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ये पॉलिटिक्स है प्यारे

April 04, 2022

नजदीकियां क्यों बनी दूरियां?
तीन नंबरी विधायक आकाश विजयवर्गीय और नगर अध्यक्ष गौरव रणदिवे के बीच चल रही अनबन अब खुलकर दिखाई देने लगी है। सरवटे बस स्टैंड के शुभारंभ के दौरान भाजपा नेताओं ने इसे महसूस किया, क्योंकि होर्डिंग्स में रणदिवे का फोटो 3 नंबर के किसी भी कार्यकर्ता ने नहीं लगाया। फिर गोपी नेमा के मिलन समारोह में विजयवर्गीय का आना और रणदिवे का वहां से खिसक जाना भी बता गया कि दोनों के बीच कुछ अच्छा नहीं चल रहा है। कारण तो कोई भी ठीक से नहीं बता रहा है, लेकिन समर्पण निधि की बैठक में गौरव ऐसा कुछ कह गए जो तीन नंबरियों को नागवार गुजरा।
आखिरकार प्रमोद टंडन को इतनी तवज्जो क्यों?
प्रमोद टंडन भाजपा में हैं। उन्हें कोई बड़ा पद तो नहीं मिला है, लेकिन भाजपा के आयोजनों में मंच साझा करने का मौका जरूर मिलता है। टंडन को इतनी तवज्जो मिलने का कारण अभी तक वे भाजपा नेता भी जान नहीं पाए हैं, जो मंच से नीचे बैठते हैं। भाजपा में पद के हिसाब से मंच साझा किया जाता है। कोई नेता कितना भी बड़ा हो, अगर उसके पास कोई पद नहीं है तो उसे मंच से नीचे ही बिठाया जाएगा। टंडन कांग्रेस से आए एकमात्र ऐसे नेता हैं, जो भाजपा के लगभग सभी आयोजनों में दिखाई देते हैं। भाजपा के कार्यकर्ता भी सोचते हैं कि आखिर टंडन को सीधे मंच पर क्यों बुलाया जाता है? जबकि उनसे कई वरिष्ठ नेताओं की भाजपा में लंबी फेहरिस्त है।


सांसद जाम में फंसे तो पुलिसवाले दौड़े चले आए
चेटीचंड का जुलूस निकल रहा था और इमली साहिब गुरुद्वारा पर जाम की स्थिति बन गई। पुलिस ने ट्रैफिक गलियों में मोड़ दिया। इससे हालत और भी खराब हो गई। लोग परेशान होते रहे और पुलिस व्यवस्था को कोसते रहे। इतने में इमामबाड़ा के पीछे गलियों में दो पुलिस वाले बर्तन बाजार की ओर से सीटी बजाते हुए दौड़े चले आ रहे थे। लगा कि कुछ गड़बड़ हो गई। लोग समझ पाते, उसके पहले ही एक एक्टिवा वाहन पर सांसद शंकर लालवानी नजर आए। मामला समझते देर नहीं लगी कि सांसदजी जाम में फंस गए हैं तो उन्हें निकालने के लिए पुलिस आ गई है। सांसद तो निकल गए, लेकिन लोग फिर जाम में फंसे पुलिसवालों को कोसते रहे।
आध्यात्म से बाहर ही नहीं आ पाती मंत्री ठाकुर
उषा ठाकुर को जिस विभाग का मंत्री बनाया गया है, वे उसमें पूरी तरह से रची-बसी हैं। कोरोना को आध्यात्म से भगाने के बयान के बाद उनकी और सरकार की भी किरकिरी हुई, लेकिन उन्होंने अपना बयान वापस नहीं लिया। अब उन्होंने ग्वालियर में शराबबंदी के जवाब में कह दिया कि शराब गलत है, लेकिन उसे बंद कैसे किया जा सकता है? उन्होंने जवाब दिया कि हमें लोगों को आध्यात्म की ओर मोडऩा होगा और शराब के दुष्परिणाम बताना होंगे, ऐसे ही शराबबंदी पूरे प्रदेश में लागू हो सकेगी।
रिश्तों को निभाना कोई कैलाशजी से सीखे
पिछले दिनों कैलाश विजयवर्गीय दिनभर इंदौर में थे। फुर्सत में थे तो संगी-साथियों से मिलने निकल पड़े। जेलरोड पर एक नमकीन वाले के यहां नमकीन खाया। राह चलते लोगों ने कैलाशजी को देखा तो वे भी उनके साथ फोटो खिंचाने पहुंच गए। छावनी में वे मनीष मामा के यहां पहुंचे तो उन्होंने कहा कि बहुत दिनों से राजू के ढाबे के पर खाना नहीं खाया। इस पर वे ढाबे पर पहुंच गए और वहां अपने मनपसंद व्यंजन बनवाकर खाए। यहां भी भीड़ लग गई। वहां से निकले तो कई सिंधी भाई मिल गए। किसी ने दुकान पर पहुंचने के लिए कहा तो किसी ने घर चलने को और कैलाशजी उनके पीछे चल दिए।


गौरव के नजदीकी एक के बाद एक गायब
गौरव की टीम तैयार है और गौरव उसमें जान फूंकने की कोशिश कर रहे हैं। इसके पहले कुछ लोग ऐसे थे, जो गौरव से लंबे समय से जुड़े थे और उन्हें आशा थी कि गौरव उन्हें अपनी टीम का हिस्सा बना ही लेंगे, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। संघ से आए रितेश तिवारी को जरूर मीडिया प्रभारी बना दिया गया है, जो गौरव से जुड़े थे, लेकिन जितने लोग रोज शाम को गौरव दरबार में हाजिरी भरते थे, वे गायब हैं। किसी को कार्यालय मंत्री बनने के सपने आ रहे थे तो कोई उपाध्यक्ष पद पर अपने आपको देख रहा था, लेकिन गौरव ने संगठन के पक्ष में फैसला लिया। वैसे जो गौरव से दूर हुए हैं, वे अब दूसरे नेता के यहां हाजिरी भर रहे हैं।


एक बड़े नेता की हो सकती है रवानगी
जल्द ही प्रदेश कांग्रेस से इंदौर के एक बड़े नेता की रवानगी हो सकती है। भोपाल से चली इस प्रकार की खबरें इंदौर तक आ रही हैं। बताया जा रहा है कि कमलनाथ ने जिस तरह से महिला कांग्रेस में पूरे घर के ही बदल डाले, उसी तरह वे अब अपनी कार्यकारिणी को लेकर जल्द ही ऑपरेशन शुरू करने वाले हैं। इसमें कुछ उम्रदराज नेताओं को घर बिठाने की तैयारी हैं तो टीम में युवाओं को जोडऩे की तैयारी भी। कमलनाथ समय के इंतजार में हैं, वहीं उन्हें उन लोगों से भी निपटना है, जो एक व्यक्ति-एक पद की जिद लिए बैठे हैं।
गांधी भवन में जिन नेताओं का रोज आना-जाना और उठना-बैठना है, उन्हें अब एक प्रदेश स्तर के नेता का वहां आना खल रहा है। प्रदेश के इन नेताजी को लेकर पहले भी बाकलीवाल के साथ के लोग विरोध का झंडा बुलंद कर चुके हैं और अब एक बार फिर विरोध की सुगबुगाहट है। आपत्ति यह है कि नेताजी को एक अभियान का प्रभारी बनाया है, लेकिन वे आदेश ऐसे दे रहे हैं, जैसे शहर की पूरी कांग्रेस ही चला रहे हों।
-संजीव मालवीय

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