इस्लामाबाद। पाकिस्तान में जारी सियासी अस्थिरता को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जारी है। पीएम इमरान खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव को मंजूरी न देने और नेशनल असेंबली भंग किए जाने पर सुप्रीम कोर्ट ने तीखी टिप्पणी की है। पाकिस्तान के उच्चतम न्यायालय ने कहा कि संसद को भंग करके चुनाव के लिए 90 दिनों का वक्त दिया गया है। इससे देश एक तरह से 90 दिनों के लिए असहाय जैसा हो गया है।
जस्टिस मजहर आलम ने राष्ट्रपति के प्रतिनिधि अली जाफर से कहा, ‘क्या कोर्ट संविधान का संरक्षक नहीं है? यदि कोई संसदीय प्रक्रिया से प्रभावित होता है तो फिर न्याय कैसे होगा? यदि अन्याय होगा तो क्या अदालत चुप रहेगी।’ इस पर सरकार के वकील इम्तियाज सिद्दीकी ने कहा, ‘अपनी शपथ के मुताबिक स्पीकर सही फैसला ले सकता है। यह संसद का आंतरिक मामला है और उस पर सवाल नहीं खड़ा किया जा सकता है।
पहले भी अदालत ने कभी संसद की आंतरिक कार्यवाही पर सवाल खड़ा नहीं किया है। संसद की कार्यवाही पर अदालत में सवाल नहीं खड़ा किया जा सकता और वह उससे परे है।’ सरकारी वकील ने कहा कि यदि संसदीय प्रक्रिया में कोई खामी है तो फिर उसे वहीं दूर किया जा सकता है। अदालत का इससे कोई भी लेना-देना नहीं होना चाहिए।
गौरतलब है कि पाकिस्तान की नेशनल असेंबली में इमरान खान की सरकार के खिलाफ 3 अप्रैल को अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग होनी थी, लेकिन स्पीकर ने संसद को ही भंग कर दिया था। उनका कहना था कि इस अविश्वास प्रस्ताव के पीछे विदेशी साजिश का हाथ होने का आरोप है और ऐसी स्थिति में इस पर वोटिंग नहीं कराई जा सकती। स्पीकर के इस फैसले के खिलाफ विपक्षी दलों ने अदालत का रुख किया था। इमरान खान भी खुले तौर पर अपने खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव में अमेरिका का हाथ बता चुके हैं।
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