नैनीताल: पूर्व विधानसभा अध्यक्ष और वर्तमान कैबिनेट मंत्री प्रेम चंद्र अग्रवाल के लिए मुश्किल खड़ी हो सकती है क्योंकि उत्तराखंड हाई कोर्ट ने उन्हें करोड़ों की रकम बांटने के मामले में नोटिस जारी किया है. हाईकोर्ट ने आचार संहिता के दौरान विवेकाधीन कोष से 5 करोड़ रुपये बांटे जाने के मामले में ये नोटिस दिया है. इसके साथ कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार, चुनाव आयोग, सचिव विधानसभा, डीएम, एसडीएम सहित कोषाधिकारी को भी नोटिस थमाकर 6 हफ़्तों के भीतर जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है.
कोर्ट में अब इस मामले की सुनवाई 25 मई को होगी. ऋषिकेश के कनक धनई ने उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल कर कहा कि तत्कालीन स्पीकर प्रेमचंद्र अग्रवाल ने चुनाव प्रक्रिया के दौरान विवेकाधीन राहत कोष से 5 करोड़ की धनराशि निकालकर बांटी जो कि गलत था. याचिका में कहा गया कि ये धनराशि डिमांड ड्राफ्ट के माध्यम से बांटी गई है. 3 और 9 फरवरी की तारीख इन डीडी पर दर्ज है.
याचिकाकर्ता ने कुछ डिमांड ड्राफ्ट के साक्ष्य भी याचिका में लगाए. याचिका में मांग की गई है कि पूरे मामले की जांच की जाए और दोषी पाए जाने पर अग्रवाल का चुनाव निरस्त किया जाए. हालांकि पिछले दिनों कोर्ट में मामला सुनवाई के लिए आया था, लेकिन दस्तावेज पूरे नहीं होने से सुनवाई नहीं हो सकी थी. हाई कोर्ट में इस केस की पैरवी कर रही स्निग्धा तिवाड़ी ने कहा कि चुनाव के दौरान का ये पूरा मामला है और 5 करोड़ से ज्यादा पैसा विवेकाधीन कोष से बांटा गया है. अब कोर्ट ने इस मामले में नोटिस जारी कर सभी पक्षों के जवाब मांगे हैं. गौरतलब है कि अग्रवाल ने कांग्रेस के जयेंद्रचंद रमोला को 19000 से ज़्यादा वोटों से हराकर चुनाव जीता.
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