नई दिल्ली । श्रीलंका (Sri Lanka) का विदेशी मुद्रा भंडार (foreign exchange reserves) लगभग खत्म हो चुका है, जिससे वह जरूरी चीजों का आयात (Import) नहीं कर पा रहा है. देश में अनाज, चीनी, मिल्क पाउडर, सब्जियों से लेकर दवाओं तक की कमी है. खाने-पीने की चीजों के लिए मारामारी मची है. इसलिए पेट्रोल पंपों (petrol pumps) पर सेना तैनात करनी पड़ी है.
देश में 13-13 घंटे की बिजली कटौती हो रही है. सार्वजनिक परिवहन ठप हो गया है, क्योंकि बसों को चलाने के लिए डीजल ही नहीं है.
मंगलवार को राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने श्रीलंका में आपातकाल के ऐलान के बाद पहली बार संसद का सत्र बुलाया था. लेकिन, इस सत्र में विपक्ष तो दूर, सरकार के कई गठबंधन सहयोगी ही शामिल नहीं हुए.
महिंदा राजपक्षे के नेतृत्व में सत्तारूढ़ श्रीलंका पोदुजाना पेरामुना (एसएलपीपी) गठबंधन ने 2020 के आम चुनावों में 150 सीटें जीती थीं. इसके बाद पूर्व राष्ट्रपति सिरीसेना की अगुवाई में श्रीलंका फ्रीडम पार्टी (एसएलएफपी) के असंतुष्ट सांसद पाला बदलते हुए सत्तारूढ़ श्रीलंका पोदुजाना पेरामुना गठबंधन में शामिल हो गए थे.
राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे किसी भी परिस्थिति में इस्तीफा नहीं देंगे और वह मौजूदा मुद्दों का सामना करेंगे. सरकार ने आपातकाल लगाने के राजपक्षे के निर्णय का भी बचाव किया, जिसे बाद में हटा लिया गया.
मुख्य सरकारी सचेतक मंत्री जॉनसन फर्नांडो ने संसद को संबोधित करते हुए कहा कि सरकार इस समस्या का सामना करेगी और राष्ट्रपति के इस्तीफे का कोई कारण नहीं है क्योंकि उन्हें इस पद के लिये चुना गया था.
श्रीलंका की संसद में कुल सदस्यों की संथ्या 225 है. ऐसे में किसी भी गठबंधन या दल को बहुमत के लिए 113 सदस्यों के समर्थन की जरूरत है. श्रीलंकाई मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, सत्तारूढ़ गठबंधन के कम से कम 41 सदस्यों ने समर्थन वापस लेने का ऐलान किया है. ऐसे में महिंदा राजपक्षे सरकार के पास 109 सदस्यों का समर्थन है, जो बहुमत से चार कम है.
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