारत बिजली उत्पादन के लिए आयातित कोयले पर निर्भर है। कोयले की कीमतों में वार्षिक आधार पर 196 फीसदी की बढ़ोतरी हो चुकी है। ऐसे में बिजली महंगी होने से अधिकांश उत्पादों की कीमत में बढ़ोतरी होगी।

    फरवरी-मार्च में 19.33 डॉलर महंगा मिला कच्चा तेल:
    सरकार ने कहा है कि फरवरी और मार्च में भारत ने औसतन 19.33 डॉलर प्रति बैरल महंगा कच्चा तेल खरीदा है। सरकार के मुताबिक, भारत की ओर से खरीदे जाने वाले कच्चे तेल की कीमत फरवरी में 94.07 डॉलर के मुकाबले मार्च में बढ़कर 113.40 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गईं।

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