उज्जैन। जनवरी माह में दूध के भाव 46 रुपए लीटर थे जो आज बढ़कर 54 हो गए हैं, सीधे 8 रुपए की वृद्धि 2 महीने में हो चुकी है। जबकि पहले एक साल में दो या चार रुपए की वृद्धि होती थी। दूध विक्रेताओं का कहना है कि साँची ने भाव बढ़ाएं, इसलिए हमें भी भाव बढ़ाने पड़े। दूध के इस भाव का असर दूध से बनने वाले सभी उत्पादों पर पड़ेगा और महँगाई बढ़ जाएगी। हर साल दूध के भाव मई-जून में मई बढ़ाए जाते हैं और अगस्त सितंबर में इन्हें घटाया भी जाता था लेकिन विगत कई वर्षों से भाव बढ़ाएं तो जा रहे हैं लेकिन घटाने का निर्णय कभी भी नहीं हुआ। जनवरी माह में दूध के भाव 46 रुपए प्रति लीटर थे फिर इसके बाद फरवरी माह में दूध विक्रेताओं ने 50 रुपए लीटर के भाव किए और 4 रुपए बढ़ाएं लेकिन यह 50 रुपए का भाव मुश्किल से 1 महीने भी नहीं चल पाया और फिर 4 रुपए की वृद्धि दूध के भाव में कर दी गई। आज की स्थिति में दूध 54 रुपए प्रति लीटर हो गया है।
ऐसे में उन गरीब मजदूरों का सबसे बुरा हाल है जो 5 रुपए के दूध में दिन भर अपना काम चलाते थे। अब 5 रुपये में डेरी वाले दूध देने से मना कर रहे हैं। उनका कहना है कि 100 ग्राम दूध भी अब साढ़े 5 रुपये का है, ऐसे में 10 रुपए से कम का दूध नहीं दिया जाएगा। आज दूध के भाव में फिर से बढ़ोत्तरी की गई है, ऐसे में मिठाई और दूध से बनने वाले अन्य उत्पाद जैसे श्रीखंड, लस्सी आदि के रेट भी बढ़ जाएंगे और महंगाई बढ़ेगी। इस संबंध में जब दूध विक्रेताओं से पूछा गया तो उनका कहना है कि साँची ने किसानों से खरीदी के भाव बढ़ाएँ तो किसान हमसे भी वही रेट मांग रहे हैं। ऐसे में दूध के भाव बढ़ाना हमारी मजबूरी है। सांची सरकारी संस्था है ऐसे में सरकार को चाहिए कि दूध के भाव अचानक बढ़ाने पर सभी दूध विक्रेताओं और सांची से बातचीत करें, ताकि दूध के भाव में लगातार ऐसी वृद्धि ना हो पाए। जिला मूल्य निर्धारण समिति को भी इसमें तत्काल हस्तक्षेप करना चाहिए।
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