नई दिल्ली। तमिलनाडु में सत्ता में आने के बाद द्रविड़ मुनेत्र कषगम (DMK Party) ने राष्ट्रीय स्तर पर बीजेपी के खिलाफ मोर्चेबंदी में जुट गई है। इस क्रम में राज्य के मुख्यमंत्री और डीएमके प्रमुख एम स्टालिन नई रणनीति के साथ आगे बढ़ने की कोशिश करते दिख रहे हैं। कुछ दिन पहले ही स्टालिन ने सामाजिक न्याय मोर्चा बनाने की घोषणा की थी। इस मोर्चा में शामिल होने के लिए उन्होंने बीजेपी को छोड़कर कांग्रेस समेत 65 राजनीतिक दलों को पत्र लिखा था। राजनीतिक के जानकारों का मानना है कि जब हिंदी बेल्ट की राजनीति हिंदुत्व विचार की ओर कदम बढ़ा चुकी है तो स्टालिन उसके मुकाबले मंडल की राजनीति को धार देना चाहते हैं।
दिल्ली से डीएमके ऑफिस का उद्घाटन
पार्टी प्रमुख और राज्य के सीएम एमके स्टालिन फिलहाल तीन दिवसीय दौरे पर दिल्ली में मौजूद है। सीएम यहां संसद परिसर में बन रहे पार्टी कार्यालय के उद्घाटन के लिए आए हैं। पार्टी के कार्यालय का 2 अप्रैल को उद्घाटन होना है। इस दौरान उन्होंने पीएम मोदी के अलावा सोनिया गांधी समेत विपक्षी दलों के अन्य नेताओं के साथ मुलाकात की है। खास बात रही कि एमके स्टालिन ने दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल से भी मुलाकात की। इसके साथ ही स्टालिन ने राजधानी के सरकारी स्कूल और मोहल्ला क्लिनिक का भी दौरा किया। कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने भी शुक्रवार को स्टालिन से मुलाकात की। बताया जा रहा है कि सोनिया डीएमके कार्यालय के उद्घाटन के अवसर पर भी मौजूद रहेंगी।
पिता का सपना करना चाहते हैं पूरा
राजनीतिक पंडितों के अनुसार एमके स्टालिन अपने पिता करुणानिधि का सपना पूरा करना चाहते हैं। करुणानिधि की इच्छा थी कि वे राज्य स्तर की राजनीति से उठकर केंद्रीय राजनीति में आएं। माना जा रहा है कि स्टालिन अब खुद केंद्रीय राजनीति में आना चाहते हैं। दिल्ली में पार्टी कार्यालय और उनकी सक्रियता को इसी दिशा में बढ़ाया कदम माना जा रहा है। तमिलनाडु के राजनीतिक विश्लेषक आर. राजगोपालन का कहना है कि जिस तरह से वीपी सिंह ने मंडल की राजनीति के जरिए केंद्रीय राजनीति में उच्च स्थान प्राप्त किया था, उसी तरह की कोशिश अब स्टालिन कर रहे हैं। डीएमके की पहचान दलितों और पिछड़े वर्गों की पार्टी के रूप में है। स्टालिन की यह कोशिश वक्त के हिसाब से काफी प्रासंगिक और अहम जान पड़ती है।
केंद्र में खाली शून्य को भरने की कोशिश
पिछले चार दशक में वीपी सिंह, कांशी राम, रामविलास पासवान, शरद यादव, लालू यादव, मुलायम सिंह यादव सामाजिक न्याय की लड़ाई को लेकर राजनीति में चर्चित चेहरे थे। वीपी सिंह, कांशी राम और रामविलास अब है नहीं वहीं, मुलायम सिंह, शरद यादव और लालू यादव राजनीतिक रूप से अधिक सक्रिय नहीं हैं। ऐसे में केंद्र में एक तरह का खालीपन है। कांशीराम के बाद उनकी उत्तराधिकारी मायावती का राजनीतिक वजूद भी अब उतना प्रभावशाली नहीं रहा है। ऐसे में स्टालिन के पास मौका है कि इस खाली शून्य भरने का। राजगोपालन के अनुसार अगर स्टालिन का यह कदम सफल हो जाता है तो उन्हें सबसे बड़ा यह फायदा होगा कि वे तमिलनाडु की राजनीति से उठकर केंद्र की राजनीति में आ सकते हैं।
दिल्ली के सीएम को दिया न्यौता
तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन ने दिल्ली की मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया के साथ मीटिंग की। इस मुलाकात के बाद कहा कि एमके स्टालिन ने कहा कि तमिलनाडु सरकार ने शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं पर विशेष ध्यान दिया है। तमिलनाडु में मॉडर्न स्कूल के काम किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा, मुझे यकीन है कि दिल्ली के सीएम उद्घाटन समारोह में भाग लेंगे, राज्य के लोगों की ओर से मैं उन्हें आमंत्रित करता हूं।
गणतंत्र दिवस परेड, राज्यपाल के मुद्दे पर ममता का दिया था साथ
गणतंत्र दिवस की परेड से झांकी को हटाए जाने के मुद्दे पर ममता बनर्जी के बाद एमके स्टालिन ने भी प्रमुखता से अपनी आवाज बुलंद की थी। इतना ही नहीं गैर बीजेपी शासित राज्यों में राज्यपालों की तरफ से संवैधानिक अधिकारों के साथ ही ताकत के दुरुपयोग की बात कही थी। उन्होंने कहा कि इस संबंध में जल्द ही दिल्ली में बैठक होगी। ममता बनर्जी ने भी स्टालिन से इस मुद्दे पर टेलीफोन पर बातचीत की थी।
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