प्रदेश में ऑल इंडिया परमिट बसों पर 21 हजार रुपए प्रतिमाह परमिट शुल्क और नगालैंड में 25 हजार रुपए सालाना शुल्क होने पर लगातार बाहर जा रहीं बसें
प्रदेश सरकार को हो रहा लाखों का नुकसान
इंदौर। प्रदेश में ऑल इंडिया परमिट बसों पर भारी परमिट शुल्क के कारण बसों का अन्य राज्यों में जाना लगातार जारी है। इस माह अब तक 25 लक्जरी बसें ट्रांसफर लेकर नगालैंड जा चुकी हैं। कल ही आरटीओ के पास तीन और बसों को ट्रांसफर किए जाने के आवेदन पहुंचे। अधिकारी न चाहते हुए भी बस संचालकों की मांग पर बसों को ट्रांसफर के लिए एनओसी दे रहे हैं। इस संबंध में आरटीओ ने मुख्यालय से चर्चा भी की है।
आरटीओ में बसों को नगालैंड में ट्रांसफर करवाने को लेकर लगभग रोज आवेदन पहुंच रहे हैं। बस संचालकों ने कहा कि मध्यप्रदेश में ऑल इंडिया परमिट की बसों पर प्रति सीट प्रतिमाह 700 रुपए का टैक्स लिया जाता है। लक्जरी बसों में औसत 30 से 32 सीटें होती हैं। इस तरह हर बस को हर माह 21 हजार का टैक्स चुकाना पड़ता है, जबकि नगालैंड में टैक्सी की व्यवस्था अलग है और वहां एसी बसों को हर साल 25 हजार का टैक्स ही चुकाना पड़ता है। इस तरह मध्यप्रदेश में 21 हजार रुपए प्रतिमाह से साल का 2.52 लाख टैक्स चुकाना पड़ता है, वहीं नगालैंड में इसके 10 प्रतिशत से भी कम टैक्स की व्यवस्था होने से पूरे प्रदेश से बस संचालक बसों को नगालैंड में रजिस्टर्ड करवा रहे हैं, वहीं बस संचालक जो नई बसें खरीद रहे हैं, उन्हें तो सीधे वहीं रजिस्टर्ड करवाया जा रहा है।
ऑल इंडिया परमिट लेकर बसें इंदौर से ही चलेंगी
इन बसों को पेपर्स पर नगालैंड में ट्रांसफर जरूर किया जा रहा है, लेकिन वहां से भी ऑल इंडिया परमिट लेने के बाद इन बसों को देश में कहीं से भी चलाने की छूट मिलने के आधार पर बस संचालक इन्हें इंदौर से ही चलाएंगे। इससे इंदौर से चलने वाली ऑल इंडिया परमिट बसों की संख्या में कमी नहीं आएगी, लेकिन सरकार को राजस्व का भारी नुकसान उठाना पड़ेगा। ऑल इंडिया टूरिस्ट परमिट बस ऑपरेटर्स एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष अरुण गुप्ता ने बताया कि सरकार से टैक्स कम करने को लेकर कई बार बस संचालक मांग कर चुके हैं। इसके बाद भी टैक्स में कोई राहत नहीं दी गई है। इसके कारण बस संचालक मजबूरन बसों को दूसरे राज्यों में ट्रांसफर करवा रहे हैं।
मुख्यालय से की जा रही है चर्चा
पिछले कुछ समय से लगातार इंदौर से बड़ी संख्या में ऑल इंडिया परमिट बसें नगालैंड जैसे राज्यों में ट्रांसफर हो रही हैं। वहां टैक्स की राशि 10 प्रतिशत के आसपास है। नई बसें तो यहां रजिस्टर्ड होना लगभग बंद हो गया है। बस संचालक नई बसें भी वहीं रजिस्टर्ड करवा रहे हैं। इसे लेकर मुख्यालय को सूचना भी दी गई है, ताकि इसे लेकर कोई व्यवस्था की जा सके।
– जितेंद्रसिंह रघुवंशी, आरटीओ, इंदौर
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved