इस्लामाबाद: पाकिस्तान (Pakistan) में विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव (No Confidence Motion) को खारिज कराके पीएम इमरान खान (PM Imran Khan) अपनी कुर्सी बचाने में भले ही कामयाब हो गए हैं. लेकिन देश में तेजी से बदलते सियासी समीकरण उनकी मुश्किलें बढ़ा सकते हैं. अब पता चला है कि नेशनल असेंबली (National Assembly) के स्पीकर असद कैसर संविधान के अनुच्छेद 5 के आधार पर इमरान खान सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव को खारिज करने के फैसले के पक्ष में नहीं थे.
स्पीकर ने इमरान खान की कानूनी टीम को समझाने की पूरी कोशिश की. लेकिन जब सहमति नहीं बन पाई तो रविवार को कैसर नेशनल असेंबली में नहीं गए. इससे पहले पाकिस्तान के अटॉर्नी जनरल खालिद जावेद ने जियो न्यूज को बताया था कि संविधान के अनुसार प्रधानमंत्री के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान अनिवार्य है. पीएम इमरान खान की कानूनी टीम ने आदेश का मसौदा तैयार किया था जिसे डिप्टी स्पीकर कासिम सूरी ने रविवार को नेशनल असेंबली में पढ़ा.
डिप्टी स्पीकर कासिम सूरी ने कहा कि, “यह अविश्वास प्रस्ताव संविधान के खिलाफ है. मैं इस अविश्वास प्रस्ताव को संविधान के अनुसार खारिज करता हूं.” इसके तुरंत बाद इमरान खान ने राष्ट्र के नाम एक टेलीविज़न संबोधन के दौरान घोषणा की कि उन्होंने राष्ट्रपति आरिफ अल्वी को नेशनल असेंबली को भंग करने की सलाह दी और चुनाव 3 महीने के अंदर होंगे.
विपक्ष ने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी लेकिन इसके बावजूद राष्ट्रपति ने नेशनल असेंबली को भंग कर दिया. पीएमएल-एन नेता शहबाज शरीफ ने इमरान खान पर संविधान का उल्लंघन करने और देश में नागरिक-मार्शल कानून लागू करने का आरोप लगाया. मुख्य न्यायाधीश अता बंदियाल ने कहा कि नेशनल असेंबली को भंग करने के संबंध में प्रधान मंत्री और राष्ट्रपति द्वारा शुरू किए गए सभी आदेश और कार्रवाई अदालत के आदेश के अधीन होंगे. बता दें कि पाकिस्तान के राजनीतिक इतिहास में सिर्फ दो प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो और शौकत अजीज को अविश्वास प्रस्ताव का सामना करना पड़ा है. इसके अलावा पाकिस्तान में अब तक कोई भी पीएम अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाया है.
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