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शिवरीनारायण जहां प्रभु राम ने खाए थे शबरी के जूठे बेर, श्रद्धालुओं व पर्यटकों के लिए तैयार

April 08, 2022

छत्तीसगढ़ में महानदी, शिवनाथ और जोंक नदी के संगम पर बसा शिवरीनारायण धार्मिक, ऐतिहासिक और पौराणिक नगरी के रूप में प्रसिद्ध है। इस स्थान की महत्ता इस बात से पता चलती है कि देश के चार प्रमुख धाम बद्रीनाथ, द्वारका, जगन्नाथपुरी और रामेश्वरम के बाद इसे पांचवे धाम की संज्ञा दी गई है। यह स्थान भगवान जगन्नाथ का मूल स्थान है इसलिए छत्तीसगढ़ के जगन्नाथपुरी के रूप में प्रसिद्ध है। यहां प्रभु राम का नारायणी रूप गुप्त रूप से विराजमान है इसलिए यह गुप्त तीर्थधाम या गुप्त प्रयागराज के नाम से भी जाना जाता है।

शिवरीनारायण रामायण कालीन घटनाओं से जुड़ा है। मान्यता के अनुसार वनवास काल के दौरान यहां प्रभु राम ने शबरी के जूठे बेर खाए थे। रामायण काल की स्मृतियों को संजोने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा राम वन गमन पर्यटन परिपथ के विकास के लिए कॉन्सेप्ट प्लान बनाया गया है। इस प्लान में शिवरीनारायण में मंदिर परिसर के साथ ही आस-पास के क्षेत्र के विकास और श्रद्धालुओं और पर्यटकों की सुविधाओं के लिए यहां 39 करोड़ रुपये की कार्य योजना तैयार की गई है। प्रथम चरण में 6 करोड़ रुपये के विभिन्न कार्य पूर्ण कर लिए गए हैं, इससे यहां आने वाले लोगों को नई सुविधाएं मिलेंगी।

कॉन्सेप्ट प्लान के लिए 133 करोड़ रुपये का प्रावधान
राम वन गमन कॉन्सेप्ट प्लान में प्रभु श्री राम के छत्तीसगढ़ में वनवास काल में भ्रमण से संबंधित 75 स्थानों को धार्मिक और पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की योजना बनायी गई है। इनमें प्रथम चरण में 9 स्थल चिन्हित कर वहां श्रद्धालुओं और पर्यटकों के लिए सुविधाएं विकसित की जा रही हैं। इसके लिए 133 करोड़ रुपये की कार्ययोजना तैयार की गई है। चयनित स्थानों पर आवश्यकता अनुसार पहुंच मार्ग का उन्नयन, संकेत बोर्ड, पर्यटक सुविधा केन्द्र, इंटरप्रेटेशन सेंटर, वैदिक विलेज, पगोड़ा वेटिंग शेड, मूलभूत सुविधा, पेयजल व्यवस्था, शौचालय, सिटिंग बेंच, रेस्टोरेंट, वाटर फ्रंट डेव्हलपमेंट, विद्युतीकरण आदि कार्य कराए जाएंगे।

शिवरीनारायण में नई सुविधाएं
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जांजगीर-चांपा जिले के शिवरीनारायण में राम वन गमन परिपथ के अंतर्गत विकसित की गई नई सुविधाओं और विभिन्न कार्यों का लोकार्पण करेंगे। यहां प्रथम चरण में 6 करोड़ के विकास कार्य पूर्ण कराए गए हैं। इनमें शिवरीनारायण के मंदिर परिसर का उन्नयन और सौदर्यीकरण, दीप स्तंभ, रामायण इंटरप्रेटेशन सेन्टर एवं पर्यटक सूचना केन्द्र, मंदिर मार्ग पर भव्य प्रवेश द्वार, नदी घाट का विकास एवं सौंदर्यीकरण, घाट में प्रभु राम-लक्ष्मण और शबरी माता की प्रतिमा का निर्माण किया गया है।

स्थापत्य कला एवं मंदिर
शिवरीनारायण का मंदिर समूह दर्शनीय है। यहां की स्थापत्य कला और मूर्तिकला बेजोड़ है। यहां नर-नारायण मंदिर है, इसका निर्माण राजा शबर ने करवाया था। यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है। केशवनारायण मंदिर ईंटों से बना है, यह पंचरथ विन्यास पर भूमि शैली पर निर्मित है। यहां चंद्रचूड़ महादेव मंदिर, जगन्नाथ मंदिर भी दर्शनीय है। यह पुरी के जगन्नाथ मंदिर के सदृश्य है। शिवरीनारायण शहर से लगे ग्राम खरोद में ऐतिहासिक और पुरातात्विक महत्व के अनेक मंदिर हैं इनमें मुख्य रूप से दुल्हादेव मंदिर, लक्ष्मणेश्वर मंदिर, शबरी मंदिर प्रसिद्ध है।

प्रसिद्ध है यहां की रथ यात्रा
शिवरीनारायण शैव, वैष्णव धर्म का प्रमुख केन्द्र रहा है। यह स्थान भगवान जगन्नाथ का मूल स्थान होने के कारण यहां रथयात्रा का पर्व धूमधाम से मनाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि भगवान जगन्नाथ की विग्रह मूर्तियों को यहीं से जगन्नाथपुरी ले जाया गया था। यहां पुरी की तर्ज पर रथ यात्रा का आयोजन होता है।

सबसे बड़ा मेला, साधु संत का शाही स्नान
माघी पूर्णिमा को यहां छत्तीसगढ़ का सबसे बड़ा 15 दिवसीय मेला लगता है। महाशिवरात्रि के दिन मेले का समापन होता है। माघी पूर्णिमा के दिन यहां साधु संत शाही स्नान करते हैं। यहां बहुत दूर-दूर से श्रद्धालु आते है ऐसी मान्यता है कि भगवान जगन्नाथ एक दिन के लिए शिवरीनारायण मंदिर में विराजते हैं।

प्रभु राम महानदी मार्ग से यहां पहुंचे
जनश्रुति के अनुसार प्रभु राम वनवास काल में मांड नदी से चंद्रपुर ओर फिर महानदी मार्ग से शिवरीनारायण पहुंचे थे छत्तीसगढ़ में कोरिया जिले के भरतपुर तहसील में मवाई नदी से होकर जनकपुर नामक स्थान से लगभग 26 किलोमीटर की दूर पर स्थित सीतामढ़ी-हरचौका नामक स्थान से प्रभु राम ने छत्तीसगढ़ में प्रवेश किया था। प्रभु राम ने अपने वनवास काल के 14 वर्षों में से लगभग 10 वर्ष से अधिक समय छत्तीसगढ़ में विभिन्न स्थानों पर व्यतीत किया था।

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