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प्राधिकरण पर हाईकोर्ट ने लगाया 5 लाख जुर्माना, मंदसौर कलेक्टर भी उलझे

April 04, 2022

  • सिंहस्थ में बने एमआर-11 के एक हिस्से में ग्रीन बेल्ट की मुआवजा राशि नहीं चुकाई, तत्कालीन सीईओ के आदेश को अवमानना बताते हुए कोर्ट ने कहा कि हमारा समय भी किया खराब

इंदौर। मुआवजा राशि (compensation amount) के एक और मामले में इंदौर विकास प्राधिकरण (Indore Development Authority) को हाईकोर्ट की डबल बैंच से ना सिर्फ फटकार खाना पड़ी, बल्कि 5 लाख रुपए का जुर्माना भी ठोक दिया। इसमें दो लाख रुपए का जुर्माना तो तत्कालीन सीईओ पर और 3 लाख का जुर्माना प्राधिकरण पर ठोंका गया। सिंहस्थ के चलते प्राधिकरण ने एमआर-11 का निर्माण किया था, जिसमें सडक़ के साथ ग्रीन बेल्ट की जमीन भी ली गई और यह जमीन योजना 114 पार्ट-1 में शामिल रही, लक्ष्मी गृह निर्माण की थी। तत्कालीन सीईओ अब मंदसौर कलेक्टर बन गए।

2018 में तत्कालीन सीईओ गौतम सिंह (CEO Gautam Singh) ने मुआवजा राशि के प्रकरण में संस्था को यह पत्र लिख दिया कि जो मुआवजा प्राधिकरण द्वारा दिया गया वह अधिक जमीन का है और उतनी ही जमीन प्राधिकरण ने इस्तेमाल ही नहीं की। लिहाजा संस्था अतिरिक्त ली गई राशि को जमा कराए। इस मामले में संस्था ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया और सिंगल बैंच ने भी प्राधिकरण के खिलाफ फैसला दिया और अभी डबल बैंच ने भी उसी फैसले पर मोहर लगाई।

लक्ष्मी गृह निर्माण संस्था की 20 एकड़ जमीन योजना 114 पार्ट-1 में शामिल रही और 1986 में संकल्प 9 के तहत अनुबंध करते हुए संस्था को निजी विकास की अनुमति दी गई और कुछ वर्ष बाद जब सिंहस्थ के दौरान एमआर-11 का निर्माण किया गया, तब प्राधिकरण ने बिना अधिग्रहण लिए सडक़ के मुख्य मार्ग के साथ-साथ ग्रीन बेल्ट का निर्माण भी संस्था की 3.39 एकड़ भूमि पर बिना मुआवजा राशि दिए ही कर लिया, जिसके चलते संस्था को कोर्ट में याचिकाएं दायर करना पड़ी, जिस पर मुआवजा राशि देने के निर्देश हुए और 2009 में प्राधिकरण ने लगभग 66 लाख रुपए का मुआवजा भी दिया, लेकिन 2018 में प्राधिकरण के तत्कालीन सीईओ गौतम सिंह, जो वर्तमान में मंदसौर कलेक्टर के रूप में पदस्थ हैं ने संस्था को एक पत्र लिखकर कहा कि प्राधिकरण ने अधिक जमीन का मुआवजा दे दिया।


लिहाजा संस्था हासिल की गई अतिरिक्त राशि जमा करे और विकास शुल्क की भी मांग अलग से संस्था से कर ली गई। इस मामले में हाईकोर्ट ने जब जांच करवाई तो पता चला कि मुख्य मार्ग के अलावा ग्रीन बेल्ट का निर्माण भी किया गया और अभी हाईकोर्ट की डबल बैंच ने तीखी प्रतिक्रिया भी व्यक्त की और 5 लाख का जुर्माना ठोक दिया, जिसमें 2 लाख रुपए की राशि तत्कालीन सीईओ पर आरोपित की गई। यानी अब मंदसौर कलेक्टर को यह राशि भरना पड़ सकती है। हालांकि प्राधिकरण अब इस मामले में विधिक राय भी ले रहा है।

योजना 59 में भी देना पड़ेगी करोड़ों रुपए की मुआवजा राशि
भूमि अधिग्रहण के वर्षों पुराने प्रकरण में मुआवजा राशि बढ़वाने के लिए विभिन्न अदालतों में प्रकरण चल रहे हैं। रिफ्रेंस के इन प्रकरणों में प्राधिकरण को बढ़ी हुई मुआवजा राशि कई योजनाओं में देना पड़ी है। अभी पिछले दिनों ही योजना क्र. 59 के संबंध में भी प्राधिकरण ने हाईकोर्ट आदेशों को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की, जो कुछ समय पहले खारिज हो गई, जिसके चलते योजना 59 के जमीन मालिकों को भी 15 से 20 करोड़ रुपए तक की राशि बढ़े हुए मुआवजे के रूप में देना पड़ेगी।

हालांकि प्राधिकरण ने विगत वर्षों में नकद मुआवजा राशि देने की बजाय विकसित भूखंड देना शुरू किए और उसके बाद शासन ने नया लैंड पुलिंग एक्ट लागू कर दिया, जिसके तहत अब प्राधिकरण टीपीएस के तहत अपनी पुरानी कुछ योजनाओं को नए सिरे से घोषित कर रहा है, जिसमें नकद मुआवजे की बजाय 50 फीसदी जमीन वापस उनके मालिकों को लौटा दी जाती है। मगर पुरानी योजनाओं में अवश्य प्राधिकरण को रेफ्रेंस प्रकरणों में होने वाले फैसलों के कारण करोड़ों रुपए का मुआवजा बांटना पड़ रहा है, जबकि इन योजनाओं में वह वर्षों पहले ही भूखंडों को भी बेच चुका है। अभी जो लक्ष्मी गृह निर्माण का फैसला हाईकोर्ट ने दिया उसके लिए भी 84-85 में प्राधिकरण ने जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया की थी।

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