इस्लामाबाद। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने रविवार को देश की संसद में अविश्वास प्रस्ताव को रोक दिया और राष्ट्रपति आरिफ अल्वी को देश में चुनाव कराने की सलाह दे डाली। आरिफ अल्वी ने पाकिस्तान की संसद को भंग करके 90 दिनों के भीतर आम चुनाव कराने का ऐलान कर दिया। इमरान और राष्ट्रपति की इस चाल से विपक्ष भड़का हुआ है और पाकिस्तान में राजनीतिक संकट पैदा हो गया है। विश्लेषकों मानना है कि इमरान खान का जाना भारत के लिए अच्छी खबर है।
परमाणु हथियारों से लैस पाकिस्तान अपनी भौगोलिक स्थिति के कारण दुनिया के लिए रणनीतिक रूप से बेहद अहम है। पाकिस्तान के पश्चिम अफगानिस्तान है तो पूर्वोत्तर इलाके में चीन, पूरब की ओर भारत है। साल 2018 में सत्ता में आने के बाद इमरान खान ने अमेरिका विरोधी रुख अपना रखा था और उन्होंने चीन और रूस के साथ दोस्ती प्रगाढ़ करने का इरादा जताया था। यही नहीं इमरान खान ने यूक्रेन पर हमले के बीच पुतिन से मुलाकात करके सबको हैरार कर दिया था।
भारत और पाकिस्तान के बीच अब तक आजादी के बाद 3 बार युद्ध हो चुका है। दोनों के बीच कश्मीर को लेकर दशकों से विवाद चल रहा है। भारत के साथ संबंधों को लेकर पाकिस्तानी सेना हर चीज तय करती है। पाकिस्तानी सेना के साथ समझौते के बाद साल 2021 से भारतीय सीमा पर तनाव अपने निचले स्तर पर पहुंच चुका है। इसके बाद भी पिछले कई साल से भारत और पाकिस्तान के बीच बातचीत रुकी हुई है। इसकी वजह यह है कि दोनों ही देशों के बीच बहुत ज्यादा अविश्वास है।
अपने पूरे कार्यकाल के दौरान इमरान खान भारत और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ जहर उगलते रहते थे। इमरान खान ने लगातार कश्मीर के मुद्दे को दुनिया के मंचों पर उठाया। वह मुस्लिमों को लेकर बीजेपी की भी तीखी आलोचना करते रहते थे। इस बीच विश्लेषकों का कहना कि इमरान के जाने से भारत को फायदा हो सकता है। पाकिस्तान के शक्तिशाली सेना अब इस्लामाबाद की नई नागरिक सरकार पर कार्रवाई के लिए दबाव डाल सकती है ताकि कश्मीर में सफल सीजफायर को अंजाम दिया जा सके। पाकिस्तानी सेना प्रमुख ने अपने ताजा बयान में कहा है कि अगर भारत सहमत हो तो उनका देश कश्मीर पर आगे बढ़ सकता है। वहीं शरीफ परिवार का भी पीएम मोदी के साथ बढ़िया संबंध रहा है।
अफगानिस्तान में तालिबान राज आने के बाद दावा किया गया था कि पाकिस्तान के साथ रिश्ते बेहतर होंगे लेकिन ऐसा हुआ नहीं और दोनों के बीच रिश्ते अब बहुत खराब दौर में पहुंच गए हैं। तालिबान राज में टीटीपी के हमले पाकिस्तानी सेना पर बहुत ज्यादा हो गए हैं। इनमें पाकिस्तानी सैनिक अक्सर मारे जा रहे हैं। इस बीच सीमा विवाद को लेकर भी तालिबान के साथ विवाद चल रहा है। पाकिस्तान टीटीपी के खिलाफ कार्रवाई चाहता है लेकिन ऐसा होता नहीं दिख रहा है। उधर, अमेरिकी विशेषज्ञों का कहना है कि अब अमेरिका को तालिबान तक पहुंचने के लिए पाकिस्तान की जरूरत नहीं है। कतर निश्चित रूप से यह भूमिका निभा रहा है। हालांकि इमरान खान मानवाधिकारों को लेकर तालिबान की बहुत ज्यादा आलोचना नहीं करते थे।
इमरान खान लगातार चीन के पाकिस्तान और दुनिया में सकारात्मक भूमिका निभाने पर जोर देते रहे हैं। चीन सीपीईसी के तहत पाकिस्तान में 60 अरब डॉलर का निवेश कर रहा है। इस परियोजना की शुरुआत तब हुई थी जब विपक्षी पीएमएल एन और पीपीपी सत्ता में थीं। विपक्षी नेता शाहबाज शरीफ चीन के साथ सीधे डील करते हैं। वह चीन की मदद से कई प्रॉजेक्ट पंजाब में सीएम रहते हुए शुरू करा चुके हैं।
अमेरिकी विशेषज्ञों का कहना है कि पाकिस्तान में चल रहे राजनीतिक संकट पर शायद ही अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन की कोई रुचि हो। उन्होंने कहा कि बाइडन अभी यूक्रेन में फंसे हुए हैं और वह तब तक ध्यान नहीं देंगे जब तक कि पाकिस्तान में बड़े पैमाने पर अशांति हो या भारत के साथ पाकिस्तान का तनाव बढ़े। कुछ विश्लेषकों का कहना है कि चूंकि पाकिस्तानी सेना पर्दे के पीछे से विदेश और सुरक्षा नीति को चला रही है, इसलिए इमरान खान का राजनीतिक भविष्य बहुत चिंता की बात नहीं है। उन्होंने कहा कि इमरान खान का रूस दौरा अमेरिका के साथ रिश्तों के संदर्भ में ‘आपदा’ की तरह से था। उन्हें उम्मीद है कि पाकिस्तान में नई सरकार आने पर रिश्ते सुधर सकते हैं। इमरान ने तो यहां तक आरोप लगा दिया है कि रूस के दौरे के कारण अमेरिका ने उनकी सरकार को गिराने की साजिश रची थी।
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