नागदा। जलप्रदाय को लेकर उठे तूफान को शांत करने के लिए नपा प्रशासक आशुतोष गोस्वामी ने प्रभारी मंत्री के दखल के बाद लिए निर्णय पर सभी कि सहमति के उद्देश्य से सर्वदलीय बैठक आयोजित की। बैठक मे पूरे समय नपा इंजीनियर और सीएमओ नेताओं के आक्रोश का शिकार बने। सभी का गुस्सा इस बात को लेकर था कि बिना जमीनी हकीकत जाने बिना अविवेकपूर्ण निर्णय लिए जा रहे हैं और जनता के आक्रोश का शिकार उन्हें होना पड़ रहा है।
सभी का कहना था कि भले ही अभी चुनी हुई परिषद काम नहीं कर रही परंतु पूर्व जनप्रनिधियो के साथ बैठक कर निर्णय लिया जाता ये स्थिति नहीं बनती। बैठक ने जलकार्य विभाग के कर्मचारी रईस कुरैशी द्वारा दिए जलसप्लाय टाईम टेबल को कांग्रेस नेता सुबोध स्वामी ने मौके पर फ्रॉड कर अपना विरोध दर्ज कराया। सांसद प्रतिनिधि ने पूर्व जनप्रतिनिधियों के नाम जो कि जलप्रदाय टाईम टेबल में उल्लेखित थे सम्मानित रूप से नहीं लिखे जाने पर विरोध दर्ज करया। गौरतलब है कि पूर्व नपा अध्यक्ष बालेश्वर दयाल जायसवाल, नपा उपाध्यक्ष बन्शीलाल मालपानी सहित सभी जनप्रतिनिधियों के नाम बिना किसी सम्बोधन बालेश्वर दयाल और बन्शीलाल मालपानी की तर्ज पर असम्मानजनक रुप से लिखे गए थे। बैठक में विधायक दिलीप सिंह गुर्जर, पूर्व विधायक दिलीप सिंह शेखावत, लाल सिंह राणावत वरिष्ठ भाजपा नेता सुल्तान सिंह शेखावत, डॉ. तेज बहादुर सिंह चौहान, पूर्व नपाध्यक्ष गोपाल यादव, अशोक मालवीय, नपा उपाध्यक्ष राजेश धाकड़, राम सिंह शेखावत आदि की उपस्थिति में दोनों समय 30-30 मिनिट जल प्रदाय करने का निर्णय लिया गया।
निर्णय बदलने पर सवाल उठाए
गलत निर्णय का अवैधानिक तरीके से बैठक कर समाधान निकालने की कोशिश पर नागरिक अधिकार मंच के अध्यक्ष अभय चौपड़ा ने प्रश्न खड़े किए हैं। उनका कहना है कि उद्योगों के इशारे पर कृत्रिम जल संकट के नाम पर एक समय जल प्रदाय करने का अधिकारियों द्वारा अवैधानिक तरीके से निर्णय लिया गया। विरोध होने के बाद अवैधानिक तरीके से प्रभारी मंत्री के दखल के बाद वापस लिया गया। नियमानुसार एक बार निर्णय लिए जाने के बाद राज्य शासन ही किसी भी निर्णय को रद्द कर सकता है। इसके अतिरिक्त प्रभारी मंंत्री या अन्य किसी को इस प्रकार के निर्णय रद्द करने का अधिकार नहीं है।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved