इंदौर। मध्यप्रदेश राज्य औद्योगिक विकास निगम ने वर्ष 2000 और उसके बाद इंदौर सहित प्रदेश के कुछ प्रमुख औद्योगिक घरानों को इंटर कार्पोरेट डिपॉजिट स्कीम के तहत 719 करोड़ रुपए के लोन बांटे थे। उस वक्त तत्कालीन संचालक एसआर मोहंती थे, जो इस घोटाले में बुरी तरह फंसे और पिछले कई सालों से उनके खिलाफ जांच चल रही है और अभी फिर जबलपुर हाईकोर्ट ने उनके खिलाफ फैसला दे दिया है और केन्द्रीय प्रशासनिक अधिकरण यानी केट से मिला स्टे खत्म हो गया। अब यह घोटाला ब्याज-बट्टे के साथ 4 हजार करोड़ का आंकड़ा पार कर चुका है। मोहंती इंदौर कलेक्टर रहने के साथ प्रदेश के प्रशासनिक मुखिया यानी मुख्य सचिव भी रह चुके हैं।
मुख्य सचिव के रूप में भी मोहंती का कार्यकाल खासा विवादित भी रहा और उसी वक्त उजागर हुए हनी ट्रैप मामले में भी उन पर उंगलियां उठी थीं। तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ ने अपने मुख्य सचिव सहित अन्य अफसरों को बचाया भी और उसके बाद जब प्रदेश में फिर शिवराज सरकार बनी तो मोहंती के बुरे दिन फिर शुरू हो गए। दरअसल, मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने ही इस इंटर कार्पोरेट डिपॉजिट स्कीम घोटाले की जांच शुरू करवाई और राज्य आर्थिक अपराध अनुसंधान ब्यूरो ने भी इस संबंध में मोहंती को दोषी बताया। इंदौर के ही कई औद्योगिक घराने को मोहंती ने सीधे-सीधे उपकृत किया और करोड़ों रुपए का लोन दे डाला। यह मामला पूर्व में भी हाईकोर्ट-सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा, मगर हर बार मोहंती पहले बचे और बाद में उलझते भी रहे और यह घोटाला उनके गले की हड्डी बन गया। पिछले दिनों केट ने जांच पर स्टे दे दिया था और मोहंती को क्लीनचिट भी मिल गई थी।
मगर अब हाईकोर्ट ने कल केट के आदेश को रद्द कर दिया, जिसके चलते विभागीय जांच सहित अन्य मोहंती पर लगे आरोपों की जांच फिर से शुरू हो जाएगी। यानी 719 करोड़ रुपए के आईसीडी घोटाले का भूत एक बार फिर जाग गया। हालांकि फिलहाल मोहंती रिटायर्ड हो चुके हैं और इन सब विवादों के चलते ही शिवराज सरकार ने उनकी कोई पदस्थापना नहीं की। इंदौर के ही कई भूमाफियाओं को बचाने के आरोप भी मोहंती पर लगते रहे। वहीं सुरेन्द्र संघवी की सिद्धार्थ ट्यूब्स से लेकर अल्पाइन, ईशर समूह, एईसी समूह से लेकर अन्य को करोड़ों रुपए का लोन दिलवा दिया, जिनकी वसूली आज तक नहीं हो सकी। अब देखना यह है कि मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान जो भ्रष्टाचार के खिलाफ गरज रहे हैं वह मोहंती पर इस मामले में क्या कार्रवाई करते हैं।
ब्याज-बट्टे सहित 4 हजार करोड़ से अधिक हो गई राशि
719 करोड़ रुपए की मूल राशि बीते 20-22 सालों में ब्याज-बट्टे के साथ बढक़र 4 हजार करोड़ रुपए से अधिक हो चुकी है। जब शासन ने कुछ वर्ष पूर्व सख्ती शुरू की थी तो कुछ औद्योगिक घरानों ने राशि जमा भी करवाई। मगर कोर्ट-कचहरी या राजनीतिक दबाव-प्रभाव के चलते यह वसूली नहीं हो सकी। यहां तक कि ईओडब्ल्यू ने भी शासन को जो अपनी जांच रिपोर्ट सौंपी उसमें एसआर मोहंती के खिलाफ पुख्ता सबूत दिए गए और अभियोजन की कार्रवाई शुरू करने की अनुमति भी मांगी गई, जिसके चलते मोहंती ने सुप्रीम कोर्ट का भी दरवाजा खटखटाया। हालांकि वहां से भी उनकी याचिका खारिज हो गई थी।
एक इंदौरी कम्पनी को तो फोन पर ही दिलवा डाले थे 5 करोड़
अग्निबाण ने इस बहुचर्चित आईसीडी घोटाले का सिलसिलेवार पूर्व में भी खुलासा किया और आर्थिक अन्वेंशन ब्यूरो के उस गोपनीय दस्तावेज का भी खुलासा किया जिसमें मोहंती ने इंदौर की एक कम्पनी को टेलीफोन पर ही 5 करोड़ रुपए की राशि दिलवा दी। अल्पाइन सहित कई उद्योगपतियों के खिलाफ तो पूर्व में भी धोखाधड़ी के प्रकरण चल रहे थे। बावजूद इसके मोहंती ने अपने कार्यकाल में उन्हें उपकृत किया और जब वे मुख्य सचिव बने तब तो संघवी सहित कई जमीनी कारोबारियों और उद्योगपतियों की लॉटरी ही लग गई और उनसे संबंधित प्रकरणों की जांच रूकवाने के अलावा उलटा तत्कालीन कलेक्टर और अधिकारियों पर दबाव डालकर गलत कार्य भी करवाए गए।
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